अपडेटेड 6 July 2025 at 23:42 IST
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 25 मई, 2025 को यूरोपीय संघ के साथ व्यापार वार्ता की समय सीमा 9 जुलाई तक बढ़ा दी थी। ऐसे में 9 जुलाई को यूरोपीय संघ को दिया गया समय अब खत्म हो रहा है। यूरोपीय संघ अब इस बात का इंतजार कर रहा है कि आखिर में राष्ट्रपति ट्रंप क्या फैसला लेते हैं। वहीं अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि इस कदम से अटलांटिक के दोनों ओर की कंपनियों और उपभोक्ताओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
बता दें, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अप्रैल की शुरुआत में यूरोपीय संघ द्वारा निर्मित सभी उत्पादों पर 20% आयात कर लगाया था। यह टैरिफ उन देशों को टारगेट करता है, जिनके साथ US का व्यापार असंतुलित है। हालांकि, ट्रंप ने जब अपने फैसले पर 9 जुलाी तक का रोक लगाया था, उस समय उन्होंने यूरोपीय संघ के रुख पर नाराजगी जाहिर की थी।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वह यूरोपीय निर्यात के लिए शुल्क दर को 50% तक बढ़ा देंगे, जिससे फ्रांसीसी पनीर और इतालवी चमड़े के सामान से लेकर जर्मन इलेक्ट्रॉनिक्स और स्पेनिश फार्मास्यूटिकल्स तक - अमेरिका में सब कुछ बहुत महंगा हो सकता है।
हालांकि, बिना किसी समझौते के, यूरोपीय संघ ने भी कहा कि वह सैकड़ों अमेरिकी उत्पादों पर टैरिफ लगाकर जवाबी कार्रवाई करने के लिए तैयार है, जिसमें बीफ और ऑटो पार्ट्स से लेकर बीयर और बोइंग एयरप्लेन शामिल हैं।
अमेरिका का कार्यकारी आयोग US और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार को दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्यिक संबंध के रूप में देखता है। यूरोपीय संघ की सांख्यिकी एजेंसी यूरोस्टेट के अनुसार, वस्तुओं और सेवाओं में यूरोपीय संघ-यू.एस. व्यापार का मूल्य 2024 में 1.7 ट्रिलियन यूरो ($2 ट्रिलियन) या औसतन 4.6 बिलियन यूरो प्रतिदिन था। यूरोप को अमेरिका का सबसे बड़ा निर्यात कच्चा तेल है, उसके बाद फार्मास्यूटिकल्स, विमान, ऑटोमोबाइल और चिकित्सा और नैदानिक उपकरण हैं। यूरोप से अमेरिका को सबसे बड़े निर्यात फार्मास्यूटिकल्स, कार, विमान, रसायन, चिकित्सा उपकरण, तथा शराब और स्पिरिट्स हैं।
पब्लिश्ड 6 July 2025 at 23:42 IST