अपडेटेड 30 March 2025 at 21:26 IST

'भारी बमबारी होगी... समझौता टेबल पर आओ, नहीं तो सब धुआं-धुआं कर दुंगा', न्यूक्लियर डील को लेकर ट्रंप की ईरान को खुली धमकी

ईरान के राष्ट्रपति ने रविवार को परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिका के साथ सीधी बातचीत को खारिज कर दिया। अब डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमले की धमकी दी है।

Donald Trump
न्यूक्लियर डील को लेकर ट्रंप की ईरान को खुली धमकी | Image: AP

Iran Nuclear Deal : अमेरिका ने ईरान पर न्यूक्लियर डील को लेकर दबाव बढ़ा दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को चेतावनी दी कि अगर ईरान न्यूक्लियर डील पर समझौता नहीं करता है, तो अमेरिका ईरान पर बमबारी करेगा। NBC न्यूज को दिए टेलीफोन इंटरव्यू में डोनाल्ड ट्रंप ने ये धमकी दी है। उन्होंने कहा कि, “अगर वे (ईरान) समझौता नहीं करते, तो बमबारी होगी, और ऐसी बमबारी होगी जैसी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी होगी।”

इससे पहले ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने रविवार को कहा था कि तेहरान ने उसके परमाणु कार्यक्रम को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खत के जवाब में अमेरिका के साथ सीधी बातचीत को खारिज कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर चिंता जताते हुए हाल में ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई को पत्र भेजा था। राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन की टिप्पणी से पहली बार आधिकारिक तौर पर साफ हुआ है कि ईरान ने ट्रंप के पत्र पर किस तरह प्रतिक्रिया दी। इससे यह भी संकेत मिलता है कि दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ सकता है।

बमबारी और कड़े प्रतिबंध की धमकी

अपने इंटरव्यू में डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर बमबारी और कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है। उन्होंने साफ कहा कि अगर ईरान यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका के साथ कोई समझौता नहीं करता कि वह परमाणु हथियार विकसित न करे। तो बमबारी होगी और यह ऐसी बमबारी होगी, जैसी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी होगी। ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी और ईरानी अधिकारी बातचीत कर रहे हैं।

क्या है अमेरिका-ईरान न्यूक्लियर डील?

दरअसल, अमेरिका चाहता है ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित किया जाए। उसे डर है कि अगर ईरान परमाणु हथियार संपन्न देश हुआ तो इनका गलत इस्तेमाल हो सकता है। 2015 में ईरान और P5+1 देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन, जर्मनी) के बीच एक समझौता हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य ईरान को परमाणु हथियार बनाने से रोकना था। इसके बदले ईरान को आर्थिक प्रतिबंधों से राहत दी गई थी। ईरान ने अपनी यूरेनियम संवर्धन क्षमता को 3.67% तक सीमित किया, जो हथियार बनाने के लिए 90% जरूरी होती है। इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) को ईरान की सुविधाओं की कड़ी निगरानी का अधिकार दिया गया।

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संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और यूरोपीय संघ ने ईरान पर लगे परमाणु-संबंधी प्रतिबंध हटा दिए, जिससे ईरान को तेल निर्यात और वैश्विक वित्तीय प्रणाली तक पहुंच मिली। हालांकि, 2018 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस डील से अमेरिका को बाहर निकाल लिया, जिसके बाद ईरान ने भी डील की शर्तें तोड़ना शुरू कर दिया।

(भाषा इनपुट के साथ)

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 30 March 2025 at 20:35 IST