अपडेटेड 6 November 2025 at 23:35 IST
EXPLAINER/ 10वीं बार नीतीश लेंगे शपथ या तेजस्वी की होगी ताजपोशी? आखिर छप्परफाड़ मतदान को लेकर क्या कहता है ट्रेंड, आंकड़ों के जरिए समझिए
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बिहार के इतिहास में पहली बार सबसे अधिक मतदान हुआ। इतना भारी-भरकम मतदान रिकॉर्ड देखकर बिहार की पार्टियां भी दंग रह गईं।
बिहार चुनाव | Image:
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में बिहार के इतिहास में पहली बार सबसे अधिक मतदान हुआ। इतना भारी-भरकम मतदान रिकॉर्ड देखकर बिहार की पार्टियां भी दंग रह गईं। इस बीच कई नेताओं ने ये भी कहना शुरू कर दिया कि जब-जब देश में जनता ने दिल खोल कर वोटिंग की, तब-तब सत्ता परिवर्तन देखा गया है।
इस बयान में कुछ हद तक तो सच्चाई है, लेकिन हर बार ऐसा हुआ, ऐसा कहना गलत होगा। कई बार ऐसा भी हुआ है, जब रिकॉर्ड तोड़ वोटिंग के बाद भी सत्ताधारी पार्टी को ही सत्ता वापस मिल गई।
आपको बता दें कि अगर इस चुनाव में नीतीश कुमार एक बार फिर सत्ता में आते हैं, तो वो 10वीं बार सीएम पद की शपथ लेंगे। इससे पहले 28 जनवरी 2024 को उन्होंने नौवीं पर मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।
जब वोटिंग प्रतिशत ने बदली सत्ता
- 1991 से 2021 के बीच पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा मतदान 2011 के विधानसभा चुनावों में दर्ज किया गया था, जब ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने मजबूत वामपंथी सरकार को गिरा दिया था। उस समय राज्य में 84.33% मतदान हुआ था, जो पिछले चुनाव के 81.9% से ज्यादा था।
- असम में, 2016 में मतदाता मतदान बढ़कर 84.4% हो गया, जो कि पहले लगभग 75% था। इस दौरान भाजपा ने कांग्रेस से सत्ता हासिल की।
- तमिलनाडु में मतदान प्रतिशत 2001 में 59% से बढ़कर 2011 में 78% हो गया, जिस साल डीएमके को सत्ता से बाहर कर दिया गया और जयललिता के नेतृत्व में एआईएडीएमके सत्ता में लौट आई।
- केरल में 2016 में 77.10% मतदान हुआ था, जब वाम लोकतांत्रिक मोर्चे ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ को सत्ता से बाहर कर दिया था। पिछले चुनाव में 74.9% मतदान हुआ था।
जब सत्ताधारी पार्टी को ही वापस मिल गई सत्ता
- 2010 में बिहार विधानसभा चुनावों में 2005 की तुलना में मतदान प्रतिशत में करीब 6.8 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, फिर भी सत्ताधारी एनडीए गठबंधन ने अधिक सीटें जीतीं और वोट शेयर में वृद्धि हुई। इसके अलावा, 2015 और 2020 में भी ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिला।
- इसके अलावा, छत्तीसगढ़ में भी कुछ निर्वाचन क्षेत्रों में रिकार्ड मतदान प्रतिशत ने बार-बार भाजपा के लिए निरंतर समर्थन को दर्शाया।इससे पता चलता है कि मतदान प्रतिशत का बढ़ना कभी-कभी परिवर्तन लाने के बजाय सत्ताधारी जीत को मजबूत कर सकता है।
नीतीश कुमार कब-कब सीएम बने?
- नीतीश कुमार ने पहली बार 2000 में शपथ ली थी। हालांकि, वो केवल सात दिनों तक ही इस पद पर रह सके थे। इसके बाद दूसरी बार नवंबर 2005 में उन्होंने सीएम पद की शपथ ली थी।
- तीसरी बार नीतीश कुमार ने नवंबर 2010 में सीएम पद की शपथ ली। हालांकि, 2013 में उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ दिया।
- 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद उन्होंने सीएम पद की कुर्सी जीतनराम मांझी को सौंप दी। फिर फरवरी 2015 में उन्होंने चौथी पर सीएम पद की शपथ ली।
- 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ा। बहुमत के बाद नवंबर 2015 में नीतीश कुमार पांचवीं बार सीएम बने।
- जुलाई 2017 में उन्होंने एक बार फिर पाला बदला और एनडीए के साथ मिलकर छठी बार सीएम पद की शपथ ली।
- फिर 2020 के चुनाव में उन्होंने एनडीए के साथ चुनाव लड़ा और नवंबर 2020 में सातवीं बार सीएम बने।
- अगस्त 2022 में नीतीश कुमार ने फिर पाला बदला और महागठबंधन से जुड़ गए। इस बार उन्होंने आठवीं बार सीएम पद की शपथ ली।
- नीतीश कुमार का मन फिर बदला और इस बार उन्होंने एनडीए का हाथ थाम लिया। 28 जनवरी 2024 को वो नौवीं बार बिहार के सीएम बने।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 6 November 2025 at 23:35 IST