अपडेटेड 28 October 2025 at 12:34 IST

झूठे शहबाज... पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के झूठे दावे को X कम्युनिटी नोट्स ने किया बेनकाब, पूरे देश की करा दी बेइज्जती

X के कम्युनिटी नोट्स ने कश्मीर पर किए गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के पोस्ट को भ्रामक बताया है। नोट्स में कहा गया है कि महाराजा हरि सिंह 26 अक्टूबर 1947 को भारत में शामिल होने के लिए तैयार थे, जिसके बाद भारत ने 27 अक्टूबर को श्रीनगर में सेना भेजी।

Shahbaz Sharif's Kashmir 'Black Day' post: X Community Notes exposes false clai
शहबाज शरीफ का झूठ बेनकाब | Image: AP
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Shahbaz Sharif Misleading News : पाकिस्तान गजब का मुल्क है, वहां के प्रधानमंत्री भी फेक न्यूज फैलाने में सबसे आगे हैं। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) ने 27 अक्टूबर को कश्मीर के इतिहास में 'ब्लैक डे' बताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने भारत के अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताते हुए भारत पर आक्रमण का आरोप लगाया। अब इस झूठे दावों को X कम्युनिटी नोट्स ने बेनकाब किया है।

X ने शहबाज शरीफ के पोस्ट पर कड़ा रुख अपनाते हुए दावे को ऐतिहासिक और कानूनी रूप से साफ-साफ भ्रामक न्यूज (Misleading news) बताया है। शरीफ ने अपने पोस्ट में लिखा कि 27 अक्तूबर, 1947 को भारतीय सेना ने श्रीनगर में उतरकर कश्मीर को हड़प लिया था, जो मानव इतिहास का एक दुखद अध्याय है। 27 अक्तूबर को पाकिस्तान दुनिया भर में कश्मीर का झूठा रोना रोता है। यह पोस्ट 27 अक्टूबर को पोस्ट किया गया, जिसे पाकिस्तान हर साल 'ब्लैक डे' के रूप में मनाता है, लेकिन ये ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है।

X का फैक्ट-चेक

एक्स के कम्युनिटी नोट्स ने शरीफ के पोस्ट पर तुरंत एक नोट जोड़ दिया। नोट में स्पष्ट रूप से कहा गया कि "कश्मीर ने 26 अक्टूबर 1947 को कानूनी रूप से भारत का हिस्सा बनने का फैसला किया था, जब जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ विलय का साधन (Instrument of accession) पर हस्ताक्षर किए। अगले दिन, भारतीय सैनिकों ने श्रीनगर में प्रवेश किया, ताकि पाकिस्तानी आक्रमणकारियों को खदेड़ सकें न कि इसे कब्जाने के लिए। इसलिए 'भारतीय अननैक्स' का दावा ऐतिहासिक और कानूनी रूप से गलत है।"

यह नोट शरीफ के दावे को सीधे चुनौती देता है और कश्मीर के विलय की सच्चाई को उजागर करता है। कम्युनिटी नोट्स में कोई विशिष्ट स्रोत नहीं दिए गए, लेकिन ऐतिहासिक दस्तावेजों और आधिकारिक रिकॉर्ड्स पर आधारित यह स्पष्टीकरण भारत के लंबे समय से चले आ रहे रुख को मजबूत करता है।

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कश्मीर के विलय की सच्चाई

1947 में भारत के विभाजन के बाद जम्मू और कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने शुरू में स्वतंत्र रहने का फैसला किया था। लेकिन पाकिस्तान समर्थित कबायली लुटेरों ने राज्य पर आक्रमण कर दिया, जिसमें गैर-मुस्लिमों पर अत्याचार और नरसंहार हुए। इस खतरे से बचने के लिए महाराजा ने 26 अक्टूबर को भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन को विलय पत्र भेजा। 27 अक्टूबर को भारतीय सेना ने श्रीनगर पहुंचकर आक्रमणकारियों को रोका, जो राज्य की रक्षा के लिए एक आवश्यक कदम था।

भारत हर साल 27 अक्टूबर को 'इन्फैंट्री डे' के रूप में मनाता है, जो उन सैनिकों को सम्मानित करता है जिन्होंने कश्मीर की अखंडता की रक्षा की। वहीं, पाकिस्तान इसे 'ब्लैक डे' कहकर प्रचार करता है, जो तथ्यों से परे है। शहबाज शरीफ का ये पोस्ट ऐतिहासिक तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करता है।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 28 October 2025 at 12:34 IST