अपडेटेड 30 April 2025 at 16:29 IST

ISKCON पुजारी चिन्मय दास को बड़ी राहत, ढाका हाईकोर्ट से मिली जमानत; जाने क्यों 6 महीनों से बांग्लादेश की जेल में बंद थे ?

बांग्लादेश की जेल में छह महीने से बंद ISKCON के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को आखिरकार राहत मिल गई।

Hindu Priest Chinmoy Das
ISKCON पुजारी चिन्मय दास | Image: X

बांग्लादेश की जेल में छह महीने से बंद ISKCON के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को आखिरकार राहत मिल गई। ढाका हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी है। पिछले साल नवंबर में देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए चिन्मय दास को चटगांव की निचली अदालत से जमानत नहीं मिल पाई थी। शेख हसीना सरकार के पतन के बाद वे अल्पसंख्यक हिंदुओं की मुखर आवाज बनकर उभरे थे, जिसके बाद उन्हें ढाका पुलिस की स्पेशल ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया था।

वहीं, बांग्लादेशी मीडिया की माने तो चिन्मय देशद्रोह के गंभीर आरोपों का सामना कर रहे हैं। उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का आरोप है। हालांकि, फिलहाल उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है।

पिछले साल किया गया था गिरफ्तार

बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता और इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास को पिछले साल 25 नवंबर को ढाका एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया था। उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है और उन पर देशद्रोह का आरोप है।

2 जनवरी को चटगांव की निचली अदालत द्वारा उनकी याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन किया था। फरवरी में, बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने सरकार से यह बताने के लिए कहा था कि दास को जमानत क्यों नहीं दी जानी चाहिए, जिसकी पुष्टि उनके वकील ने की है।

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चिन्मय कृष्णा दास के वकील ने क्या कहा ?

चिन्मय कृष्णा दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने कहा- बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने सरकार से दो सप्ताह के भीतर फैसले पर जवाब देने को कहा था। चटगांव में 2 जनवरी की सुनवाई के दौरान दास के बचाव पक्ष ने तर्क दिया था कि वह मातृभूमि के प्रति गहरा सम्मान रखता है, जो उसकी मां के प्रति श्रद्धा के बराबर है और वह देशद्रोही नहीं है। इन तर्कों के बावजूद, अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दी थी।
'वे देशद्रोही नहीं हैं'

वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने कहा- हमने अदालत को बताया कि चिन्मय कृष्णा दास अपनी मां की तरह मातृभूमि का सम्मान करते हैं और वह देशद्रोही नहीं हैं। मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम की अगुवाई वाली अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों के बाद जमानत देने के खिलाफ फैसला सुनाया था।

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चटगांव की अदालत ने मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम की अगुवाई में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जमानत खारिज कर दी थी। मेट्रोपॉलिटन पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एडवोकेट मोफिजुर हक भुइयां ने अभियोजन पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था।ॉ

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Published By : Nidhi Mudgill

पब्लिश्ड 30 April 2025 at 16:19 IST