अपडेटेड 10 December 2025 at 23:08 IST
तालिबान के खिलाफ 56 देश एकजुट, मानवाधिकार और महिलाओं के अधिकारों पर जताई चिंता
विश्व मानवाधिकार दिवस पर 56 देशों ने संयुक्त बयान जारी कर तालिबान के मानवाधिकार उल्लंघनों की निंदा की। अफगान महिलाओं-लड़कियों पर शिक्षा, रोजगार, आवागमन और सार्वजनिक जीवन पर लगे प्रतिबंधों को गहन हमला बताया।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर 56 देशों ने संयुक्त बयान जारी कर अफगानिस्तान में तालिबान शासन के तहत हो रहे मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघनों की कड़ी निंदा की है। इस बयान में विशेष रूप से अफगान महिलाओं और लड़कियों के साथ होने वाले भेदभाव, बहिष्कार और मानव गरिमा की अवहेलना पर जोर दिया गया है।
इन 56 देशों का संयुक्त बयान स्पष्ट रूप से तालिबान की नीतियों के खिलाफ बड़ा संदेश है। बयान में कहा गया है कि शिक्षा और रोजगार पर कड़े प्रतिबंधों से लेकर महिलाओं के घूमने-फिरने की स्वतंत्रता पर पूर्ण प्रतिबंध, राजनीतिक और सार्वजनिक क्षेत्रों से महिलाओं का बहिष्कार, ये कदम न केवल अफगान महिलाओं और लड़कियों का भविष्य छीन रहे हैं, बल्कि अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं।
देश के विकास पर जताई चिंता
इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वाले देशों के प्रतिनिधियों ने आगे कहा कि तालिबान द्वारा पत्रकारों, सिविल सोसाइटी कार्यकर्ताओं, जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ की गई कार्रवाइयां न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन हैं, बल्कि अफगानिस्तान में शांति, स्थिरता और समृद्धि की संभावनाओं को भी कमजोर कर रही हैं। इन कदमों से न केवल व्यक्तिगत स्वतंत्रताएं प्रभावित हो रही हैं, बल्कि पूरे समाज का विकास रुक गया है।
महिला उत्पीड़न के खिलाफ एकजुटता
विश्व मानवाधिकार दिवस हर साल 10 दिसंबर को मनाया जाता है, जो संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा 1948 में अपनाए गए UNIVERSAL DECLARATION OF HUMAN RIGHT (UDHR) की याद दिलाता है। इस साल का यह बयान अफगानिस्तान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ वैश्विक एकजुटता का प्रतीक बन गया है। तालिबान की नीतियां न केवल लैंगिक समानता को चुनौती दे रही हैं, बल्कि क्षेत्रीय शांति के लिए भी खतरा पैदा कर रही हैं।
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56 देशों ने उठाई आवाज
अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से महिलाओं के अधिकारों पर लगातार सेंसरशिप बढ़ती गई है। लड़कियों को माध्यमिक शिक्षा से वंचित रखना, महिलाओं को बिना पुरुष संरक्षक के बाहर निकलने से रोकना और सार्वजनिक जीवन से उन्हें हटाना जैसी नीतियां अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं। इन 56 देशों में यूरोपीय संघ के सदस्य राष्ट्र, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और कई एशियाई देश शामिल हैं, जो इस मुद्दे पर एकजुट होकर तालिबान से तत्काल सुधार की मांग कर रहे हैं।
मानवाधिकार संगठनों ने इस बयान का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि यह वैश्विक दबाव तालिबान को अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करेगा।
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Published By : Sagar Singh
पब्लिश्ड 10 December 2025 at 23:08 IST