अपडेटेड 29 March 2025 at 12:26 IST
धंसी जमीन, टूटे मकान और 1000 मौतें; म्यांमार में किसके हाथ है सरकार, भूकंप से तबाही के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन क्यों मुश्किल?
शक्तिशाली भूकंप ने म्यांमार को बर्बाद किया है। अब तक मरने वालों की संख्या एक हजार से ऊपर पहुंच चुकी है। घायलों की संख्या इससे भी लगभग दोगुनी बताई जाती है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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Myanmar Earthquake: म्यांमार में आए भूकंप ने व्यापक विनाश किया है। हजारों लोग प्रभावित हुए हैं। बचाव कार्य जारी हैं, लेकिन बुनियादी ढांचे को नुकसान, गृहयुद्ध की स्थिति और कम्युनिकेशन ब्लैकआउट जैसी चुनौतियां रेस्क्यू ऑपरेशन को मुश्किल बना रही हैं। म्यांयार की सत्ता सेना के कब्जे में है। 2021 में म्यांमार में तख्तापलट हुआ, जिसमें एक चुनी हुई सरकार को सेना ने गिरा दिया। इससे देशवासी बड़ी मुश्किल में जिंदगी काट रहे थे कि भूकंप के झटकों ने सब तबाह कर दिया है।
म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के शक्तिशाली भूकंप से पहले ही देश में 30 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हो चुके थे। लाखों लोग चार साल से चल रहे विनाशकारी गृहयुद्ध के कारण जरूरी खाने-पीने की व्यवस्था और मेडिकल सुविधाओं से कट गए। एपी के मुताबिक, कई इंटरनेशनल ग्रुप दावा करते हैं कि गृहयुद्ध में आम नागरिकों को निशाना बनाया गया। संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया कि सिविल वॉर के चलते म्यांमार में 30 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए, जिनमें से लगभग 18.6 मिलियन लोगों को मानवीय सहायता की जरूरत है। इसी बीच एक तरीके से म्यांमार में भूकंप एक दोहरी आपदा बनकर आया है।
म्यांमार में भूकंप से मरने वालों की संख्या हजार के पार
शक्तिशाली भूकंप ने म्यांमार को बर्बाद किया है। अब तक मरने वालों की संख्या एक हजार से ऊपर पहुंच चुकी है। घायलों की संख्या इससे भी लगभग दोगुनी बताई जाती है। एएनआई के मुताबिक, यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने शुक्रवार को अपने शुरुआती मॉडलिंग के अनुसार अनुमान लगाया कि मध्य म्यांमार में आए भूकंप से मरने वालों की संख्या 10000 से अधिक हो सकती है। म्यांमार में सत्तारूढ़ सेना इस तबाही के बाद दुनियाभर के देशों से मदद मांग रही है। ऐसा इसलिए भी दुनिया के गरीब देशों में शामिल म्यांमार में व्यापक तौर पर रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए तकनीक भी नहीं है।
म्यांमार में रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए कई मुश्किलें?
म्यांमार में रेस्क्यू ऑपरेशन में सबसे बड़ी मुश्किल सेना और विद्रोहियों की लड़ाई है। मांडले के आसपास के सेंट्रल फील्ड्स से लेकर शान की पहाड़ियां शामिल हैं, जिसके कुछ हिस्से पूरी तरह से जुंटा (सेना) के नियंत्रण में नहीं हैं। ऐसे में वहां बाहरी मदद शायद ही पहुंच पाए। उसके अलावा म्यांमार के सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में इंटरनेट और नेटवर्क की भारी कमी है, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन के समय कॉर्डिनेशन मुश्किल है। भूकंप से प्रमुख सड़कें और पुल बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे इमरजेंसी राहत की कोशिश में देरी हो रही है।
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म्यांमार से कुछ सूचनाएं ऐसी भी आईं कि मलबे हटाने वाली मशीनों की कमी के चलते बहुत लोग अपने स्तर पर बचाव में लगे हैं। मांडले में स्थानीय लोगों और बचावकर्मियों ने ढही हुई इमारतों के नीचे से लोगों को निकालने के लिए हाथ-पांव मारे। रॉयटर्स के मुताबिक, 25 साल के हेट मिन ऊ नाम के एक शख्स ने रोते हुए कहा कि उसने अपनी दादी और दो चाचाओं को बचाने के लिए खुद ही ढही हुई इमारत के मलबे को हटाने की कोशिश की, लेकिन आखिरकार उसने हार मान ली। उसका कहना है कि मुझे नहीं पता कि वो मलबे के नीचे अभी भी जीवित हैं या नहीं।
2021 म्यांमार तख्तापलट
म्यांमार में तख्तापलट 1 फरवरी 2021 की सुबह शुरू हुआ, जब देश की सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (एनएलडी) के लोकतांत्रिक रूप से चुने गए सदस्यों को म्यांमार की सेना ने हटा दिया। फरवरी 2021 को सेना ने आंग सान सू की के साथ से निर्वाचित सरकार छीन ली। मजबूरन सैन्य जुंटा को सत्ता सौंप दी गई। उस समय म्यांमार के कार्यवाहक राष्ट्रपति म्यिंट स्वे ने एक साल के आपातकाल की घोषणा की और घोषणा की कि सत्ता कमांडर-इन-चीफ, रक्षा सेवाओं के वरिष्ठ जनरल मिन आंग ह्लाइंग को हस्तांतरित कर दी गई है। सत्ता छीनने के बाद से ही म्यांमार उथल-पुथल में उलझा हुआ था। शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को घातक बल से दबा दिए जाने के बाद सैन्य शासन के कई विरोधियों ने हथियार उठा लिए। इससे देश के बड़े हिस्से संघर्ष में उलझ गए, जो अभी खत्म नहीं हुआ है।
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Published By : Dalchand Kumar
पब्लिश्ड 29 March 2025 at 12:26 IST