अपडेटेड 30 August 2025 at 17:45 IST
7 साल बाद PM Modi ने चीन की धरती पर रखा कदम, रेड कारपेट पर हुआ भव्य स्वागत, Donald Trump क्यों हुए परेशान?
PM Modi की चीन यात्रा न केवल भारत-चीन संबंधों में सुधार का संकेत देती है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाती है। ट्रंप की परेशानी का कारण यह है कि भारत की चीन-रूस के साथ निकटता, अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति के लिए चुनौती पेश करती है।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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PM Modi China Visit : जापान की सफल यात्रा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए लेने के लिए चीन के तिआनजिन पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी 7 साल बाद चीन पहुंचे हैं। तियानजिन में आयोजित इस सम्मेलन में रेड कारपेट के साथ उनका भव्य स्वागत किया गया।
पीएम मोदी की यह यात्रा कई कारणों से महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से भारत-अमेरिका संबंधों में हाल की तनातनी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत के लिए प्रतिक्रियाओं को लेकर। पीएम मोदी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मुलाकात करेंगे। जापान की धरती से नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि एशिया का भविष्य भारत-चीन की स्थिरता और साझेदारी में है। इस बयान का सीधा संदेश है कि भारत झुकेगा नहीं और अमेरिका को अब नए एशिया के पावर की हकीकत स्वीकार करनी होगी।
मोदी की चीन यात्रा का महत्व
2020 में गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण रहे। हालांकि, इसके बाद अक्टूबर 2024 में रूस में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद दोनों देशों के रिश्ते थोड़े बेहतर हुए थे। पीएम की इस यात्रा को व्यापार, यात्रा प्रतिबंधों में ढील और सीमा पर सैन्य तनाव को कम करने जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
इस सम्मेलन से चीन वैश्विक दक्षिण (Global South) की एकता और प्रभाव को दुनिया के सामने देखना चाहता है। इस सम्मेलन को अमेरिका के प्रभाव को संतुलित करने के लिए भी अहम माना जा रहा है। SCO शिखर सम्मेलन में मोदी शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन सहित अन्य नेताओं के साथ मुलाकात करेंगे।
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मोदी की दोस्ती का जलवा
भारत-चीन-रूस की नई तिकड़ी उभर रही है। कुछ ही दिन पहले चीनी विदेश मंत्री वांग यी दिल्ली में थे और भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस दौरे पर गए थे। रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी जल्द भारत आने वाले हैं और अब पीएम मोदी खुद चीन में हैं। बीते साल कजान में प्रधानमंत्री मोदी और जिनपिंग की मुलाकात के बाद से दोनों देशों के रिश्ते लगातार पटरी पर लौट रहे हैं। रूस पहले से ही भारत का पारंपरिक मित्र है। अब चीन के साथ तालमेल से अमेरिका को साफ संदेश है कि भारत न पहले झुका था, और न अब झुकेगा।
डोनाल्ड ट्रंप की परेशानी का कारण
डोनाल्ड ट्रंप की परेशानी का मुख्य कारण भारत-अमेरिका संबंधों में तनातनी और भारत के रूस से तेल खरीदने को लेकर उनकी नाराजगी है। ट्रंप प्रशासन ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है। जिसका कारण भारत का रूस से तेल खरीदना बताया गया। भारत का तर्क है कि रूसी तेल की खरीद उसकी ऊर्जा सुरक्षा और वैश्विक बाजार स्थिरता के लिए जरूरी है। इसके जवाब में भारत ने चीन के साथ संबंधों को बेहतर करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 30 August 2025 at 17:45 IST