अपडेटेड 25 December 2025 at 23:41 IST
तारिक रहमान की वापसी के जश्न के बीच फिर हिंदू युवक अमृत मंडल की हत्या... हिंसा की आग में जल रहे बांग्लादेश में क्या चाहती है यूनुस सरकार?
पहले दीपू दास फिर अमृत मंडल...इन हिंदू युवकों की हत्या के बाद अब सवाल उठने लगा है कि बांग्लादेश को हिंसा की आग में झोंककर यूनुस सरकार चाहती क्या है?
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। दीपू चंद्र दास की हत्या के बाद अब राजबाड़ी जिले से एक और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां 29 वर्षीय अमृत मंडल उर्फ सम्राट को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। घटना उस वक्त हुई जब बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान के वापसी का जश्न मनाया जा रहा था।
पहले दीपू दास फिर अमृत मंडल...इन हिंदू युवकों की हत्या के बाद अब सवाल उठने लगा है कि बांग्लादेश को हिंसा की आग में झोंककर यूनुस सरकार चाहती क्या है? बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर बढ़ते अत्याचार और भारत विरोधी भावनाओं के बीच बड़ा सवाल यही है कि बांग्लादेश अब किधर जाएगा?
युवा नेता और इंकलाब मंच के प्रवक्ता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद देशभर में भड़के विरोध प्रदर्शनों के बाद से बांग्लादेश में अब ऐसी आवाज उठने लगी है कि यह सब आगामी चुनाव रद्द कराने की साजिश का हिस्सा है। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार किसी भी तरह आम चुनाव को टालना चाहती है।
तारिक रहमान की वापसी से भारत पर क्या होगा असर?
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तारिक रहमान का वापस आना हिंसा प्रभावित बांग्लादेश के लिए निर्णायक क्षण माना जा रहा है। यह भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए भी महत्वपूर्ण है। दिल्ली की नजर रहमान की वापसी पर करीबी से है क्योंकि उनका वापस लौटना न सिर्फ बांग्लादेश की राजनीति के लिए बल्कि भारत के लिए भी बहुत मायने रखता है। खासकर उस समय जब भारत समर्थक अवामी लीग को चुनाव लड़ने से रोक दिया गया, शेख हसीना भारत में शरण लेने को मजबूर हैं और BNP की सुप्रीमो जिया खुद अस्पताल में भर्ती हैं।
भारत-बीएनपी संबंध पहले तनावपूर्ण थे, लेकिन अब रिश्ते सुधारने के संकेत मिले हैं। 1 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खालिदा जिया की बीमारी पर चिंता जताई और मदद की पेशकश की। बीएनपी ने भी इसका शुक्रिया अदा किया। इसके अलावा तारिक रहमान यूनुस सरकार के आलोचक रहे हैं और उन्होंने जमात से गठबंधन करने से इनकार कर दिया है। उन्होंने 'बांग्लादेश फर्स्ट' की नीति की बात की है।
उन्होंने हाल ही में कहा था कि 'न दिल्ली, न पिंडी, सबसे पहले बांग्लादेश।' यानी वह संकेत दे रहे हैं कि वह पाकिस्तान के पाले में नहीं जाना चाहेंगे, हालाँकि वह भारत को लेकर भी ऐसी ही बातें कर रहे हैं। लेकिन वह कट्टरपंथ के खिलाफ हैं, जो भारत के लिए राहत की बात है। अगर बीएनपी सत्ता में आई तो बांग्लादेश की विदेश नीति में बदलाव की उम्मीद है, जो मौजूदा परिस्थितियों में सबसे अच्छी स्थिति यही होगी जो भारत के हित में हो।
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Published By : Ankur Shrivastava
पब्लिश्ड 25 December 2025 at 23:41 IST