अपडेटेड 29 August 2024 at 15:08 IST
ट्रूडो के तुगलकी फरमान से कनाडा में बवाल, सड़कों पर उतरे विदेशी छात्र, भारतीयों की बढ़ेगी मुश्किलें
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के एक फरमान ने वहां रहे भारतीय छात्रों से लेकर कामगरों तक को चिंता में डाल दिया है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने एक पोस्ट ने वहां रहने वाले विदेशी छात्रों की मुश्किलें खड़ी कर दी। कनाडा में पढ़ाई करने वाले भारतीय छात्रों और कामगारों को भी अपने भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है। भविष्य को लेकर संकट खड़ा होता देख विदेश छात्र कनाड़ा की सड़कों पर उतरे और ट्रूडो के तुगलकी फरमान के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया।
दरअसल, कनाडाई पीएम ट्रूडो ने बीते दिनों बताया कि वह विदेशी कामगारों की संख्या सीमित करने फैसले पर विचार कर रहे हैं। ट्रूडो ने X पोस्ट में लिखा, सरकार कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी कर्मचारियों की संख्या कम करने जा रही है, उन्होंने दलील दी कि लेबर मार्केट काफी बदल चुका और अब समय है कि कनाडा के उद्योग स्थानीय श्रमिकों और युवाओं में निवेश करें। ट्रूडो ने कनाडा के इमिग्रेशन पॉलिसी में भी बदलाव का ऐलान किया है।
ट्रूडो के तुगलकी फरमान से कनाड़ा में बवाल
अब ट्रूडो के फैसलों के खिलाफ हजारों की संख्या में विदेशी छात्र कनाड़ा की सड़कों पर उतर आए हैं। कनाडा के कई शहरों में भारतीय छात्र ट्रूडो सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। हाथ में बैनर-पोस्टर लेकर छात्र सड़कों पर उतर आए हैं। इस फैसले से छात्रों और कामगारों को न सिर्फ रोजगार छिन जाने का डर सता रहा है बल्कि छात्रों को भारत डिपोर्ट किए जाने का भी चिंता हो रही है।
कनाडा की सड़कों पर उतरे विदेशी छात्र
रिपोर्टस के मुताबिक, ट्रूडो सरकार के इस फैसले से 70 हजार ग्रेजुएट छात्रों पर डिपोर्टेशन का खतरा मंडरा रहा है। यह वही कनाडा है जहां कुछ साल पहले तक किसी कॉलेज में दाखिला लेने का मतलब था वर्क परमिट और फिर स्थायी निवास का रास्ता साफ होना। हजारों भारतीय छात्र ऐसे कॉलेज दाखिला लेते थे,जिन्हें डिग्री मिल भी कहा जाता था। यहां पढ़ाई और रोजगार के लिए आने वाले ज्यादातर भारत के पंजाब प्रांत के होते हैं। जिन्हें समय के साथ स्थायी निवास और फिर नागरिकता मिल जाती थी।
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ट्रूडो के फैसले से निर्वासन का खतरा
अब अप्रवासी विरोधी नीतियों के बाद ट्रूडो सरकार के इस फैसले ने निर्वासन का खतरा बढ़ा दिया है। कनाडा इन दिनों बेरोजगारी और सुस्त अर्थव्यवस्था से जूक्ष रहा है। इस बीच आप्रवासन को लेकर लोगों के विरोध का सामना कर रही प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली सरकार ने अस्थायी विदेशी कामगारों की संख्या सीमित करने का फैसला लिया है।
बेरोजगारी बड़ा चुनावी मुद्दा
अप्रवासियों को बढ़ती आबादी और स्थानीय लोगों को रोजगार की कमी ट्रूडो सरकार के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकती है। कनाडा में अगले साल चुनाव होने हैं, लिहाजा स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आवास की कमी एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। यही वजह है कि ट्रूडो सरकार अस्थायी रेसिडेंट और विदेशी श्रमिकों की संख्या को कम करना चाहती है।
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Published By : Rupam Kumari
पब्लिश्ड 29 August 2024 at 14:35 IST