अपडेटेड 22 June 2025 at 18:15 IST

America ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान को ही क्यों बनाया निशाना, Iran की इन न्यूक्लियर साइट में क्या था?

इजरायल और ईरान के बीच दस दिन से चल रही जंग में अमेरिका की एंट्री हो गई है। अमेरिका ने ईरान की 3 न्यूक्लियर साइट फोर्डो, नतांज और इस्फहान को बंकर बस्टर बमों से तबाह कर दिया है। ये तीनों परमाणु ठिकाने ईरान के लिए बेहद अहम हैं।

Why did America target Fordow, Isfahan, Natanz 3 Key Iranian Nuclear Sites
America ने फोर्डो, नतांज और इस्फहान को ही क्यों बनाया निशाना? | Image: Republic

US Strikes Iran : ईरान पर अमेरिकी हमले के बाद तेल अवीव से यरुशलम तक आग बरस रही है। ईरान के सुप्रीम नेता अली खामेनेई का खून खौला तो ईरान के आसमान से मिसाइलें बरसने लगी। ईरान ने अमेरिका की बमबारी का जवाब इजरायल पर 40 बैलिस्टिक मिसाइलों से दिया है और अब पूरा इजरायल दहशत में है।

इजरायल और ईरान की जंग में एंट्री लेकर अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर साइट्स पर अटैक किया है। इसमें फोर्डो, नतांज और इस्फहान परमाणु सेंटर शामिल हैं। ईरान पर हमले के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अगर ईरान ने अटैक किया तो जोरदार जवाब होगा। जिन ईरान के 3 तीन परमाणु ठिकानों पर अमेरिका ने बंकर बस्टर बम बरसाए, आखिर उन ठिकानों को ही तबाह क्यों किया गया? क्या ईरान के तीन परमाणु ठिकाने, इजरायल और अमेरिका के लिए खतरनाक बन चुके थे या फिर यहां परमाणु हथियार बनाने की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी थी?

इजरायल-अमेरिका के लिए खतरा

ये ईरान पर अमेरिका का सबसे बड़ा हमला है, जिसमें ईरान के उन तीन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया जिनकी सुरक्षा में खामेनेई दिन रात लगे रहे। ईरान परमाणु हथियार बनाने के बेहद करीब पहुंच चुका था। यही वजह है कि इन ठिकानों को अभेद किले की तरह बनाने के लिए जमीन से 300 फीट गहराई तक तैयार किया गया। जब इजरायल तबाह नहीं कर पाया, तो अमेरिका को 13 हजार 600 किलो के एक दो नहीं 12 बंकर बस्टर बम गिराने पड़े। ईरान के ये तीन परमाणु ठिकाने इजरायल और अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गए थे।

फोर्डो एनरिचमेंट प्लांट

ये ईरान का दूसरा सबसे बड़ा यूरेनियम प्यूरिफिकेशन प्लांट था। ईरान ने इसे तेहरान से 160 किलोमीटर दूर पहाड़ी में 295 फीट यानी 90 मीटर गहराई में बनाया था। इसे तबाह करने का मतलब था पहाड़ को हिलाकर रख देना। फोर्दो में 2000 सेंट्रीफ्यूज मशीनें एक्टिव थी। सुरक्षा के लिए रूस का S-300 एयर डिफेंस सिस्टम लगा था। इसे हवाई हमले से तबाह करना मुश्किल था, इसलिए अमेरिकी बंकर बस्टर बम का इस्तेमाल किया गया। इस नुकसास से उभर पाना ईरान के लिए आसान नहीं होगा।

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नतांज- एटॉमिक फैसिलिटी सेंटर

तेहरान से 250 किलोमीटर दूर ये ईरान का दूसरा पायलट फ्यूल एनरिंचमेंट प्लांट है, जहां 60 फीसदी तक यूरेनियम एनरिचमेंट किया जाता है और परमाणु बम बनाने के लिए 90 फीसदी यूरेनियम एनरिचमिंट की जरूरत होती है। इसे जमीन के करीब 200 फीट नीचे बनाया गया था। यहां 9 परमाणु बम बनाने जितना यूरेनियम मौजूद है। नतांज में 11,000 सेंट्रीफ्यूज एक्टिव थे और यूरेनियम-235 की सफाई होती है। नेतन्याहू ने इस प्लांट को सबसे बड़ा परमाणु खतरा बताया था।

इस्फहान - परमाणु टेक्नोलॉजी सेंटर

अमेरिका का तीसरा टारगेट इस्फहान था, जिसे परमाणु वैज्ञानिकों का घर कहा जाता है। यहां यूरेनियम कन्वर्जन फैसिलिटी थी, कच्चे यूरेनियम को गैस में बदला जाता था। इस्फहान में ईरान का बड़ा एयरबेस था और पुराने अमेरिकी F-14 फाइटर जेट मौजूद थे। यहां हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियां भी थीं। इससे पहले इजरायल ने 13 जून को यहां एयरबेस पर ड्रोन अटैक किया था।

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ईरान की तीन बड़ी परमाणु साइट को निशाना बनाकर अमेरिका ने अपना काम कर दिया है, इन हमलों में तीनों परमाणु ठिकाने तबाह हो चुके हैं। हालांकि ईरान का दावा है कि इन हमलों में ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचा है। तो क्या ईरान के पास अभी भी परमाणु हथियार बनाने के लिए साजो सामान और ठिकाने हैं?

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 22 June 2025 at 18:15 IST