अपडेटेड 10 September 2025 at 15:40 IST
GEN-Z आंदोलन ने नेपाल में तख्तापलट तो कर दिया, लेकिन सरकारी संपत्ति को हुआ भारी नुकसान, सिर्फ संसद भवन को फूंकने से 3600 करोड़ स्वाहा
नेपाल में GEN-Z का आंदोलन तख्तापलट के बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालात खराब हैं और सरकारी संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा है
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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नेपाल में GEN-Z का आंदोलन तख्तापलट के बाद भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। हालात खराब हैं और सरकारी संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा है। नेपाल में प्रदर्शनकारियों ने जिस संसद को आग के हवाले किया सिर्फ उसी से 3600 करोड़ का नुकसान हुआ है। आपको बता दें कि यह वही संसद भवन है जिसका निर्माण नेपाल में संघीय प्रणाली लागू होने के बाद विशेष रूप से विधायी कार्यों के लिए किया गया था।
संसद का निर्माण कार्य वर्ष 2019 में शुरू हुआ था। इसके लिए चीन की सेकंड हार्बर इंजीनियरिंग कंपनी और नेपाल की टुंडी कंस्ट्रक्शन को संयुक्त रूप से ठेका दिया गया था। यह भवन नेपाल की पहली पूर्ण विधायी संरचना है, क्योंकि इससे पहले तक अंतरिम तौर पर बानेश्वर स्थित इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर को संसद के रूप में उपयोग किया जा रहा था।
संसद भवन की डिजाइन नेपाल की परंपरागत और आधुनिक शैली का मिश्रण
खूबसूरत और आलीशान दिखने वाली संसद की दीवारें अब काली और जली हुई नजर आ रही हैं। यहां तक कि संसद के अंदर जो सामान रखा था उसे भी प्रदर्शनकारियों ने जला डाला है। संसद भवन की डिजाइन नेपाल की परंपरागत और आधुनिक शैली का मिश्रण है। इसमें नेपाली पैगोडा शैली और आधुनिक आर्किटेक्चर की झलक मिलती है। लकड़ी की नक्काशी और नेपाली संस्कृति के प्रतीक इसे खास बनाते हैं। हालांकि, अब तस्वीर बदल चुकी है। संसद की दीवारों और कमरों पर धुआं और जलने के निशान दिख रहे हैं। पूरी इमारत अराजकता और हिंसा के बाद खंडहर जैसी हालत में है।
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अब तक पूरा नहीं हुआ था निर्माण
दिलचस्प बात यह है कि यह संसद भवन अब तक पूरी तरह से बनकर तैयार नहीं हुआ था। निर्माण कार्य जारी था और इसे जल्द पूरा करने की दिशा में काम हो रहा था। लेकिन सोमवार को जैसे ही प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दिया, कुछ ही मिनटों बाद राजधानी में हिंसा भड़क उठी। प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन के बाहरी हिस्से में आगजनी की, जिससे इमारत के मुख्य ढांचे को नुकसान पहुंचा है। हालांकि भवन पूरी तरह नष्ट नहीं हुआ है।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 10 September 2025 at 15:04 IST