अपडेटेड 26 June 2025 at 16:46 IST
Shubhanshu Shukla Axiom-4 : भारतीय का अंतरिक्ष में परचम, स्पेस सेंटर पहुंचा शुभांशु का यान, 14 दिनों तक वहीं रहेंगे
Ax-4 Mission Docking : भारत के शुभांशु शुक्ता के साथ 4 एस्ट्रोनॉट 14 दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे। उनका यान 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से 418 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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Shubhanshu Shukla axiom 4 mission : भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में पहुंचकर इतिहास रच दिया है। शुभांशु के साथ 4 एस्ट्रोनॉट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में पहुंचे हैं। तय समय सीमा से 40 मिनट पहले ही शुभांशु का यान अंतरिक्ष पहुंच गया है और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन में एक्सिओम-4 (Ax-4) मिशन की डॉकिंग प्रक्रिया जारी है।
ड्रैगन कैप्सूल तय समय से 20 मिनट पहले डॉक हुआ है। क्रू के ISS में प्रवेश करने से पहले 1-2 घंटे तक ड्रैगन कैप्सूल की जांच होगी, जिसमें हवा का रिसाव और दबाव की स्थिरता देखी जाएगी। शुभांशु के साथ 4 एस्ट्रोनॉट 14 दिन तक अंतरिक्ष में रहेंगे। उनका यान 28,000 किमी/घंटा की रफ्तार से 418 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है।
यहां देखिए Live डॉकिंग
डॉकिंग प्रक्रिया क्या होती है?
डॉकिंग प्रक्रिया वह तकनीक है जिसमें एक अंतरिक्ष यान को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन या किसी दूसरे अंतरिक्ष यान से जोड़ा जाता है। इसे आसान शब्दों में समझें तो यह ऐसा है जैसे दो गाड़ियों को बहुत सावधानी से एक-दूसरे से जोड़ना, लेकिन ये काम अंतरिक्ष में होता है जहां दोनों बहुत तेजी से घूम रहे होते हैं।
इस प्रक्रिया में सबसे पहले अंतरिक्ष यान को ISS के करीब लाया जाता है, इसके लिए सटीक गति और दिशा का नियंत्रण बहुत अधिक जरूरी है। इसके बाद यान को ISS के डॉकिंग पोर्ट (एक खास जगह) के साथ बिल्कुल सही स्थिति में लाया जाता है। दोनों के बीच एक मजबूत और सुरक्षित कनेक्शन बनाया जाता है, ताकि अंतरिक्ष यात्री और सामान एक से दूसरे में जा सकें। इसके बाद यह सुनिश्चित किया जाता है कि कनेक्शन हवा-रोधक है, ताकि हवा बाहर न जाए। यह सब बहुत सटीकता और तकनीक के साथ होता है, क्योंकि अंतरिक्ष में छोटी सी गलती भी खतरनाक हो सकती है। इस मिशन में शुभांशु और कमांडर पेगी व्हिटसन इसकी निगरानी कर रहे हैं।
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करेंगे 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग
शुभांशु शुक्ला ने 25 जून, 2025 को दोपहर 12:01 बजे (IST) SpaceX के फाल्कन-9 रॉकेट से फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से अपनी यात्रा शुरू की थी। शुभांशु और उनकी टीम 14 दिनों तक ISS पर 60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे, जिनमें 7 भारतीय प्रयोग भी शामिल हैं। ये प्रयोग माइक्रोग्रैविटी में जीव विज्ञान, कृषि और मानव अनुकूलन पर केंद्रित हैं। इन प्रयोगों में मूंग और मेथी के बीजों का विकास, साइनोबैक्टीरिया का अध्ययन और टार्डिग्रेड्स पर शोध शामिल है। यह मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम के लिए भी महत्वपूर्ण है।
शुभांशु शुक्ला ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय और राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 26 June 2025 at 16:26 IST