अपडेटेड 26 October 2025 at 11:15 IST

इस देश में पहली बार मच्छर दिखने से टेंशन में आए वैज्ञानिक, क्लाइमेट चेंज या फिर बीमारी? हैरान कर देगी वजह

इस देश में पहली बार मच्छरों की प्रजाति की खोज से वैज्ञानिकों में चिंता बढ़ गई है। मच्छरों की यह प्रजाति ठंडे मौसम में भी जीवित रह सकती है और संभावित रूप से कुछ खतरनाक बीमारियों को फैला सकती है।

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इस देश में पहली बार मिले मच्छर | Image: Pixabay/Fb

Mosquito News: भारत में मच्छरों का दिखना आम बात है, लेकिन कई देश ऐसे हैं जहां मच्छर नहीं दिखते। खासकर ठंडे इलाकों में लेकिन आज हम जिस देश की बात करने जा रहे हैं वहां मच्छर नहीं होते हैं। इसलिए जब इस देश के नागरिक ने पहली बार मच्छर देखा तो उसने अपने घर पर मच्छर की तस्वीर ले ली। इसके बाद हड़कंप मच गया कि ठंड़े इलाके में मच्छर कैसे आ सकता है। फिर उस मच्छर को लेकर विज्ञानिकों ने  पुष्टि की है कि ये एक अलग किस्म की प्रजाति वाला मच्छ है। 

यहां बात हो रही है आइसलैंड देश की जहां पहली बार मच्छरों की प्रजाति की खोज से वैज्ञानिकों में चिंता बढ़ गई है। आइसलैंड के राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान के कीटविज्ञानी मैथियास अल्फ्रेडसन ने पुष्टि की है कि यह मच्छरों की प्रजाति कुलीसेटा एनुअलाटा है, जो ठंडे मौसम में भी जीवित रह सकती है।

मच्छरों की प्रजाति और उनके प्रभाव

कुलीसेटा एनुअलाटा मच्छरों की एक प्रजाति है जो यूरोप के उत्तरी क्षेत्रों में पाई जाती है। यह प्रजाति ठंडे मौसम में भी जीवित रह सकती है और संभावित रूप से बीमारियों को फैला सकती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रजाति हाल ही में आइसलैंड में आई हो सकती है, जो संभव है कि जहाजों या कंटेनरों के माध्यम से आई होगी।

इन मच्छरों की प्रजाति पर रखी जाएगी नजर

जलवायु परिवर्तन के कारण आइसलैंड में मच्छरों की प्रजाति के लिए अनुकूल परिस्थितियां बन सकती हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि गर्म जलवायु और उच्च आर्द्रता मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल वातावरण बना सकती है, जिससे संक्रामक मच्छर जनित बीमारियां फैल सकती हैं।

आइसलैंड के राष्ट्रीय विज्ञान संस्थान के कीटविज्ञानी मैथियास अल्फ्रेडसन ने कहा है कि आगे की कार्रवाई में मच्छरों की प्रजाति की निगरानी करना और यह पता लगाना शामिल होगा कि क्या यह प्रजाति आइसलैंड में स्थापित हो गई है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि हम मच्छरों की प्रजाति की निगरानी करें और उनके प्रजनन स्थलों को नियंत्रित करने के लिए कदम उठाएं। 

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 26 October 2025 at 11:15 IST