अपडेटेड 28 May 2025 at 15:04 IST
भारत ने पाकिस्तान के लिए की जलबंदी... तो क्या तिब्बत से निकलने वाली सिंधु नदी का पानी चीन रोक सकता है?
सिंधु नदी, जो हिमालय की गोद से निकलकर भारत और पाकिस्तान की लाइफलाइन कही जाती है, मौजूदा परिदृश्यों में भू-राजनीतिक तनाव का केंद्र बन गई है। यह नदी तिब्बत के मानसरोवर क्षेत्र से निकलती है जिस पर चीन का नियंत्रण है। हाल के दिनों में यह चिंता गहराई है कि अगर चीन सिंधु का जल प्रवाह रोक देता है, तो भारत की जल सुरक्षा पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों के आतंकी हमले के बाद भारत ने पहले तो पाकिस्तान के खिलाफ कई कड़े फैसले लिए जैसे कि 48 घंटे के भीरत सभी पाकिस्तानी भारत से बाहर निकल जाएं। सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया। पाकिस्तान की लाइफलाइन कही जाने वाली सिंधु नदी का पानी रोके जाने की बात सुनकर पाकिस्तान त्राहिमाम हो गया और पाकिस्तान नेताओं के 'नदी का पानी रोक तो हम खून की नदियां बहा देंगे' ऐसे बयान सामने आने लगे। वहीं इस बीच भारत ने अचानक से पानी भी रोक दिया और पाकिस्तानी आतंकी कैंपों पर 7 मई को 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाकर 9 आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया था। वहीं इस बीच सियासी गलियारों में इस बात की भी काना-फूसी भी होने लगी कि तिब्बत से होकर बहने वाली सिंधु नदी का पानी कहीं चीन तो नहीं रोक देगा। अगर चीन ऐसा करता है तो क्या होगा?
सिंधु नदी, जो हिमालय की गोद से निकलकर भारत और पाकिस्तान की लाइफलाइन कही जाती है, मौजूदा परिदृश्यों में भू-राजनीतिक तनाव का केंद्र बन गई है। यह नदी तिब्बत के मानसरोवर क्षेत्र से निकलती है जिस पर चीन का नियंत्रण है। हाल के दिनों में यह चिंता गहराई है कि अगर चीन सिंधु का जल प्रवाह रोक देता है, तो भारत की जल सुरक्षा पर गंभीर संकट खड़ा हो सकता है। इस आशंका ने भारत की रणनीतिक सोच को फिर से परिभाषित करने पर मजबूर कर दिया है। इस बीच, 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाक संबंधों को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया। हमले के ठीक अगले दिन, 23 अप्रैल को भारत ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई ऐतिहासिक सिंधु जल संधि को निलंबित करने का निर्णय लिया एक ऐसा कदम जो पहले शायद ही कभी उठाया गया था।
पीएम की सिंधुजल संधि पर पाकिस्तान को दो टूक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय को स्पष्ट रूप से यह कहते हुए सही ठहराया, 'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।' यह बयान न केवल पाकिस्तान के प्रति भारत की कड़ी नाराजगी को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि अब आतंकवाद के मुद्दे पर भारत पानी जैसे मूलभूत संसाधनों को भी कूटनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेगा। अब आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारत जल-नीति और क्षेत्रीय रणनीति को कैसे संतुलित करता है विशेष रूप से तब जब चीन और पाकिस्तान दोनों मोर्चों पर जल-संबंधित जोखिम बढ़ रहे हैं।
तिब्बत में चीन क्यों नहीं रोकेगा सिंधु का पानी
सिंधु नदी की शुरुआत तिब्बत से होती है, जो मौजूदा समय चीन के नियंत्रण में है। यह एक ऐसा तथ्य है जो भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऐसे समय में जब क्षेत्रीय तनाव और भू-राजनीतिक उलझनें बढ़ रही हैं, इस बात को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि सिंधु जैसी महत्वपूर्ण नदी का उद्गम स्थल किसी ऐसे देश में है जो भारत के प्रतिद्वंद्वियों के साथ लगातार सहयोग कर रहा है। हाल ही में, "ऑपरेशन सिंदूर" के दौरान, जब भारत आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपना रहा था, तब चीन ने पाकिस्तान को हरसंभव समर्थन देने की कोशिश की। ऐसे घटनाक्रमों से यह आशंका जन्म लेती है कि क्या चीन भविष्य में सिंधु नदी जैसे संसाधनों को भारत के खिलाफ रणनीतिक हथियार के रूप में उपयोग कर सकता है?
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जानिए एक्सपर्ट की राय
इस संदर्भ में, नई दिल्ली स्थित मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज़ एंड एनालिसिस के वरिष्ठ फेलो उत्तम कुमार सिन्हा में मीडिया को बताया, 'सैटेलाइट से प्राप्त चित्रों और अन्य उपलब्ध सूचनाओं के अनुसार, चीन फिलहाल सिंधु नदी पर कोई बांध नहीं बना रहा है।' सिन्हा आगे बताते हैं कि पाकिस्तान जल प्रबंधन के क्षेत्र में दुनिया के सबसे कमजोर देशों में से एक है, जबकि चीन बांध निर्माण और जल नियंत्रण में अत्यधिक दक्षता रखता है। उनके मुताबिक, भारत को परेशान करने के उद्देश्य से सिंधु नदी पर बांध बनाना चीन की योजना का हिस्सा नहीं लगता, क्योंकि इससे उसे कोई घरेलू लाभ नहीं मिलेगा। यह रणनीति व्यावहारिक नहीं होगी। विशेषकर तब, जब चीन की ऊर्जा और जल आवश्यकताएं मुख्यतः उसकी अन्य नदियों जैसे यांग्त्से और यारलुंग त्संगपो (ब्रह्मपुत्र) से पूरी होती हैं। हालांकि फिलहाल सिंधु नदी पर चीन द्वारा किसी प्रत्यक्ष हस्तक्षेप की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन भू-राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए भारत को सतर्क रहने की आवश्यकता है। जल संसाधनों की सुरक्षा अब केवल पर्यावरण या विकास का मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम पहलू बन चुका है।
सिंधु नदी का पानी रोकने से चीन को कोई फायदा नहीं
अब सबसे महत्वपूर्ण बात। तथ्य यह है कि सिंधु नदी तिब्बत से निकलती है। ऐसे में भारत के लिए यह कितनी बड़ी चिंता की बात है। क्योंकि,हाल में हम देख ही चुके हैं कि आतंकवाद का विरोध करके भी चीन ने ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान की हर संभव मदद की कोशिश की। इसपर नई दिल्ली के मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के सीनियर फेलो उत्तम कुमार सिन्हा का कहना है, ‘सैटेलाइट से मिली तस्वीरों और अन्य जानकारी के अनुसार चीन अभी तक सिंधु नदी पर बांध नहीं बना रहा है। पाकिस्तान दुनिया के सबसे खराब जल प्रबंधकों में से एक है। वहीं, चीन बांध बनाने में बहुत ही कुशल है। भारत को परेशान करने के लिए सिंधु नदी पर बांध बनाना शायद उसकी योजना में नहीं है, क्योंकि इससे उसे कोई घरेलू फायदा नहीं होगा।’
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 28 May 2025 at 15:04 IST