अपडेटेड 30 April 2025 at 21:40 IST

AI का चमत्कार... बंद हो गई थी आवाज; Elon Musk के ब्रेन इम्प्लांट का कमाल, दोबारा बोलने लगा शख्स

एलन मस्क ने दावा किया है कि न्यूरालिंक की तकनीक भविष्य में न केवल शारीरिक अक्षमताओं को दूर करेगी, बल्कि मानव मस्तिष्क को AI के साथ जोड़कर क्षमताओं को बढ़ाएगी।

Man who lost his voice speaks again via Elon Musk brain implant Neuralink
Elon Musk के ब्रेन इम्प्लांट का कमाल, दोबारा बोलने लगा शख्स | Image: X/ALScyborg

आज के युग में तेजी से बढ़ती तकनीक ने मानव जीवन को पूरी तरह से बदलकर रख दिया है। यह न केवल हमारी दिनचर्या को सरल बना रही है, बल्कि असंभव लगने वाले कार्यों को भी संभव कर रही है। स्वास्थ्य, शिक्षा, संचार, परिवहन और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों में तकनीकी ने हमारे जीवन को पूरी तरह से बदल दिया है। अब तकनीक ने वो कर दिखाया है, जो अभी तक असंभव था।

आप कल्पना करें, किसी कारण आवाज चली जाए तो जीवन कितना मुश्किल हो जाएगा? अपनी आवाज खो देने के बाद फिर से खुद को बोलते हुए सुनना अद्भुत एहसास होगा। एलन मस्क के ब्रेन इम्प्लांट ने ब्रैडफोर्ड जी स्मिथ (Bradford G Smith) के जीवन को खुशियों से भर दिया है। स्मिथ, दुनिया के तीसरे व्यक्ति और ALS से पीड़ित एकमात्र व्यक्ति हैं, जिन्हें एलन मस्क का न्यूरालिंक ब्रेन इम्प्लांट (Neuralink brain implant) मिला है। स्मिथ न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर (Neurodegenerative Disorder) के कारण अपनी पुरानी आवाज खो चुके थे, लेकिन अब वे फिर से AI की मदद से अपनी आवाज में बोल सकते हैं।

आवाज का बनाया AI क्लोन

ब्रैडफोर्ड का शरीर पूरा तरह लकवाग्रस्त है। आंख, मुंह और कोनों को छोड़कर वो अपने शरीर को हिलाने में असमर्थ हैं। उनकी आवाज खोने से पहले की रिकॉर्डिंग की मदद से AI क्लोन बनाया गया है। इसे सच कर दिखाया है एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक के क्रांतिकारी ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) ने। जिसकी मदद से स्मिथ ने फिर से बोलना शुरू किया है। उन्होंने अपनी इस प्रेरणादायक कहानी को खुद शेयर किया है।

ALS से पीड़ित हैं ब्रैडफोर्ड

ब्रैडफोर्ड जी स्मिथ ALS से पीड़ित हैं, यह एक न्यूरोडीजेनेरेटिव डिसऑर्डर है। ये मांसपेशियों को नियंत्रित करने वाले मोटर न्यूरॉन्स को मारता है, लेकिन दिमाग को प्रभावित नहीं करता है। इसका मतलब है कि ब्रैड लोगों की बात सुन सकते हैं और समझ सकते है कि वे क्या कह रहे हैं। लेकिन वोल नहीं सकते। वो कुछ साल पहले इस न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के शिकार हुए थे, जो कंधे की चोट से शुरू हुआ था।

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कैसे काम करता है इम्प्लांट?

न्यूरालिंक का इम्प्लांट दिमाग की गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है और इसे एक बाहरी डिवाइस के जरिए प्रोसेस करता है। यह तकनीक न केवल बोलने की क्षमता को बहाल कर सकती है, बल्कि लकवाग्रस्त लोगों को उपकरणों को नियंत्रित करने या कंप्यूटर के साथ संवाद करने में भी मदद कर सकती है। इस डिवाइस में 1024 इलेक्ट्रोड हैं, जो न्यूरॉन गतिविधि को कैप्चर करते हैं और इसे कंप्यूटर पर भेजते हैं। जहां AI डेटा को प्रोसेस करता है और रियल टाइम में ब्रैड की गतिविधियों को डिकोड करता है।

ब्रेन इम्प्लांट के माध्यम से, अपनी जीभ से कर्सर को नियंत्रित कर सकते है और अपने जबड़े को बंद करके 'क्लिक' कर सकते है। यह सफलता तब मिली जब इसे हाथों से नियंत्रित करने के शुरुआती प्रयास विफल हो गए। यह तकनीक उन्हें कंप्यूटर के माध्यम से बोलचाल करने में मदद करती है। ब्रैड ने अपने कामों को सरल बनाने के लिए Mac accessibility keyboard का उपयोग करके एक कस्टम कीपैड बनाया है। वो तेजी से अपनी बात रखने के लिए टूलबार और शॉर्टकट का भी उपयोग करते हैं। यह तकनीक उनके दिमाग के संकेतों को डिकोड करती है और उन्हें कृत्रिम आवाज में बदल देती है, जो उनके विचारों को शब्दों में व्यक्त करती है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 30 April 2025 at 21:40 IST