Published 09:56 IST, August 30th 2024
जहां रूस ने वर्ल्ड वॉर-2 में जर्मन सेना को हराया, वहां यूक्रेन ने पलटी बाजी; पुतिन के लिए बड़ी हार
यूक्रेनी सेना 6 अगस्त को रूस के कुर्स्क क्षेत्र में घुसी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ये पहली बार है जब किसी देश की सेना ने रूस के इस इलाके में कब्जा किया।
Russia Ukraine War: यूक्रेन के बारे में कहा जाता था कि ये मुल्क परमाणु संपन्न रूस के सामने टिक नहीं पाएगा, लेकिन बुलंद हौसलों के साथ यूक्रेन करीब दो साल पहले युद्ध के मैदान में टिका है। फिलहाल यूक्रेन ने रूस पर ऐसा प्रहार किया है, जिसका अंदाजा व्लादिमीर पुतिन को भी शायद नहीं था।एक आश्चर्यजनक आक्रमण में यूक्रेन ने रूस के कुर्स्क क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। कुर्स्क वो क्षेत्र है, जहां रूस ने 1943 के दूसरे विश्व युद्ध में जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर की सेना को मात दी थी और जीत का स्वाद चखा था। हालांकि यूक्रेन ने दूसरे विश्व युद्ध के बाद से पहली बार किसी देश ने रूस या तत्कालीन सोवियत संघ की उस जमीन पर पहला जमीनी आक्रमण करते हुए कब्जा किया है।
यूक्रेनी सेना 6 अगस्त को रूस के कुर्स्क क्षेत्र में घुसी। आक्रमण की योजना पूरी गोपनीयता से बनाई गई थी। सैन्य गतिविधियों को ऐसे दिखाया गया, मानो यूक्रेन के अंदर एक अभ्यास चल रहा है। रूस उस क्षेत्र की रक्षा करने के लिए तैयार नहीं था, क्योंकि उसे भनक तक नहीं लग रही थी कि यूक्रेन यहां कुछ बड़ा कर भी सकता है। कुर्स्क पर ध्यान ना देकर रूस यूक्रेन के उन हिस्सों में लड़ाई लड़ता रहा, जिन्हें उसने अपने कब्जे में ले रखा है। इधर, यूक्रेन की सेना कुर्स्क में इमारत दर इमारत कब्जा करती चली गई। 16 अगस्त को यूक्रेनी सेना ने सीमा पार दो पुलों को नष्ट किया। 19 अगस्त को एक और पुल पर हमला किया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की के अनुसार, 19 अगस्त तक उनकी सेना कुर्स्क में 92 बस्तियों और 1250 वर्ग किलोमीटर रूसी क्षेत्र पर नियंत्रण कर चुकी थी।
कुर्स्क शहर के बारे में
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ये पहली बार है, जब किसी देश की सेना ने रूस के इस इलाके में कब्जा किया। कुर्स्क रूस के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण इलाका है और उसके लिए ये गौरव करने वाले इतिहास का भी हिस्सा है। कुर्स्क, पश्चिमी रूस के कुर्स्क ओब्लास्ट (क्षेत्र) का शहर और प्रशासनिक केंद्र भी है। ये मॉस्को से लगभग 280 मील (450 किमी) दक्षिण में ऊपरी सीम नदी के किनारे बसा है। कुर्स्क रूस के सबसे पुराने शहरों में से एक है। इसका उल्लेख पहली बार 1032 के दस्तावेजों में किया गया था। कुर्स्क के उद्योगों में मशीनरी, फूड प्रोसेसिंग और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और सिंथेटिक फाइबर का निर्माण शामिल है। 1979 में एक बड़ा परमाणु ऊर्जा स्टेशन भी बना। 2006 के अनुसार के मुताबिक, इस शहर की जनसंख्या 4 लाख से ऊपर है।
कुर्स्क की लड़ाई
द्वितीय विश्व युद्ध में कुर्स्क के आसपास भयंकर लड़ाई हुई और शहर को बहुत नुकसान हुआ। जुलाई-अगस्त 1943 में कुर्स्क की लड़ाई, द्वितीय विश्व युद्ध में सबसे बड़ी टैंक लड़ाई थी और ये जर्मनों की हार के साथ खत्म हुई। जर्मनों ने उत्तर और दक्षिण दोनों तरफ से सैलिएंट पर एक आश्चर्यजनक हमले की योजना बनाई, ताकि सोवियत संघ की सेना को घेर कर नष्ट किया जा सके। जर्मन हमलावर बलों में लगभग 50 डिवीजन शामिल थे, जिनमें 900,000 सैनिक थे, जिनमें 17 मोटर चालित या बख्तरबंद डिवीजन शामिल थे, जिनमें 2,700 टैंक और मोबाइल हमला बंदूकें थीं। लेकिन सोवियत ने जर्मन हमले का पहले ही अनुमान लगा लिया था और सैलिएंट के भीतर स्पष्ट रूप से खतरे वाले स्थानों से अपने मुख्य बलों को वापस ले लिया था।
जर्मनों ने 5 जुलाई को अपना हमला शुरू किया, लेकिन उन्हें जल्द ही गहरी एंटीटैंक सुरक्षा और बारूदी सुरंगों का सामना करना पड़ा, जिन्हें सोवियत ने हमले की आशंका में बनाया था। जर्मन उत्तर में मुख्य भाग में केवल 10 मील (16 किमी) और दक्षिण में 30 मील (48 किमी) आगे बढ़े, इस प्रक्रिया में उनके कई टैंक खो गए। 12 जुलाई को लड़ाई के चरम पर, सोवियत संघ के सैनिकों ने जवाबी हमला करना शुरू कर दिया, तब तक उन्होंने सैनिकों और टैंकों दोनों का एक बड़ा बहुमत बना लिया था। कुर्स्क की लड़ाई इतिहास की सबसे बड़ी टैंक लड़ाई थी। इसने पूर्वी मोर्चे पर जर्मन आक्रामक क्षमता का निर्णायक अंत किया था।
Updated 09:56 IST, August 30th 2024