अपडेटेड 21 September 2025 at 14:48 IST

EXPLAINER/ GST में बदलाव ट्रंप टैरिफ के इंपैक्ट को कम करने में कितना कामयाब होगा, क्या भारतीय इकोनॉमी के लिए बूस्टर साबित होगा?

GST New Slabs: भारतीय अर्थव्यवस्था सितंबर 2025 में ऐतिहासिक बदलावों की दहलीज पर खड़ी है। देश की टैक्स व्यवस्था में जीएसटी सुधार की सबसे बड़ी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की थी।

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GST में बदलाव | Image: ANI

GST New Slabs: भारतीय अर्थव्यवस्था सितंबर 2025 में ऐतिहासिक बदलावों की दहलीज पर खड़ी है। देश की टैक्स व्यवस्था में जीएसटी सुधार की सबसे बड़ी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में की थी, जो 22 सितंबर 2025 से लागू होने वाली है। इस नए दौर में, अमेरिका के ट्रंप टैरिफ से बढ़े वैश्विक आर्थिक दबाव के खतरे भी सामने खड़े हैं।

ऐसे में यह सवाल अहम है कि ये जीएसटी में होने वाला बदलाव ट्रंप टैरिफ के इंपैक्ट को कितना कम कर पाएगा और भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह कितना ‘बूस्टर’ साबित होगा। आपको बता दें कि सरकार की मंशा साफ है। दरअसल, केंद्र और जीएसटी काउंसिल का प्रयास टैक्स ढांचे को सादगी, पारदर्शिता और न्यायसंगत बनाने के साथ-साथ अनुपालन खर्च में भी कटौती करना है।

नई जीएसटी व्यवस्था में केवल दो मुख्य टैक्स स्लैब रहेंगे- 5 फीसदी और 18 फीसदी। इसके अलावा तंबाकू, सिगरेट, गुटखा, लक्जरी वाहनों और 'सिन' गुड्स पर 40 प्रतिशत की टैक्स दर रखी गई है। 12 और 28 प्रतिशत के स्लैब खत्म कर दिए गए हैं। इसकी वजह से रोजमर्रा के कस्टमर प्रोडक्ट जैसे बालों के तेल, बिस्कुट, टूथपेस्ट और साबुन आदि सस्ते हो जाएंगे। तुरंत असर यह होगा कि लोगों की दैनिक जरूरत की वस्तुओं की कीमत कम होगी और घरेलू मांग, खासकर ग्रामीण और शहरी दोनों स्तर पर, बढ़ेगी।

नई जीएसटी दरों से क्या फायदा होगा?

जहां ट्रंप टैरिफ जैसे फैसले भारतीय प्रोडक्ट्स की अमेरिकी बाजारों में उपलब्धता को सीमित करते हैं, वहीं नई जीएसटी नीति का उद्देश्य देशी उत्पादन लागत में गिरावट ला कर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की लागत का बोझ घटा कर ऐसी हर बाधा को कुछ हद तक संतुलित करना है। जब इनपुट टैक्स कम होगा, तब निर्माताओं का प्रोडक्शन कॉस्ट भी कम होगा। भारत का एक्सपोर्ट कॉम्पिटिटिव बनेगा और घरेलू प्रोडक्ट धीमे-धीमे सस्ता दिखने लगेगा। कम टैक्स बोझ और तुरंत रिफंड से एक्सपोर्टर्स की नकदी में भी सुधार होगा। यह विदेशी व्यापार के बदलते समीकरण से कॉम्पिटिशन करने की क्षमता को मजबूत करेगा।

नई जीएसटी व्यवस्था के बाद छोटे और मध्यम कारोबारों, खासकर MSME सेक्टर के लिए कारोबारी माहौल आसान होना तय है। फाइनेंस और टैक्स बचत के साथ-साथ डिजिटलाइजेशन और एफिशिएंट प्रोसेसिंग की वजह से कारोबार में तेजी आएगी और कैश फ्लो औसतन बेहतर होगा। यह उन्हें कच्चे माल, उत्पादन और वर्किंग कैपिटल की आवश्यकता के बीच बेहतर निर्णय क्षमता प्रदान करेगा। नई नीति के तहत रिफंड प्रक्रिया भी तेज होगी, जिससे आपूर्तिकर्ताओं, निर्माताओं और निर्यातकों को समय पर भुगतान और वर्किंग कैपिटल में राहत मिलने लगेगी।

भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर साबित होगा ये बदलाव?

ट्रंप टैरिफ के कारण भारत के कुछ खास उत्पाद जैसे स्टील, एल्युमीनियम, जेम्स-ज्वेलरी, कपड़ा आदि अमेरिकी बाजार में महंगे हो गए हैं, जिस कारण उनके निर्यात में बाधा आई। ऐसे में नई जीएसटी दरों के कारण कॉस्टिंग में जरूर राहत मिलेगी, हालांकि यह पूरी तरह टैरिफ का असर खत्म नहीं कर पाएगा। भारत की नीति यह भी है कि घरेलू खपत पहले बढ़े, जिससे निर्यात हिचकोले खाए भी तो अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका न लगे। यह रणनीति आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को भी मजबूती देती है।

केंद्र और राज्य सरकारें उम्मीद कर रही हैं कि जीएसटी दरों में कटौती और दो-स्लैब प्रणाली से घरेलू मांग में तेजी आएगी, छोटे-मोटे कारोबारों को औपचारिक इकोनॉमी में आने का प्रोत्साहन मिलेगा, अनौपचारिक कारोबार ज्यादा टैक्स नेट में आएंगे और साथ ही कस्टमर्स को भी सस्ता सामान मिलेगा। आर्थिक जानकार मानते हैं कि इससे भारत के जीडीपी में 0.7 से 0.8 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हो सकती है।

इस दौरान अमेरिकी ट्रंप टैरिफ और नई जीएसटी नीति दोनों का संतुलन साधना बहुत आवश्यक है। जीएसटी में बदलाव निश्चित रूप से इस दिशा में एक मजबूत दावा पेश करता है, लेकिन यह कहना जल्दबाजी होगी कि जीएसटी में बदलाव अकेले ही ट्रंप टैरिफ के हर इंपैक्ट को जड़ से खत्म कर देगा, लेकिन इसमें दो राय नहीं कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर साबित हो सकता है, जिसकी तस्वीर आने वाले 12-18 महीनों में साफ देखी जा सकेगी।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 21 September 2025 at 14:48 IST