अपडेटेड 8 September 2025 at 20:27 IST

Nepal Protest: Gen-Z के उग्र प्रदर्शन से बिगड़े हालात तो गृह मंत्री ने दिया इस्तीफा, हिंसा में अबतक 20 की मौत, 6 शहरों में कर्फ्यू

Nepal Protest: इस बीच नेपाल से एक और बड़ी खबर सामने आई है। जी हां, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के गृह मंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

Nepal Protest
Ramesh Lekhak | Image: Nepal Govt/ANI/X

Nepal Protest: नेपाल सरकार के द्वारा सोशल मीडिया बैन करने के बाद देश में माहौल काफी बिगड़ गया है। नेपाल में Gen-Z और युवा समुदाय ने सरकार के इस फैसले के विरोध में प्रदर्शन तेज कर दिया है। यह प्रदर्शन अब हिंसक रूप ले चुका है। 

इस बीच नेपाल से एक और बड़ी खबर सामने आई है। जी हां, प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार के गृह मंत्री रमेश लेखक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस घटना की जिम्मेदारी लेते हुए कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।

 हिंसक प्रदर्शन में अब तक 20 लोगों की मौत 250 से अधिक घायल

मालूम हो कि सोमवार को राजधानी काठमांडू सहित देश भर के कई शहरों में गुस्साए हजारों की संख्या में Gen-Z लड़के और लड़कियां प्रदर्शन करते हुए नेपाल की संसद में घुस गए। संसद परिसर के गेट पर आग लगा दी गई। मामले को बढ़ता देख पुलिस को हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। वहीं, इस हिंसक प्रदर्शन में अब तक 20 लोगों के मारे जाने की खबर है, जबकि 250 से अधिक लोग जख्मी बताए जा रहे हैं।  हिंसक प्रदर्शन को देखते हुए नेपाल सरकार ने उपद्रव करने वालों को देखते ही गोली मारने का आदेश दिया था। नेपाल की राजधानी काठमांडू सहित 6 शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है।

नेपाल सरकार ने सोशल मीडिया पर क्यों लगाया है बैन?

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार ने 4 सितंबर को फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, वॉट्सऐप, रेडिट और X जैसे 26 सोशल मीडिया ऐप्स पर बैन लगा दिया था। मिली जानकारी के मुताबिक, यह प्रतिबंध इसलिए लगाया गया है क्योंकि इन प्लेटफॉर्म्स ने नेपाल सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन नहीं कराया था। सरकार ने 2024 में एक नया कानून लागू किया था, जिसके तहत सभी सोशल मीडिया कंपनियों को नेपाल में ऑपरेशन के लिए स्थानीय कार्यालय स्थापित करना जरूरी है और टैक्सपेयर के रूप में पंजीकरण करना अनिवार्य था।

Advertisement

इस नियम का पालन नहीं करने पर सरकार ने यह कदम उठाया है। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि सोशल मीडिया पर अनियंत्रित कंटेंट जैसे फर्जी खबरें, उकसाने वाले कंटेंट और अवैध गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए यह जरूरी था। हालांकि, इस फैसले की व्यापक आलोचना हुई है क्योंकि इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला माना जा रहा है। कई लोगों का मानना है कि यह प्रतिबंध राजतंत्र समर्थकों के प्रदर्शनों और सरकार विरोधी भावनाओं को दबाने का प्रयास हो सकता है, जो हाल के महीनों में बढ़े हैं।
 

ये भी पढ़ें - Nepal Protest Photo: Gen-Z का प्रदर्शन अचानक कैसे हो गया हिंसक? संसद में आगजनी और फायरिंग में 16 की मौत, खौफनाक तस्वीरें

Advertisement

Published By : Amit Dubey

पब्लिश्ड 8 September 2025 at 20:19 IST