अपडेटेड 18 July 2025 at 07:05 IST
भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत, पाकिस्तान समर्थित TRF आतंकवादी संगठन घोषित, पहलगाम हमले की ली थी जिम्मेदारी
द रेजिस्टेंस फ्रंट आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का ही मुखौटा है। TRF ने ही 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली थी। इस हमले में 26 पर्यटकों की धर्म पूछकर हत्या कर दी गई थी।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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TRF Declares Terrorist Organization : 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी लेने वाले द रेजिस्टेंस फ्रंट (The Resistance Front) को अमेरिका ने आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। इस आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी। आतंकियों ने पर्यटकों पर उनका धर्म पूछकर गोली मारी थी। अमेरिकी विदेश विभाग ने TRF को Foreign Terrorist Organization और Specially Designated Global Terrorist घोषित किया है।
लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के एक सहयोगी और प्रतिनिधि संगठन, TRF ने 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम में हुए हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 नागरिक मारे गए थे। यह 2008 में लश्कर द्वारा किए गए मुंबई हमलों के बाद से भारत में नागरिकों पर किया गया सबसे घातक हमला था। TRF ने भारतीय सुरक्षा बलों पर कई हमलों की जिम्मेदारी भी ली है, जिनमें हाल ही में 2024 में हुए हमले भी शामिल हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के मुताबिक ये कार्रवाई राष्ट्रीय सुरक्षा हितों की रक्षा करने, आतंकवाद का मुकाबला करने और पहलगाम हमले के लिए राष्ट्रपति ट्रंप के न्याय के आह्वान को लागू करने के प्रति ट्रंप प्रशासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
TRF को लश्कर-ए-तैयबा का ही एक अंग माना जाता है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने 2019 में उभरे TRF को लश्कर-ए-तैयबा का "मुखौटा और प्रतिनिधि" बताया। जो संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादी समूह है और जिसका मुख्यालय पाकिस्तान में है। अमेरिका की इस कार्रवाई के बाद पाकिस्तान का असली चेहरा एक बार फिर सामने आ गया है।
पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर
2019 के पुलवामा बम विस्फोट के बाद से पहलगाम आतंकी हमला जम्मू और कश्मीर में हुआ सबसे घातक आतंकवादी हमला है। आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन घाटी में अपनी छुट्टियां मनाने गए पर्यटकों से धर्म पूछकर 26 लोगों की हत्या कर दी थी। लश्कर-ए-तैयबा की शाखा द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने पहलगाम हमले की जिम्मेदारी ली थी, लेकिन कुछ दिनों बाद उसने इससे इनकार कर दिया।
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इस हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया और नई दिल्ली ने इस्लामाबाद के खिलाफ कई कठोर कदम उठाए। जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना और अटारी-वाघा सीमा को तत्काल बंद करना भी शामिल था। हमले के करीब दो सप्ताह बाद, 7 मई को, भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया। जिसके तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में 9 आतंकवादी बुनियादी ढांचों पर सटीक हमले किए गए। जिसमें लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने शामिल थे। इस अभियान में भारत ने 100 से अधिक आतंकवादी मारे जाने का दावा किया था।
ऑपरेशन सिंदूर का जवाब देने के लिए पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर और दूसरे सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन हमले करके जवाबी सैन्य कार्रवाई करने की कोशिश की। हालांकि, इनमें से अधिकांश हमलों को भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने विफल कर दिया। पाकिस्तानी हमलों का जवाब देने के लिए भारत ने भी इस्लामाबाद के हवाई ठिकानों पर हमला किया, जिनमें नूर खान, मुरीद, जैकोबाबाद और भोलारी हवाई अड्डे शामिल थे। चार दिनों की लड़ाई के बाद, पाकिस्तान ने 10 मई को घुटने टेक दिए और युद्धविराम का अनुरोध किया। इसके बाद दोनों देशों के बीच सभी सैन्य कार्रवाइयां रोक दी गईं।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 18 July 2025 at 06:47 IST