अपडेटेड 6 February 2025 at 09:45 IST

दिल्ली की पिक्चर अभी बाकी है! कांग्रेस, AAP या BJP.. 2 परसेंट घटा मतदान पहुंचा रहा किसे भारी नुकसान?

Delhi Elections: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में 60.44 फीसदी लोगों ने अपना वोट डाला। दिल्ली के उत्तर-पूर्व जिले में सबसे अधिक 66.25 प्रतिशत मतदान हुआ।

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Delhi Assembly Elections | Image: Repubic Media Network

Delhi Assembly Elections: राजनीति में अक्सर ये कहा जाता है कि चुनावों का ज्यादा मतदान सत्ता बदलाव का संकेत हुआ करता है, लेकिन कई बार कम मतदान भी सरकार बदल चुका है। कुछ इसी तरह का हाल देश की राजधानी दिल्ली में रहा है, जब घटते-बढ़ते मतदान ने राजनीतिक पार्टियों को सत्ता की कुर्सी से नीचे धकेला है। फिलहाल की स्थिति में नफा-नुकसान किसे ज्यादा होने वाला है, ये 8 फरवरी को चुनावों नतीजों से ही स्पष्ट होगा, लेकिन इतना जरूर संकेत दिल्ली ने दे दिए हैं कि किसी भी दल को पिछले दो बार की तरह एकतरफा जनादेश नहीं मिलने वाला है।

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान समाप्त होने के ठीक बाद सत्ता परिवर्तन की भविष्यवाणियां की गई हैं। कई एग्जिट पोल दिल्ली में 27 साल बाद बीजेपी की सत्ता लौटने का संकेत दे रहे हैं तो कुछ एग्जिट पोल में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच बहुमत को लेकर कांटे की टक्कर है। खैर एग्जिट पोल से इतर दिल्ली का वोट प्रतिशत काफी कुछ स्पष्ट कर रहा है, जिससे राजनीतिक पार्टियों को होने वाले फायदे और नुकसान को समझा जा सकता है।

दिल्ली में इस बार 60.44 फीसदी मतदान

दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए पिछले दिन हुए मतदान में 60.44 फीसदी लोगों ने अपना वोट डाला। राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्व जिले में सभी जिलों में सबसे अधिक 66.25 प्रतिशत मतदान हुआ। जबकि सबसे कम 56.31 प्रतिशत मतदान दक्षिण पूर्व जिले में दर्ज किया गया, जो नई दिल्ली जिले से ठीक पीछे है। नई दिल्ली जिले में 57.13 प्रतिशत मतदान हुआ। 6 फरवरी की सुबह 9 बजे तक साझा किए गए चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार,  दक्षिण पश्चिम जिले में 61.09 प्रतिशत, पूर्व में 62.40 प्रतिशत, उत्तर में 59.25 प्रतिशत, उत्तर पश्चिम में 60.70 प्रतिशत, शाहदरा में 63.94 प्रतिशत, दक्षिण में 58.16 प्रतिशत, मध्य में 59.09 प्रतिशत और पश्चिम में 60.76 प्रतिशत मतदान हुआ।

2020 के मुकाबले दिल्ली में 2 प्रतिशत कम वोटिंग

2025 का चुनाव प्रतिशत 2020 के मुकाबले 2 प्रतिशत घटा है। दिल्ली में 2020 के विधानसभा चुनाव के लिए 62.59 फीसदी वोट पड़े थे। पुरुषों की भागेदारी 62.66 प्रतिशत और महिलाओं की हिस्सेदारी 62.52 फीसदी थी। 2020 में दिल्ली के कुल 14786382 मतदाताओं में से 9255486 वोटर्स ने अपने मत का इस्तेमाल किया था। पिछले आंकड़ों को भी समझा जाए तो 2025 में पिछले 12 साल (2013 के बाद) में सबसे कम वोटिंग हुई है।

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वोटिंग के पैटर्न से सत्ता पर प्रभाव को समझिए

2013 के बाद से आंकड़ों का आकलन किया जाए तो चुनाव-दर चुनाव दिल्ली में गिरता वोट प्रतिशत सत्ताधारी पार्टी के लिए नुकसानदेह रहा है। 2013 वो साल था, जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी उभरी थी और उसका पहला चुनाव था। उस समय दिल्लीवासियों ने जबरदस्त मतदान किया था और वोट प्रतिशत में भी लगभग 8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। नतीजन दिल्ली में उस समय सरकार में बैठी कांग्रेस को बुरी हार देखनी पड़ी और आम आदमी पार्टी ने अपने पहले ही चुनाव में कमाल किया। AAP पहले ही चुनाव में 28 सीटें जीतकर आई।

उसके बाद 2015 के अगले विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने वोटिंग में और जोर लगाया, जिसमें आम आदमी पार्टी को रिकॉर्ड बहुमत (70 में से 67 सीटें) मिला। 2015 में वोट प्रतिशत 67.13 हुआ था। 2020 में दिल्ली चुनाव का वोट प्रतिशत गिरकर 62.59 फीसदी पर आ गया। इसका नुकसान आम आदमी पार्टी को हुआ, जिसने 5 सीटें गंवाई। 2020 में आम आदमी पार्टी को 62 सीटें तो बीजेपी ने अपना आंकड़ा 3 सीट से बढ़ाकर 8 सीट कर लिया था। यहां कांग्रेस की बात इसलिए नहीं कि 2015 और 2020 के चुनाव में ये पार्टी दिल्ली में अपना खाता तक नहीं खोल पाई।

पिछले चुनावों के आधार पर 2025 के कम वोट प्रतिशत के मायने आम आदमी पार्टी को बड़ा नुकसान कर सकते हैं और इस बार बीजेपी को फायदा अधिक दिख रहा है। दिल्ली में बीजेपी को बढ़ते के संकेतों के पीछे एक वजह कांग्रेस को भी मान सकते हैं, जो सत्ताधारी के खिलाफ मैदान में उतरी थी। बहरहाल, दिल्ली में जनता की अदालत का फैसला 8 फरवरी को आएगा और उसी समय राजनीतिक पार्टियों के भविष्य और नफा-नुकसान तय होंगे।

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Published By : Dalchand Kumar

पब्लिश्ड 6 February 2025 at 09:45 IST