अपडेटेड 8 August 2025 at 21:59 IST

डोनाल्ड ट्रंप के 'टैरिफ बम' से दुनिया में तेजी से बदल रहा समीकरण... SCO समिट में PM मोदी के स्वागत के लिए क्यों बेचैन है चीन?

ट्रंप के टैरिफ बम ने वैश्विक मंच पर भारत को एक ऐसा मौका दिया है जिसके जरिये भारत अपनी रणनीति को फिर से संतुलित करने का प्रयास करेगा।

PM Modi China visit
पीएम मोदी का चीन दौरा | Image: AP

China anxious to welcome PM Modi: अमेरिका और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति से बढ़ती अनिश्चितता के बीच चीन अब भारत के साथ रिश्तों में सुधार की कोशिश में है। इस बीच SCO समिट में पीएम मोदी के स्वागत को लेकर चीन बेचैन लग रहा है। ये बेचैनी वैश्विक भू-राजनीति और आर्थिक रणनीतियों में बदलते समीकरणों का नतीजा है। भारत और अमेरिका के बीच संबंधों में तनाव की वजब 50% टैरिफ बना है। यही वजह है कि इसने भारत को अपनी विदेश और व्यापार नीति में नए रास्ते तलाशने पर मजबूर कर दिया।

गौरतलब है कि अमेरिका ने भारत पर पहले 25 फीसदी टैरिफ लगाया था, फिर बाद में दोबारा 25 फीसदी टैक्स और लगा दिया। ऐसे में भारत पर अमेरिकी टैरिफ बढ़कर  50% हो गया। बता दें कि यह टैरिफ दुनिया के किसी भी देश पर अमेरिका की ओर से लगाया गया सबसे ज्यादा टैरिफ है। भारत के बाद सिर्फ ब्राजील ही ऐसा दूसरा देश है  जिस पर डोनाल्ड ट्रंप ने 50 फीसदी टैरिफ लगाया है। बाकी देशों की बात करें तो सभी का टैरिफ भारत और ब्राजील के मुकाबले लगभग आधे के नजदीक है।

भारत पर क्यों लगाया 50% टैरिफ?

भारत पर सर्वाधित टैरिफ लगाने के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बौखलाहट थी, जिसका खुलासा खुद ह्वाइट हाउस ने किया। व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने कहा कि भारत पर 25 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ इसलिए लगाया गया है क्योंकि भारत ने रूस से तेल खरीदना बंद करने से साफ मना कर दिया था। अब ऐसे में कहा जा रहा है कि इससे भारत के 87 बिलियन के निर्यात पर खतरा मंडरा रहा है।

टैरिफ बम से इन देशों पर दबाव

ट्रंप की इस नीति ने भारत के साथ-साथ ब्राजील (50% टैरिफ) समेत अन्य देशों पर दबाव डाला है। हालांकि, भारत और रूस के मुकाबले चीन और तुर्की पर अमेरिका ने कम टैरिफ लगाया जिसे भारत ने भेदभावपूर्ण करार दिया। ऐसे में ट्रंप के टैरिफ बम ने वैश्विक मंच पर भारत को एक ऐसा मौका दिया है जिसके जरिये भारत अपनी रणनीति को फिर से संतुलित करने का प्रयास करेगा। इन सबके बीच SCO और BRICS जैसे मंचों पर रूस और चीन के साथ सहयोग बढ़ाने पर भारत विचार कर रहा है।

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इसका नतीजा यह है कि अगर पीएम मोदी तियानजिन में होने वाली SCO समिट में शामिल होते हैं तो 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद यह उनकी पहली चीन यात्रा होगी। पीएम मोदा का यह दौरा भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार का एक इशारा है। इससे पहले अमेरिकी ट्रंप के भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने पर चीन बहुत नाराज दिखा था। उसने भारत का साथ देते हुए ट्रंप के आगे नहीं झुकने का संकेत दिया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन के मुताबिक, चीन पीएम मोदी का स्वागत करता है। साथ ही इस SCO समिट को दोनों देशों के बीच दोस्ती और एकजुटता का मंच मानता है।

भारत की रणनीति क्या?

पीएम मोदी का चीन दौरा अमेरिका के लिए संदेश है कि भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है। भारत किसी एक खेमे तक सीमित रहने के मूड में कतई नहीं है। बता दें कि SCO समिट में पीएम मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच संभावित बातचीत वैश्विक समीकरणों पर प्रभाव डाल सकती है। हाल के महीनों में विदेश मंत्री एस. जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चीन यात्राओं और कजान BRICS समिट में मोदी-शी जिनपिंग की मुलाकात ने संबंधों को सामान्य करने की दिशा में अहम भूमिका निभाई है।

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जानकारों की मानें तो ट्रंफ का फोड़ा गया ट्रैरिफ बम बैकफायर कर सकता है। भारत, चीन और रूस साथ मिलकर अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती दे सकते हैं। जहां एक और भारत QUAD (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) के साथ सहयोग बनाए रख रहा है, तो वहीं दूसरी ओर SCO और BRICS में सक्रिय भूमिका अदा कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 30 अगस्त को जापान दौरा और फिर संभावित चीन दौरा इस संतुलन को साफ तौर पर दर्शा रहा है।

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Published By : Priyanka Yadav

पब्लिश्ड 8 August 2025 at 21:56 IST