अपडेटेड 2 September 2025 at 22:48 IST
EXPLAINER/ अलास्का शिखर सम्मेलन टांय-टांय फिस्स, ट्रंप रह गए खाली हाथ.... तो SCO समिट से PM मोदी, जिनपिंग और पुतिन को क्या मिला?
Alaska Summit, SCO Summit: ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ (विशेषकर रूसी तेल खरीद के लिए) और चीन पर 200% टैरिफ की धमकी के बीच SCO समिट में भारत, चीन और रूस ने एकजुटता दिखाई। यह अमेरिका को संदेश था कि ये देश उसकी आर्थिक दबाव की रणनीति के सामने नहीं झुकेंगे। खासकर, भारत ने रूसी तेल खरीद जारी रखने का दृढ़ रुख अपनाया।
- अंतरराष्ट्रीय न्यूज
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Alaska Summit, SCO Summit: बीते दिनों दुनिया की निगाहों को दो शिखर सम्मेलनों ने अपनी ओर काफी खींचा। इन शिखर सम्मेलनों का नाम अलास्का समिट और उसके बाद चीन में हाल ही में हुआ SCO Summit है। एक ओर जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को खत्म करने के लिए रूसी प्रेसिडेंट पुतिन के साथ अमेरिका के अलास्का में यह अलास्का समिट की थी, वहीं, दूसरी ओर भारत, रूस और चीन समेत अन्य SCO सदस्य देशों ने चीन की मेजबानी में तियानजिन में SCO Summit की।
वैसे आधिकारिक रूप से इन दोनों समिटों का समापन हो चुका है। लेकिन इनसे क्या कुछ नतीजे निकले, उसकी चर्चा हो रही है। अलास्का की मीटिंग ट्रंप के लिए टांय-टांय फिस्स जैसी लगती है और ऐसा लगता है कि ट्रंप को इस मीटिंग से कुछ हासिल नहीं हुआ। क्योंकि अलास्का की मीटिंग के बाद भी रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जारी है और दोनों देश एक-दुसरे पर हमला कर रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन का अलास्का समिट
अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक बेनतीजा रही थी। मीटिंग के दौरान रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम को लेकर सहमति नहीं बनी। पुतिन और ट्रंप यूक्रेन-रूस युद्ध को खत्म करने के लिए किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए थे। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा था कि हमारी बातचीत आपसी सम्मान के रचनात्मक माहौल में हुईं। हमारी बातचीत बहुत ही सीमित रही। इस बैठक के बाद भी रूस और यू्क्रेन के बीच युद्ध जारी है।
अब बात करते हैं चीन में हुए SCO Summit की। इस समिट से भारत के साथ-साथ चीन और रूस समेत अन्य एससीओ सदस्य देशों को काफी कुछ मिला है। समिट में शीर्ष नेताओं के बीच कई वैश्विक मुद्दों को लेकर चर्चा हुई और उनपर अमल करने की बात कही गई। वहीं, दुनिया को खासकर के भारत को 50 फीसदी के भारी टैरिफ से परेशान करने वाले ट्रंप को इस समिट से झटका लगा है।
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आतंकवाद पर भारत की जीत
पीएम मोदी ने SCO समिट में आतंकवाद का मुद्दा प्रमुखता से उठाया, विशेषकर 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की निंदा को तियानजिन घोषणा पत्र में शामिल करवाया। यह भारत की कूटनीतिक जीत थी, क्योंकि पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की मौजूदगी में आतंकवाद के खिलाफ साझा बयान पर सहमति बनी है, जिससे पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष रूप से झटका लगा।
भारत-चीन संबंधों में सुधार
पीएम मोदी और चीनी प्रेसिडेंट शी जिनपिंग के बीच दो द्विपक्षीय बैठकें हुईं, जिनमें व्यापार, सीमा विवाद, और आतंकवाद जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। 2020 के गलवान संघर्ष के बाद तनाव कम करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम था। चीन ने सीमा पार आतंकवाद पर भारत को समर्थन देने का आश्वासन दिया, और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों और आर्थिक सहयोग बढ़ाने की संभावना पर भी बात हुई। प्रधानमंत्री मोदी करीब 7साल बाद चीन गए थे। अब चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग भारत आने वाले हैं। भारत और चीन के बीच बढ़ी इस निकटता से ट्रंप परेशान हो सकते हैं।
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भारत-रूस की दोस्ती और मजबूत
SCO शिखर सम्मेलने के दौरान मोदी और रूसी प्रेसिडेंट पुतिन के बीच गहरी दोस्ती का प्रदर्शन हुआ। दोनों नेताओं ने एक ही कार (पुतिन की Aurus) में यात्रा की और करीब 45 मिनट तक निजी तौर पर बातचीत की। यूक्रेन युद्ध और शांति प्रयासों में भारत की मध्यस्थ भूमिका पर चर्चा हुई। पुतिन ने दिसंबर 2025 में भारत दौरे की पुष्टि की, जो दोनों देशों के रक्षा और ऊर्जा सहयोग को और मजबूत करेगा।
इतना ही नहीं पुतिन से मिलने के पहले यूक्रेन के प्रेसिडेंट जेलेंस्की ने पीएम मोदी को कॉल कर बात की थी और उम्मीद जताई थी कि पीएम मोदी ही रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को रुकवाने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इससे भी अमेरिकी प्रेसिडेंट ट्रंप को और उस अलास्का समिट को झटका लगा है। ट्रंप को मोदी और पुतिन के साथ आने से एक और झटका लगा है वह है भारत के द्वारा रूस से तेल की खरीदारी को जारी रखना।
ट्रंप ने भारत पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ यह आरोप लगाते हुए लगाया है कि भारत रूस से तेल और हथियार की खरीदारी करता है, जिससे रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध में मदद मिलती है। भारत ने अतिरिक्त टैरिफ को झेलना स्वीकार किया लेकिन रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया। इससे भी ट्रंप को झटका लगा है।
ट्रंप की टैरिफ नीति को चुनौती
ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ (विशेषकर रूसी तेल खरीद के लिए) और चीन पर 200% टैरिफ की धमकी के बीच SCO समिट में भारत, चीन और रूस ने एकजुटता दिखाई। यह अमेरिका को संदेश था कि ये देश उसकी आर्थिक दबाव की रणनीति के सामने नहीं झुकेंगे। खासकर, भारत ने रूसी तेल खरीद जारी रखने का दृढ़ रुख अपनाया।
SCO और BRICS की बढ़ती ताकत
SCO समिट में भारत, रूस और चीन ने क्षेत्रीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और UN सुधारों पर जोर दिया। तियानजिन घोषणा पत्र में मानवाधिकारों के दोहरे मापदंडों को खारिज किया गया और एक न्यायपूर्ण विश्व व्यवस्था की वकालत की गई। यह BRICS और SCO जैसे संगठनों को वैश्विक मंच पर और मजबूत करने की दिशा में एक कदम था।
Published By : Amit Dubey
पब्लिश्ड 2 September 2025 at 22:44 IST