अपडेटेड 27 August 2025 at 23:06 IST

चीन में होगा PM मोदी-जिनपिंग-पुतिन का पावर शो! ट्रंप के टैरिफ विवाद के बीच SCO के मंच से तीनों देशों को क्या है उम्मीद?

चीन में SCO समिट में पीएम मोदी-जिनपिंग-पुतिन का पावर शो देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं कि ट्रंप के टैरिफ विवाद के बीच SCO के मंच से क्या उम्मीद कर सकते हैं।

Putin India visit and PM Modi China visit Amid Trump Tariff Row
टैरिफ विवाद के बीच SCO के मंच पर होगा महामिलन। | Image: AP

चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन का आयोजन होगा। इस दौरान पीएम मोदी-जिनपिंग-पुतिन का पावर शो देखने को मिल सकता है। एससीओ समिट में पीएम मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने की तैयारी है। आइए जानते हैं कि ट्रंप के टैरिफ के बीच SCO 2025 में जिनपिंग, पुतिन और पीएम मोदी की मुलाकात से क्या उम्मीद की जा सकती है।

27 अगस्त से, अमेरिका ने कई भारतीय निर्यातों पर दोगुना शुल्क लगा दिया है, जिसका लक्ष्य झींगा, परिधान, चमड़ा और रत्न एवं आभूषण जैसे श्रम-प्रधान उद्योग हैं। ये क्षेत्र भारत के अमेरिका को होने वाले 86 अरब अमेरिकी डॉलर के वार्षिक निर्यात का एक बड़ा हिस्सा हैं। दवाइयाँ, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम उत्पाद इससे अछूते रहेंगे, लेकिन उच्च शुल्क अभी भी भारत के आधे से ज्यादा निर्यात पर लागू होंगे।

टैक्स का दर होगा दोगुना

ट्रंप के इस कदम को अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत द्वारा रूसी तेल और हथियारों के निरंतर आयात के लिए दंड के रूप में देखा जा रहा है। वर्तमान में, भारतीय वस्तुओं पर 25% टैरिफ लगता है। ऐसे में नई दर लागत का बोझ दोगुना कर देगी।

SCO एक रणनीतिक सम्मेलन

पीएम मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए चीन के तियानजिन की यात्रा करेंगे। यह सात वर्षों में उनकी पहली चीन यात्रा होगी, जो लंबे समय से चले आ रहे सीमा तनाव के बावजूद भारत की भागीदारी की तत्परता का साफ संकेत है। बता दें, शी जिनपिंग 2001 में अपनी स्थापना के बाद से एससीओ के सबसे बड़े शिखर सम्मेलन में 20 से अधिक विश्व नेताओं की मेज़बानी करेंगे। 10 स्थायी सदस्यों और 16 पर्यवेक्षकों और संवाद भागीदारों के साथ, बीजिंग इस समूह को अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधनों के प्रतिकार के रूप में स्थापित कर रहा है। वहीं रूसी राष्ट्रपति पुतिन की मौजूदगी भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। यूक्रेन युद्ध के बाद से पश्चिम द्वारा अलग-थलग पड़े रूसी नेता वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका की पुष्टि के लिए शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) जैसे मंचों का सहारा ले रहे हैं। अमेरिकी टैरिफ लागू होने के कुछ ही दिनों बाद, प्रधानमंत्री मोदी का शी और पुतिन, दोनों के साथ मंच साझा करना भारत के बहुध्रुवीय दृष्टिकोण का संदेश देता है।

Advertisement

चीन से पहले जापान दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी

एससीओ बैठक विदेश मंत्री एस जयशंकर की मॉस्को यात्रा के तुरंत बाद हो रही है, जहां उन्होंने पुतिन से मुलाकात की और व्यापार, यूक्रेन और अफगानिस्तान पर चर्चा की। इस यात्रा ने पश्चिमी देशों की आलोचना के बावजूद, रूस के साथ संबंध तोड़ने से भारत के इनकार को उजागर किया। पीएम मोदी 28-30 अगस्त तक जापान में प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के साथ अपनी वार्षिक शिखर वार्ता के लिए रुकेंगे।

SCO में इन बातों पर होगी नजर

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भारत की संप्रभुता, संपर्क और सहयोग के सिद्धांतों पर ज़ोर दिए जाने की उम्मीद है। पर्यवेक्षक यह देखने के लिए उत्सुक होंगे कि क्या यह शिखर वार्ता भारत-चीन तनाव, विशेष रूप से विवादित हिमालयी सीमा पर, कम करने में मदद करती है और क्या व्यापार एवं वीजा सहयोग के नए क्षेत्र उभर कर सामने आते हैं।

Advertisement

भारत के लिए यह बैठक पक्ष चुनने से ज्यादा बदलती विश्व व्यवस्था में विकल्पों को खुला रखने के बारे में है। इस महत्वपूर्ण मोड़ पर पीएम मोदी, शी और पुतिन की एक साथ छवि भारत के संतुलनकारी कार्य का प्रतीक होगी। वहीं यह अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है।

इसे भी पढ़ें: US School Shooting: अमेरिका के स्कूल में भीषण गोलीबारी, 2 बच्चों की मौत 14 छात्रों समेत 17 लोग घायल

Published By : Kanak Kumari Jha

पब्लिश्ड 27 August 2025 at 23:06 IST