अपडेटेड 28 October 2025 at 19:09 IST
Pakistan-Afghanistan Conflict: दुनिया में शुरू होगी एक और जंग? पाक-अफगानिस्तान वार्ता विफल, ख्वाजा आसिफ के बयान के क्या हैं मायने
मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की मांगों को स्वीकार नहीं किया। पाकिस्तान की तरफ से यह आश्वासन मांगा गया था कि अफ़गानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ़ आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए नहीं किया जाएगा।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के बीच लंबे समय तक युद्धविराम सुनिश्चित करने के लिए चल रही वार्ता विफल हो गई है। मंगलवार दोपहर दोनों देशों के सरकारी मीडिया ने यह जानकारी दी, जिसमें दोनों ने गतिरोध के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया।
मीडिया को मिली जानकारी के मुताबिक अफगानिस्तान ने पाकिस्तान की मांगों को स्वीकार नहीं किया। पाकिस्तान की तरफ से यह आश्वासन मांगा गया था कि अफ़गानिस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ़ आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए नहीं किया जाएगा।
हालांकि, अब तक किसी भी पक्ष की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया या टिप्पणी नहीं आई है। अफगानिस्तान का कहना है कि उन्होंने "रचनात्मक बातचीत के लिए हर संभव प्रयास किया", जबकि पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया। पाकिस्तान ने भी अफ़गानों पर "जिद और गंभीरता की कमी" दिखाने का आरोप लगाया, और कहा, “आगे की प्रगति अफ़गानिस्तान के सकारात्मक रवैये पर निर्भर करती है।”
'बातचीत विफल तो युद्ध': पाकिस्तान
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वार्ता विफल होने के बाद पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ़ की टिप्पणियों पर भी ध्यान केंद्रित हो गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर बातचीत विफल होती है, तो पाक के पास खुले संघर्ष में शामिल होने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचेगा। यह आक्रामक बयानबाजी अब ऐसी दुनिया में चिंता का विषय बन गई है जो और युद्धों को सहन नहीं कर सकती।
पाकिस्तानी और अफ़ग़ान प्रतिनिधि अभी भी तुर्की में हैं, लेकिन चौथे दौर की बातचीत के बारे में कोई खबर नहीं है।
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कतर और तुर्की की मध्यस्थता से बातचीत का पहला दौर 18-19 अक्टूबर को दोहा में हुआ था। यह बातचीत पाकिस्तान द्वारा अफ़गानिस्तान पर सीमा पार आतंकवाद का समर्थन करने के आरोप के बाद महीनों से बढ़े तनाव को कम करने के व्यापक राजनयिक प्रयास का हिस्सा है।
विशेष रूप से, पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के जरिए आतंकी हमलों का आरोप लगाया है। पाकिस्तान का कहना है कि टीटीपी तालिबान से जुड़ा हुआ है। तालिबान ने पाकिस्तान के आरोपों का पुरजोर खंडन किया है।
इसके बावजूद, पाकिस्तान ने 'आतंकवादियों और आतंकी केंद्रों' को निशाना बनाने के लिए काबुल में हवाई हमले किए। तालिबान ने इन हमलों को अफ़ग़ान संप्रभुता का उल्लंघन करने वाला सैन्य अभियान बताते हुए उनकी कड़ी निंदा की है।
48 घंटे का युद्धविराम और भारत-तालिबान संबंध
15 अक्टूबर को 48 घंटे के युद्धविराम की घोषणा की गई थी। यह तब हुआ जब पाकिस्तान ने कहा कि उसने अफ़गानिस्तान में 'दर्जनों अफ़ग़ान बलों और आतंकवादियों' को मार गिराया और टैंकों तथा सैन्य चौकियों को भी नष्ट कर दिया। हालांकि, तालिबान द्वारा यह कहने पर कि उस हमले में एक दर्जन से अधिक गैर-लड़ाकू लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए, पाकिस्तान ने नागरिकों को निशाना बनाने की बात से साफ इनकार कर दिया।
तब से नियमित लड़ाइयां होती रही हैं। रविवार को पांच पाकिस्तानी सैनिकों और अफ़ग़ान पक्ष के 25 लोगों की मौत हो गई, पाकिस्तानी सेना ने इसका दोष सीमा पार करने की कोशिश कर रहे आतंकवादियों पर मढ़ा।
इस बीच, विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की अक्टूबर की शुरुआत में भारत यात्रा के बाद तालिबान और भारत के बीच संबंध गहरे होते दिख रहे हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ मुलाकात के बाद, भारत ने पूर्ण राजनयिक संबंध बहाल कर दिए हैं और जल्द ही काबुल में अपने तकनीकी मिशन को दूतावास में बदल देगा। महत्वपूर्ण बात यह है कि तालिबान मंत्री ने पहलगाम आतंकी हमले की निंदा की। उन्होंने भारत को यह भी आश्वासन दिया कि तालिबान अपनी ज़मीन से 'भारत-विरोधी गतिविधियों' की अनुमति नहीं देगा।
Published By : Sujeet Kumar
पब्लिश्ड 28 October 2025 at 19:09 IST