अपडेटेड 13 August 2024 at 21:22 IST
बांग्लादेश से जान बचाकर भागने के बाद शेख हसीना का पहला बयान, बोलीं- देशवासियों, आपसे 15 अगस्त को...
Bangladesh: बांग्लादेश से जान बचाकर भागने के बाद शेख हसीना का पहला बयान सामने आया है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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Bangladesh: बांग्लादेश से जान बचाकर भागने के बाद शेख हसीना का पहला बयान सामने आया है। इस बयान को शेख हसीना के बेटे साजिब वाजिद ने अपने एक्स अकाउंट पर पोस्ट किया है।
इस बयान में शेख हसीना ने अपील की है कि 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस को उचित गरिमा और गंभीरता के साथ मनाया जाए। इसमें लिखा है- बंगबंधु भवन में पुष्प माला चढ़ाकर और प्रार्थना कर सभी आत्माओं की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
पोस्ट में क्या लिखा है?
साजिब वाजिद के पोस्ट के अनुसार, भाइयों और बहनों, 15 अगस्त 1975 को बांग्लादेश के राष्ट्रपति बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की निर्मम हत्या कर दी गई थी। मेरे मन में उनके प्रति गहरा सम्मान है। उसी समय मेरी मां बेगम फजीलतुन्नैसा, मेरे तीन भाई स्वतंत्रता सेनानी कैप्टन शेख कमाल, स्वतंत्रता सेनानी लेफ्टिनेंट शेख जमाल, कमाल और जमाल की नवविवाहिता दुल्हन सुल्ताना कमाल और रोजी जमाल, मेरा छोटा भाई जो केवल 10 वर्ष का था, ने शेख रसेल की बेरहमी से हत्या कर दी। मेरे एकमात्र चाचा स्वतंत्रता सेनानी लकवाग्रस्त शेख नासिर, राष्ट्रपति के सैन्य सचिव ब्रिगेडियर जमील उद्दीन, पुलिस अधिकारी सिद्दीकुर रहमान की बेरहमी से हत्या कर दी गई। स्वतंत्रता सेनानी शेख फजलुल हक मोनी और उनकी गर्भवती पत्नी आरजू मोनी, कृषि मंत्री स्वतंत्रता सेनानी अब्दुर रब सरनियाबाद, उनके 10 वर्षीय बेटे आरिफ 13 वर्षीय बेटी बेबी, 4 वर्षीय पोते सुकांत, भाई के बेटे स्वतंत्रता सेनानी पत्रकार शहीद को सलाम सरनियाबाद, भतीजे रेंटू और कई अन्य लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई। 15 अगस्त को शहीद हुए सभी लोगों की आत्मा को शांति मिले और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।
पिछले जुलाई से अब तक आंदोलन के नाम पर तोड़फोड़, आगजनी और हिंसा में कई लोगों की जान जा चुकी है। छात्र, शिक्षक, पुलिस यहां तक कि आंतरिक महिला पुलिस, पत्रकार, सांस्कृतिक कार्यकर्ता, कामकाजी लोग, अवामी लीग और संबद्ध संगठन के नेता, कार्यकर्ता, पैदल यात्री और विभिन्न संस्थानों के कार्यकर्ता जो आतंकवादी हमले का शिकार होकर मारे गए हैं, मैं शोक व्यक्त कर रही हूं और उनके लिए प्रार्थना कर रही हूं।
पोस्ट में आगे लिखा है कि मेरे जैसे उन लोगों के प्रति मेरी संवेदनाएं जो किसी प्रियजन को खोने के दर्द के साथ जी रहे हैं। मैं मांग करती हूं कि इन हत्याओं और बर्बरता में शामिल लोगों की उचित जांच की जाए और दोषियों की पहचान कर उन्हें उचित सजा दी जाए।'
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शेख हसीना ने बयां किया अपना दर्द
मैं आपसे 15 अगस्त को राष्ट्रीय शोक दिवस को उचित गरिमा और गंभीरता के साथ मनाने की अपील करती हूं। बंगबंधु भवन में पुष्प माला चढ़ाकर और प्रार्थना कर सभी आत्माओं की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।
शेख हसीना के मुताबिक, हम दो बहनों ने 15 अगस्त, 1975 को धनमंडी बंगबंधु भवन में हुई नृशंस हत्याओं की याद रखने वाले उस घर को बंगाल के लोगों को समर्पित किया। एक स्मारक संग्रहालय बनाया गया था। देश के आम लोगों से लेकर देश-विदेश के गणमान्य लोग इस सदन में आ चुके हैं। यह संग्रहालय आजादी का स्मारक है। बांग्लादेश विश्व में विकासशील देश का दर्जा प्राप्त कर चुका है। आज धूल भरी है, और जो स्मृति हमारे जीवित रहने का आधार थी, वह जलकर राख हो गयी है। राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान, जिनके नेतृत्व में हमने एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में आत्म-सम्मान प्राप्त किया, अपनी पहचान पाई और एक स्वतंत्र देश प्राप्त किया, उनका घोर अपमान किया गया है। उन्होंने लाखों शहीदों के खून का अपमान किया। मैं देशवासियों से न्याय चाहती हूं।
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Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 13 August 2024 at 21:14 IST