अपडेटेड 5 June 2025 at 11:14 IST
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने अप्रत्याशित फैसले से वैश्विक स्तर पर हलचल मचा दी है। इस बार उन्होंने 12 देशों के नागरिकों के अमेरिका में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। इसके अलावा, सात अन्य देशों के लोगों पर सख्त यात्रा प्रतिबंध भी लागू किए गए हैं। यह फैसला उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए लिया है। व्हाइट हाउस की ओर से जारी एक कार्यकारी आदेश के अनुसार, यह नया प्रतिबंधात्मक आदेश सोमवार को दोपहर 12 बजे से प्रभावी हो जाएगा। इस निर्णय को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता जताई जा रही है, जबकि ट्रंप प्रशासन का कहना है कि यह कदम देश की सुरक्षा के हित में उठाया गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस फैसले के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि यह निर्णय आतंकवाद और अन्य सुरक्षा खतरों के मद्देनज़र लिया गया है। अमेरिकी सरकार के अनुसार, यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देने की नीति के तहत उठाया गया है। जिन देशों के नागरिकों पर अमेरिका में घुसने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है, उनमें अफगानिस्तान, म्यांमार, चाड, कांगो गणराज्य, इक्वेटोरियल गिनी, इरिट्रिया, हैती, ईरान, लीबिया, सोमालिया, सूडान और यमन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, बुरुंडी, क्यूबा, लाओस, सिएरा लियोन, टोगो, तुर्कमेनिस्तान और वेनेजुएला के नागरिकों पर आंशिक प्रतिबंध लगाए गए हैं। इन देशों के कुछ वर्गों को विशेष जांच और सीमित वीज़ा की नीति के तहत अमेरिका में प्रवेश की अनुमति दी जा सकती है। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले पर दुनियाभर में प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है, जहां कुछ इसे सुरक्षा के लिहाज़ से ज़रूरी कदम मान रहे हैं, वहीं कई देश इसे भेदभावपूर्ण और कठोर नीति कहकर आलोचना कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि हालिया यात्रा प्रतिबंधों को तय करते समय विदेश नीति, राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद-रोधी उद्देश्यों को प्राथमिकता दी गई है। ट्रंप प्रशासन का यह कदम देश की सीमाओं को और अधिक सुरक्षित बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि कई विदेशी नागरिक वीज़ा की अवधि समाप्त होने के बाद भी अमेरिका में अवैध रूप से रह जाते हैं, जो सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय है। अब इस पर भी सख्ती से निगरानी रखी जाएगी और उल्लंघन करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह नई यात्रा नीति 9 जून से प्रभावी हो जाएगी। इससे पहले ही 12 देशों के नागरिकों पर पूर्ण और 7 देशों पर आंशिक प्रतिबंध लगाने की घोषणा की जा चुकी है। ट्रंप के इस फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा तेज हो गई है, जहां कुछ देश इसे सुरक्षा का आवश्यक उपाय बता रहे हैं, वहीं कई मानवाधिकार संगठनों ने इसे भेदभावपूर्ण और आप्रवासियों के अधिकारों के खिलाफ बताया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा हाल ही में घोषित यात्रा प्रतिबंध कोई पहला मौका नहीं है जब उन्होंने ऐसा कठोर कदम उठाया हो। इससे पहले भी, ट्रंप अपने कार्यकाल के दौरान इसी तरह के विवादास्पद फैसले ले चुके हैं। वर्ष 2017 में राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद ट्रंप ने कई मुस्लिम-बहुल देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था। उस फैसले ने वैश्विक स्तर पर भारी विरोध झेला और हजारों पर्यटक, व्यवसायी और छात्र मुश्किल में पड़ गए थे। कई लोगों को अमेरिका की यात्रा पूरी किए बिना ही हवाई अड्डों से वापस भेज दिया गया था। उस समय प्रशासन ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि वीज़ा की शर्तों का उल्लंघन करने या अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कई मामलों में ऐसे लोगों को देश से निर्वासित भी किया गया। अब, 2025 में फिर से उसी तरह के प्रतिबंधों की वापसी ने न केवल पुराने जख्मों को ताजा कर दिया है, बल्कि अमेरिका की आप्रवासन नीति को लेकर एक बार फिर बहस छेड़ दी है।
पब्लिश्ड 5 June 2025 at 11:14 IST