अपडेटेड 2 June 2025 at 16:14 IST
CDS अनिल चौहान की विदेशी धरती से पाकिस्तान को खरी-खरी, भारत की रेड लाइन कोई क्रॉस करेगा तो सबक सिखाएंगे
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू कर दिया जिसके अंतर्गत भारत ने पाकिस्तान में घुसकर 9 आतंकी कैंपों को तबाह कर दिया। अब सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग में भारत के सीडीएस अनिल चौहान ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ा है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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सिंगापुर में आयोजित शांगरी-ला डायलॉग, एशिया की प्रमुख सुरक्षा शिखर वार्ता में भारत और पाकिस्तान के बीच चली आ रही रणनीतिक प्रतिद्वंद्विता एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्पष्ट रूप से सामने आई। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने अपने संबोधन में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर कड़ा और स्पष्ट संदेश देते हुए दक्षिण एशिया में अस्थिरता फैलाने के लिए इस्लामाबाद की भूमिका पर सवाल उठाए। जनरल चौहान ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को दोहराते हुए कहा कि 'आतंक का कोई भी स्वरूप स्वीकार्य नहीं है', और क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने के लिए कठोर नीतिगत प्रतिक्रिया आवश्यक है। भारत ने इस मौके का उपयोग पाकिस्तान को वैश्विक समुदाय के समक्ष आतंकी सरपरस्त राष्ट्र के रूप में प्रस्तुत करने के लिए किया।
जवाबी प्रतिक्रिया में, पाकिस्तान ने भारत पर आक्रामक क्षेत्रीय रवैये और सैन्य उकसावे के आरोप लगाए, यह कहते हुए कि भारत की कार्रवाइयां दक्षिण एशिया में सुरक्षा संतुलन को बिगाड़ रही हैं। यह राजनयिक गतिरोध ऐसे समय सामने आया है जब 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव ने गंभीर रूप ले लिया। इस हमले के जवाब में भारत द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' शुरू किया गया, जिसे पाकिस्तान ने अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया। इस सैन्य कार्रवाई ने द्विपक्षीय संबंधों को लगभग युद्ध-स्तर की स्थिति तक पहुंचा दिया था। हालांकि, दोनों देशों ने 10 मई को संघर्षविराम (सीजफायर) पर सहमति जताई, जो एक कूटनीतिक सफलता के रूप में देखा गया, लेकिन उसके बाद की घटनाएं दिखाती हैं कि शांति अभी भी सतही और अस्थायी है।
कूटनीतिक मामले पर भारत-पाक में जारी है टकराव
शांगरी-ला डायलॉग में दोनों देशों की तीखी बयानबाज़ी इस बात का संकेत है कि युद्ध भले मैदान से हटा हो, लेकिन कूटनीतिक मोर्चे पर टकराव लगातार जारी है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति के विशेषज्ञों का मानना है कि भारत इस मंच का उपयोग आतंकवाद के मुद्दे को वैश्विक एजेंडे पर मजबूती से स्थापित करने और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की रणनीति के तहत कर रहा है। वहीं पाकिस्तान, खुद को भारत की सैन्य आक्रामकता का शिकार दिखाने की कोशिश कर रहा है। यह घटनाक्रम इस ओर इशारा करता है कि भारत-पाक संबंध एक बार फिर संवेदनशील मोड़ पर पहुंच गए हैं, जहां हर कूटनीतिक वक्तव्य और रणनीतिक संकेत क्षेत्रीय स्थिरता पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
पहलगाम हमले के बाद बढ़ा तनाव, भारत ने शुरू किया ऑपरेशन सिंदूर
यह पूरा घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब दोनों देशों के बीच हाल ही में 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से तनाव लगातार बढ़ रहा है। इस हमले का जवाब भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के रूप में दिया, जिसके बाद हालात युद्ध जैसे हो गए थे। इस ऑपरेशन को भारत ने आतंकी ढांचों पर एक सटीक सैन्य कार्रवाई बताया था। बढ़ते दबाव के बीच 10 मई को भारत और पाकिस्तान ने सीजफायर पर सहमति जताई थी, जिससे मैदान में भले ही गोलियों की आवाज थमी हो, लेकिन राजनयिक मोर्चे पर जंग अब भी जारी है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दोनों देश एक-दूसरे को घेरने और वैश्विक समर्थन जुटाने की कोशिशों में लगे हुए हैं।
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शांगरी-ला डायलॉग में भारत की तरफ से यह सख्त रुख यह संकेत देता है कि आतंकवाद के मसले पर भारत अब ना सिर्फ क्षेत्रीय स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी पाकिस्तान की भूमिका को बेनकाब करने की रणनीति पर काम कर रहा है। आने वाले समय में यह तनाव कूटनीतिक संबंधों और रक्षा नीति दोनों को गहराई से प्रभावित कर सकता है।
Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 2 June 2025 at 16:14 IST