अपडेटेड 17 November 2025 at 14:39 IST
BIG BREAKING: बांग्लादेश से सबसे बड़ी खबर, शेख हसीना को फांसी की सजा का ऐलान; मानवता के खिलाफ अपराध के लिए दोषी
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई गई है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय क्राइम ट्रिब्यूनल ने जुलाई-अगस्त 2024 के आंदोलन के दौरान हुई हिंसा और हत्याओं के लिए मौत की सजा सुनाई। हसीना और दो अन्य, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमलैंड और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून, पर मानवता के विरुद्ध अपराधों का मुकदमा चलाया गया।
शसीना को तीन मामलों में दोषी पाया गया- न्याय में बाधा डालना, हत्याओं का आदेश देना और दंडात्मक हत्याओं को रोकने के लिए कदम उठाने में फेल रहना।
इसके अलावा, कोर्ट ने बांग्लादेश के पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को मौत की सजा से बख्श दिया। अल-मामून, सरकारी गवाह बन गए थे।
1,400 से ज्यादा लोग मारे गए
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 15 जुलाई से 5 अगस्त, 2024 के बीच हुए विरोध प्रदर्शनों में 1,400 से ज्यादा लोग मारे गए और हजारों लोग घायल हुए। इनमें से ज्यादातर लोग सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए, जो 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद से बांग्लादेश में सबसे भीषण हिंसा थी।
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मुकदमे के दौरान, अभियोजकों ने अदालत को बताया कि उन्होंने छात्रों के नेतृत्व वाले विद्रोह को दबाने के लिए हसीना द्वारा घातक बल प्रयोग करने के सीधे आदेश के सबूत खोज निकाले।
हसीना ने ही रखी थी ICT की नींव
जिस इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने शेख हसीना को फांसी की सजा सुनाई, उसकी स्थापना हसीना की ही अवामी लीग सरकार द्वारा 2010 में की गई थी। इसका उद्देश्य 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के दौरान किए गए अत्याचारों के लिए आरोपियों पर मुकदमा चलाना था, जब देश ने पाकिस्तान से अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी।
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ट्रिब्यूनल ने जवाबदेही की लंबे समय से चली आ रही राष्ट्रीय मांग को पूरा किया, लेकिन जल्द ही यह देश के सबसे राजनीतिक रूप से विभाजनकारी संस्थानों में से एक बन गया। अगले दशक में, ICT ने कई विपक्षी नेताओं, खासकर जमात-ए-इस्लामी और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेताओं को दोषी ठहराया और उन्हें फांसी पर लटकाया।
कई टॉप राजनेताओं की फांसी की वैश्विक अधिकार समूहों ने आलोचना की, जिन्होंने ट्रिब्यूनल पर प्रक्रियागत खामियों, जल्दबाजी में सुनवाई और चुनिंदा निशाना साधने का आरोप लगाया। उस वक्त हसीना सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया।
विवादों के बावजूद, आईसीटी हसीना के सबसे शक्तिशाली न्यायिक उपकरणों में से एक बना रहा। एक ऐसा कोर्ट जिसे उन्होंने बनाया, विस्तार किया और जिसका भरपूर बचाव किया। अगस्त 2024 में उनकी सरकार के गिरने के बाद नए अंतरिम प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों पर सरकारी कार्रवाई से जुड़ी हत्याओं और दुर्व्यवहारों की जांच के लिए ट्रिब्यूनल का पुनर्गठन किया।
Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 17 November 2025 at 14:21 IST