अपडेटेड 18 September 2025 at 10:08 IST
EXPLAINER/ पाकिस्तान पर हमले का जवाब क्यों देगा सऊदी अरब? जानिए इस डिफेंस डील के लिए कैसे राजी हो गए क्राउन प्रिंस; क्या भारत का कोई एंगल है?
Saudi Arab Pakistan Defence Deal: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए हालिया रक्षा समझौते ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। इस समझौते की अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि किसी एक देश पर हमला, दोनों देशों पर हमला माना जाएगा।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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Saudi Arab Pakistan Defence Deal: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए हालिया रक्षा समझौते ने अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। इस समझौते की अहमियत इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि इसमें साफ तौर पर कहा गया है कि किसी एक देश पर हमला, दोनों देशों पर हमला माना जाएगा।
यानी, अगर पाकिस्तान पर कोई बाहरी हमला होता है तो सऊदी अरब उसकी रक्षा में खड़ा होगा और अगर सऊदी को खतरा होता है तो पाकिस्तान उसका सैन्य सहयोगी बनेगा। इसे दो देशों के बीच नाटो-शैली की सुरक्षा गारंटी के तौर पर देखा जा रहा है। पाकिस्तान की मंशा इस डील को लेकर साफ समझी जा सकती है।
हाल ही में भारत के खिलाफ "ऑपरेशन सिंदूर" की कार्रवाई ने पाकिस्तान को गहरे झटके दिए। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तरह पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त किया, उससे पाकिस्तान की सुरक्षा कमजोरी सामने आई। ब्रह्मोस मिसाइलों के इस्तेमाल और भारत की आक्रामक रणनीति ने इस्लामाबाद को इस निष्कर्ष पर पहुंचा दिया कि अकेले अपने दम पर वह भारत का सामना नहीं कर सकता। ऐसे में उसके लिए जरूरी हो गया कि वह एक मजबूत सहयोगी को अपने साथ जोड़े। यही कारण है कि पाकिस्तान ने सऊदी अरब की ओर हाथ बढ़ाया।
सऊदी अरब की मजबूरी
सवाल यह है कि ऐसा समझौता सऊदी अरब ने क्यों किया, जबकि वह दुनिया का सबसे तेल सम्पन्न देश है और दशकों से अमेरिका का करीबी सहयोगी रहा है। असल कारण यह है कि पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका पर सऊदी भरोसा खोता दिख रहा है। वॉशिंगटन सऊदी पर यह दबाव बना रहा है कि वह इजरायल के साथ रिश्ते सामान्य करे। वहीं गाजा युद्ध के दौरान अमेरिका ने सऊदी को संतुष्टि देने वाले कदम नहीं उठाए।
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सऊदी को यह एहसास होने लगा कि उसकी सुरक्षा की गारंटी केवल अमेरिका पर निर्भर नहीं रह सकती। खासकर कतर की राजधानी दोहा में हाल ही में इजरायल की ओर से हमास नेताओं पर किए गए हमले ने रियाद की चिंता और बढ़ा दी। अमेरिका ने इस हमले की आलोचना जरूर की, लेकिन निर्णायक कदम उठाने से बचा रहा। यही वजह है कि मोहम्मद बिन सलमान ने सुरक्षा का नया फॉर्मूला अपनाने का मन बनाया।
डील के पीछे पांच बड़े कारण
सऊदी अरब के लिए पाकिस्तान संग इस रक्षा समझौते के पांच प्रमुख कारण बताए जा रहे हैं:
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- इजरायल द्वारा दोहा में किया गया हमला, जिसने सऊदी की सुरक्षा चिंता बढ़ा दी।
- ईरान और सऊदी अरब के बीच चले आ रहे तनावपूर्ण रिश्ते।
- अमेरिका की सुरक्षा गारंटी पर अब भरोसा न होना।
- पाकिस्तान का परमाणु हथियार संपन्न देश होना।
- इस्लामी देशों को एकजुट करने की रणनीति।
रणनीतिक सहयोग का नया रूप
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान और सऊदी अरब एक-दूसरे के करीब आए हों। पाकिस्तान लंबे समय से सऊदी का सैन्य सहयोगी रहा है और रियाद ने इस्लामाबाद को आर्थिक मदद भी दी है। लेकिन मौजूदा हालात में यह सहयोग सिर्फ आर्थिक या सैन्य समझौते तक सीमित नहीं है, बल्कि सीधा सुरक्षा गारंटी तक जा पहुंचा है।
भविष्य में यह समझौता मिडिल ईस्ट और साउथ एशिया के शक्ति समीकरण को प्रभावित करेगा। भारत के लिए यह डील एक नई चुनौती पेश करेगी, क्योंकि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता है तो सऊदी अरब का अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप संभव है। वहीं दूसरी ओर, इजरायल और ईरान के विरोधी खेमे भी इस गठजोड़ से नए सिरे से अपनी रणनीति गढ़ने को मजबूर होंगे।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 18 September 2025 at 10:08 IST