अपडेटेड May 8th 2025, 18:14 IST
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले का बदला भारत ने पाकिस्तानी आतंकी कैंपों को नष्ट करने के साथ ही शुरू कर दिया है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत एक ओर जहां भारत अपने नागरिकों की मौत का जोरदार बदला ले रहा है। भारत ने इस ऑपरेशन में अजहर मसूद के परिवार के कई सदस्यों को ढेर कर दिया है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने पाकिस्तानी आतंकवादियों के 9 ठिकानों को निशाना बनाया। भारत सरकार ने इस ऑपरेशन में कुल 100 से अधिक आतंकवादियों के मारे जाने की पुष्टि की है। आज ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सबसे बड़ी खबर सामने आई है कि इस एयर स्ट्राइक में भारत के कंधार के विमान IC-814 प्लेन हाईजैक का मास्टरमाइंड आतंकी रऊफ अजहर मारा भी गया है। रऊफ अजहर जो जैश-ए-मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर का भाई था। रऊफ अजहर के कारनामे सिर्फ यही तक सीमित नहीं रहे, इसने कई और नापाक हरकतों को अंजाम दिया। भारत ही नहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ये आतंकवादी मोस्ट वॉन्टेड था। आइए आपको बताते हैं कौन है अब्दुल रऊफ अजहर।
अब्दुल रऊफ अजहर, जैश-ए-मोहम्मद के संस्थापक मसूद अजहर का छोटा भाई था, और भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक प्रमुख आतंकी खतरा था। रऊफ ने भारतीय एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के कंधार हाइजैक के ऑपरेशन को साजिश कर के अंजाम दिया था। यह घटना 24 दिसंबर 1999 को घटित हुई थी, जब काठमांडू से दिल्ली जा रही फ्लाइट IC-814 को पांच आतंकवादियों ने हाइजैक कर लिया। आतंकी विमान को पाकिस्तान, अमृतसर, दुबई और फिर कंधार, अफगानिस्तान में स्थित तालिबान-नियंत्रित क्षेत्र तक ले गए थे। हाइजैक का मुख्य उद्देश्य था कि जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुश्ताक अहमद जरगर को रिहा किया जाए। इस पूरी साजिश की योजना अब्दुल रऊफ अजहर ने बनाई थी और वह इसमें सक्रिय रूप से शामिल था।
भारत ने इस आतंकवादी गतिविधि को नाकाम करने के लिए कड़ा कदम उठाया, और अंत में रऊफ अजहर को मार दिया गया। अब वह भारत के मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की सूची से बाहर हो चुका है। रऊफ अजहर, जो आज भारत की मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की सूची में शामिल है, का जन्म 1975 में हुआ था। बचपन से ही उसका जीवन कट्टरपंथ और हिंसा की ओर ढलता चला गया। उसके भीतर बचपन से ही ऐसा ज़हर भर दिया गया था कि मात्र 24 वर्ष की उम्र में उसने इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट IC-814 के हाईजैक की साजिश रच डाली। एक ऐसी आतंकी गतिविधि जिसे भारत आज भी नहीं भूला है। रऊफ, जैश-ए-मोहम्मद आतंकी संगठन में केंद्रीय भूमिका निभाता रहा है। वह न केवल मसूद अजहर का छोटा भाई है, बल्कि संगठन की रणनीति और संचालन में भी गहरी पैठ रखता है। जब मसूद अजहर खराब स्वास्थ्य के चलते सक्रिय भूमिका से हट गया था, तब जैश का पूरा संचालन रऊफ अजहर ने अपने हाथ में ले लिया था।
जैश का पूरा संचालन करते हुए रऊफ ने कई बड़ी आतंकी घटनाओं की योजना बनाई और उन्हें अंजाम दिया, जिससे उसकी गिनती दुनिया के सबसे खतरनाक और वॉन्टेड आतंकियों में होने लगी। उसकी योजनाएं सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए भी गंभीर खतरा बन चुकी हैं। रऊफ अजहर की कहानी आतंकवाद के उस चेहरों में से एक है, जो यह दिखाती है कि कैसे विचारधारा और नफरत से भरे बचपन किसी इंसान को दुनिया के लिए खतरा बना सकते हैं।
24 दिसंबर 1999 को काठमांडू से दिल्ली जा रही फ्लाइट IC-814 को आतंकियों ने हाईजैक कर लिया। विमान में 176 यात्री सवार थे। उड़ान भरने के कुछ समय बाद, भारतीय सीमा में प्रवेश करते ही हथियारों से लैस 5 आतंकी सामने आ गए और विमान को अपने कब्जे में ले लिया। शाम 4:39 बजे, एक आतंकी कॉकपिट में घुसा। उसके चेहरे पर मंकी कैप थी, हाथ में रिवॉल्वर और ग्रेनेड था। पायलट को तुरंत हालात की गंभीरता समझ आ गई। इसके बाद विमान को अमृतसर, फिर दुबई होते हुए अफगानिस्तान के कंधार ले जाया गया। इस हाईजैक का मकसद था मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों को रिहा करवाना। इसकी साजिश अब्दुल रऊफ अजहर ने रची थी, जो मसूद अजहर का छोटा भाई था। अब भारत ने उसे मार गिराया है। 24 दिसंबर 1999 को फ्लाइट IC-814 को आतंकियों ने हाइजैक कर लिया। विमान को अमृतसर होते हुए लाहौर ले जाया गया, जहां बिना इजाजत कुछ देर रोका गया। फिर विमान दुबई पहुंचा, जहां 28 यात्रियों को उतारा गया, जिनमें महिलाएं, बच्चे और एक घायल यात्री शामिल थे। इसके बाद विमान को कंधार (अफगानिस्तान) ले जाया गया। हाइजैकर्स ने भारतीय जेलों से आतंकियों की रिहाई और 200 मिलियन डॉलर की मांग की। कई दिन तक बातचीत चली। अंत में 31 दिसंबर को भारत सरकार ने तीन आतंकियों- मसूद अजहर, उमर सईद शेख और मुश्ताक जरगर को छोड़ा। 8 दिन बाद, 155 बंधकों को रिहा कर भारत लाया गया। ये घटना पूरे देश को झकझोर गई और इतिहास में दर्ज हो गई।
पब्लिश्ड May 8th 2025, 18:14 IST