अपडेटेड 8 June 2025 at 20:25 IST
Air Defense System In Mecca : इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र शहरों में से एक सऊदी अरब के मक्का में मिसाइल डिफेंस तैनात किया गया है। दुनिया भर से लाखों मुस्लिम हर साल हज और उमरा के लिए मक्का जाते हैं। अंदाजा है कि इस साल भी करीब 16 लाख मुस्लिम मक्का जा सकते हैं। हज यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सऊदी अरब सरकार ने शहर में अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम (Us Patriot Air Defense Systems) को तैनात किया है।
सऊदी अरब में हज यात्रा की शुरुआत हो चुकी है, इसलिए दुनिया भर से आ रहे हजयात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए ये कदम उठाया गया है। सऊदी प्रशासन ने मक्का की सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस तैनात करने की आधिकारिक घोषणा की है। तस्वीरें जारी करते हुए लिखा है- 'एक आंख जो कभी नहीं सोती, इसका मिशन खुदा के मेहमानों की हिफाजत करना है'
हजयात्रियों की सुरक्षा में तैनात एयर डिफेंस सिस्टम ड्रोन, मिसाइल और फाइटर जेट का हमला रोकने में सक्षम है। इसके अलावा पूरे मक्का शहर में सुरक्षा काफी बढ़ा दी गई है। मस्जिद अल-हरम की सैन्य हेलीकॉप्टर से निगरानी हो रही है। माना जा रहा, एयर डिफेंस की तैनाती हूतियों के खिलाफ हुई है। हूती मुस्लिम देश यमन का एक इस्लामिक विद्रोही संगठन है। इस विद्रोही संगठन में शिया मुस्लिम लड़ाके शामिल हैं। हूती विद्रोही यमन की सरकार के खिलाफ युद्ध लड़ रहे हैं।
2016 में हूती विद्रोहियों पर मक्का में मिसाइल अटैक के आरोप लगे थे। हालांकि, एयर डिफेंस सिस्टम ने 65 किलोमीटर पहले ही मिसाइल को मार गिराया था। मुस्लिम देश सऊदी अरब हूती विद्रोहियों के टारगेट पर है। इसीलिए सऊदी प्रशासन ने हजयात्रा के बीच एयर डिफेंस की तैनाती की है। इसके अलावा हूतियों का टारगेट अमेरिका और इजरायल जैसे देश भी हैं।
पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम को अमेरिका ने विकसित किया है। ये जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है। इसकी क्षमता इतनी है कि बैलिस्टिक मिसाइलों का हमला भी नाकाम किया जा सकता है। क्रूज मिसाइल, ड्रोन और लड़ाकू विमान को टारगेट बनाने में सक्षम है। ये प्रणाली 100 लक्ष्यों पर एकसाथ नजर रख 160 किलोमीटर दूर से ध्वस्त कर सकती है।
इस एक अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम की कीमत करीब 8 हजार 500 करोड़ रुपये है और इसमें इस्तेमाल होने वाले एक मिसाइल की कीमत करीब 25 करोड़ रुपये है। अमेरिका का दावा है कि करीब 19 देश इसका इस्तेमाल करते हैं। इनमें खुद अमेरिका, इजरायल और यूरोप के कई देश शामिल हैं।
सऊदी अरब और हूतियों के बीच की दुश्मनी मुख्यतौर पर यमन के गृहयुद्ध और राजनीति से जुड़ी है। 2015 में हूतियों ने यमन की राजधानी सना (Sanaa) पर कब्जा कर राष्ट्रपति अब्दराबूह मंसूर हादी को सत्ता से बेदखल कर दिया था। हादी सुन्नी मुस्लिम बहुल देश सऊदी अरब का समर्थक था। सऊदी यमन पर अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए हादी को महत्वपूर्ण मानता था। इसीलिए सैन्य गठबंधन बनाकर हूतियों पर अटैक किया, जिसके बाद से सऊदी अरब और हूती विद्रोहियों के बीच तनाव जारी है।
इस विवाद एक दूसरा कारण ईरान है, जो हूतियों का समर्थक माना जाता है। ईरान शिया मुस्लिम बहुल देश है और सऊदी अरब का क्षेत्रीय प्रतिद्वंदी है। ईरान पर हूतियों को फंडिंग करने के आरोप भी लगते रहते हैं।
पब्लिश्ड 8 June 2025 at 20:25 IST