अपडेटेड 2 September 2025 at 19:10 IST

SCO के बाद अब बीजिंग में चीन-रूस-उत्तर कोरिया करेगा सैन्य का शक्ति प्रदर्शन, डोनाल्ड ट्रंप-पश्चिम को जिनपिंग की खुली चुनौती

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आजकल अपने देश में एशिया और मिडिल ईस्ट के नेताओं का स्वागत करने में व्यस्त हैं। SCO समिट के जरिए उन्होंने दुनिया को दिखाना चाहा किया कि वाशिंगटन को अगर रिप्लेस करना हो तो चीन से बेहतर कोई और विकल्प नहीं हो सकता।

Putin-Jinping-Kim Jong-Trump
Putin-Jinping-Kim Jong-Trump | Image: AP

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग आजकल अपने देश में एशिया और मिडिल ईस्ट के नेताओं का स्वागत करने में व्यस्त हैं। SCO समिट के जरिए उन्होंने दुनिया को दिखाना चाहा किया कि वाशिंगटन को अगर रिप्लेस करना हो तो चीन से बेहतर कोई और विकल्प नहीं हो सकता।

अमेरिकी मीडिया में भी इस समिट की खूब चर्चा हुई। उन्होंने लिखा कि अब चीनी नेता अपनी सैन्य शक्ति के दिखावटी प्रदर्शन के साथ एक बिल्कुल अलग छवि दिखाने के लिए तैयार हैं। आपको बता दें कि समिट के बाद बीजिंग में एक बड़ी सैन्य परेड भी होने जा रही है, जिसमें देश के अत्याधुनिक हाइपरसोनिक हथियारों, परमाणु-सक्षम मिसाइलों और समुद्री ड्रोनों के साथ-साथ हजारों सैनिकों की भी झलक दिखाई जाएगी।

अमेरिकी मीडिया ने लिखा कि चीन एक ऐसी ताकत है जो वैश्विक नियमों को फिर से स्थापित करना चाहता है, और वह पश्चिमी नियमों को चुनौती देने से नहीं डरता। इसका मतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप को अपनी हरकतों से बाज आ जाना चाहिए, वर्ना चीन दुनिया में एक नया वर्ल्ड ऑर्डर बनाने में सफल हो जाएगा, जो अमेरिका के लिए बिल्कुल सही नहीं होगा।

अमेरिका-विरोधी गुट हो रहा तैयार

शी जिनपिंग की इस सभा के लिए चुनी गई गेस्ट लिस्ट से ये साफ पता लगता है कि चीन अमेरिका के खिलाफ बड़ी रणनीति बना रहा है। इस लिस्ट में दो दर्जन से अधिक चीन के 'दोस्तों' का गुट शामिल है, जिनमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन सबसे ऊपर हैं, और इसमें ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन भी शामिल हैं।

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यह पहली बार है जब वाशिंगटन के रणनीतिकारों ने चेतावनी दी है कि चार देशों के नेता एक साथ मिलकर अमेरिका-विरोधी "उथल-पुथल की धुरी" बनाने की कोशिश कर रहे हैं, और वे एक ही कार्यक्रम में एक साथ होंगे।

भारत को अपने पक्ष में करना चाह रहा चीन

SCO समिट में अमेरिकी मीडिया ने भारत-चीन-रूस की तिकड़ी पर भी खूब चर्चाएं कीं। इसमें लिखा गया कि कैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पुतिन और जिनपिंग की केमिस्ट्री दुनिया के सामने इन तीन देशों का शक्ति प्रदर्शन बना, और ये सीधे-सीधे डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक मैसेज भी था। आपको बता दें कि चीन और रूस ने पहले भी RIC के लिए भारत को मनाने की कोशिश की है। इसके अलावा पीएम मोदी से बात करने के लिए जिनपिंग ने अपने चाणक्य केई ची को भी भेजा, ताकि भारत-चीन के संबंध बेहतर किए जा सकें। जानकारों का मानना है कि अगर ये तिकड़ी एक साथ काम करे, तो अमेरिका के प्रभुत्व को सीधी चुनौती दी जा सकती है। हालांकि, ये भारत के पाले में है कि वो क्या फैसला लेता है।

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Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 2 September 2025 at 19:10 IST