अपडेटेड 1 June 2025 at 14:09 IST
भारत के सिंधु एक्शन पर सहमा पाकिस्तान, दो दिन में सूख गई चिनाब; गन्ना कपास और धान सहित सभी फसलों पर मंडरा रहे बर्बादी के बादल
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की पाकिस्तान पर की गई 'वॉटर स्ट्राइक' की यह कार्रवाई इशारा करती है कि भारत नदियों के जल को एक रणनीतिक हथियार के रूप में उपयोग कर सकता है, विशेषकर उन स्थितियों में जब सीमा पार आतंकवाद का जवाब देना हो।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने प्रतिक्रिया स्वरूप 'वॉटर स्ट्राइक' की रणनीति अपनाई है, जिससे पाकिस्तान में चिंता की लहर दौड़ गई है। पाकिस्तान ने आरोप लगाया है कि भारत ने चेनाब नदी में पानी का बहाव बड़ी मात्रा में घटा दिया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की जल और विद्युत विकास प्राधिकरण (WAPDA) ने जानकारी दी है कि पिछले दो दिनों में चिनाब नदी में पानी के बहाव में तीव्र गिरावट दर्ज की गई है। WAPDA के आंकड़ों के मुताबिक, 29 मई को माराला हेडवर्क्स पर पानी का बहाव 98,200 क्यूसेक था, जो एक जून तक घटकर मात्र 7,200 क्यूसेक रह गया। हालांकि भारत की ओर से इस कटौती पर आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन पाकिस्तान इसे भारत की एक रणनीतिक चेतावनी मान रहा है।
भारत की पाकिस्तान पर की गई 'वॉटर स्ट्राइक' की यह कार्रवाई इशारा करती है कि भारत नदियों के जल को एक रणनीतिक हथियार के रूप में उपयोग कर सकता है, विशेषकर उन स्थितियों में जब सीमा पार आतंकवाद का जवाब देना हो। इस घटनाक्रम ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के जल बंटवारे से जुड़े इंदुस जल संधि की प्रासंगिकता और उसकी सीमाओं को चर्चा में ला दिया है। भारत द्वारा सिंधु जल संधि (IWT) को ठंडे बस्ते में डालने के बाद पाकिस्तान में एक बार फिर जल संकट गहराता दिखाई दे रहा है। पाकिस्तान मौसम विभाग के फ्लड फोरकास्टिंग डिवीजन ने बताया है कि मई की शुरुआत में भी भारत की ओर से चिनाब नदी का पानी रोके जाने के कारण गंभीर जल कमी देखी गई थी।
23 अप्रैल को भारत ने दिखाई सख्ती
भारत ने 23 अप्रैल को ऐलान किया था कि वह अब सिंधु जल संधि को व्यवहार में नहीं लाएगा। भारत सरकार का यह रुख उस समय आया जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ। केंद्र सरकार का स्पष्ट कहना है, 'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।' यानी जब पाकिस्तान की सरज़मीं से आतंकवादी भारत में खून बहा रहे हों, तब पाकिस्तान को पानी देना राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है। यह पहली बार नहीं है जब भारत ने चिनाब नदी के बहाव को सीमित किया है। इससे पहले मई की शुरुआत में और हाल ही में 29 मई से एक जून के बीच पाकिस्तान के माराला हेडवर्क्स पर पानी का बहाव 98,200 क्यूसेक से गिरकर मात्र 7,200 क्यूसेक तक आ गया।
पाकिस्तान कृषि की धड़कन है चेनाब नदी
भारत की ओर से चेनाब नदी में पानी के बहाव को कम किए जाने के बाद पाकिस्तान में हड़कंप मच गया है। खासकर पंजाब प्रांत की खेती पर इसका गहरा असर पड़ रहा है, जहां चेनाब नदी को जीवनरेखा माना जाता है। भारत द्वारा सिंधु जल संधि को ठंडे बस्ते में डालने के बाद यह कदम पाकिस्तान के लिए दोहरी मार बनता जा रहा है। चेनाब नदी की अपर चेनाब और बीआरबी (बम्बावाली-रावी-बेडियन) जैसी नहरें पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हजारों एकड़ कृषि भूमि को सींचती हैं। पानी की निरंतर आपूर्ति इस क्षेत्र की खाद्य सुरक्षा और आजीविका का आधार है। लेकिन अब पानी के प्रवाह में आई तेज गिरावट ने फसल उत्पादन पर खतरे की घंटी बजा दी है।
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पाकिस्तान की लाइफ-लाइन है चेनाब नदी
भारत द्वारा चेनाब नदी के जल प्रवाह को सीमित करने के फैसले का असर अब पाकिस्तान के भीतर साफ़ तौर पर दिखाई देने लगा है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में बहने वाली यह नदी वहां की खेती-किसानी के लिए किसी जीवनरेखा से कम नहीं है। लेकिन जल प्रवाह की निरंतर कमी ने इस जीवनरेखा को संकट में डाल दिया है। चेनाब नदी से निकलने वाली अपर चेनाब और बीआरबी (बम्बावाली-रावी-बेडियन) जैसी नहरें हज़ारों एकड़ ज़मीन को सिंचाई का पानी मुहैया कराती हैं। इन क्षेत्रों में गेहूं, कपास, गन्ना और चावल जैसी प्रमुख फसलें उगाई जाती हैं, जिनके लिए लगातार जल आपूर्ति अत्यंत आवश्यक है। अगर चेनाब का पानी पाकिस्तान के लिए इसी तरह बाधित रहता है, तो इसका सीधा असर पाकिस्तान की होने वाली फसलों की पैदावार पर पड़ेगा। पहले से ही आर्थिक मंदी और महंगाई की मार झेल रही पाकिस्तान की जनता के लिए यह संकट और गहरा सकता है।
भारत की वाटर-स्ट्राइक से खौफ में पाक खरीफ सीजन में 21 प्रतिशत पानी की कमी
भारत द्वारा चेनाब नदी के जल प्रवाह को सीमित किए जाने के दावों के बीच पाकिस्तान में कृषि संकट की आशंका और गहराने लगी है। पाकिस्तान की सिंधु नदी प्रणाली प्राधिकरण (IRSA) ने चेतावनी दी है कि इस स्थिति से खरीफ फसलों के उत्पादन पर गंभीर असर पड़ सकता है। IRSA की सलाहकार समिति के अनुसार, खरीफ सीजन (मई से सितंबर) के दौरान सिंचाई के लिए आवश्यक जल आपूर्ति में लगभग 21% तक की कमी देखी जा सकती है। यह स्थिति सीजन की शुरुआत में और भी गंभीर हो सकती है, क्योंकि इस समय फसलें अत्यधिक पानी मांगती हैं। जल संकट के इस संभावित प्रभाव ने पहले से ही महंगाई और आर्थिक दबाव से जूझ रहे पाकिस्तान के लिए एक और खतरे की घंटी बजा दी है। अगर जल आपूर्ति सुचारु नहीं हुई, तो देश में खाद्य उत्पादन, किसानों की आमदनी और ग्रामीण रोजगार पर व्यापक असर पड़ सकता है।
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Published By : Ravindra Singh
पब्लिश्ड 1 June 2025 at 14:09 IST