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अपडेटेड 25 June 2025 at 21:36 IST

दो मर्दों से बच्चा पैदा हो सकता है, मतलब कोई मां नहीं? वैज्ञानिकों ने सच कर दिखाया, बच्चा बिल्कुल स्वस्थ

चीन में पहली बार दो नर चूहों से स्वस्थ बच्चा जन्मा है, DNA एडिटिंग तकनीक से प्रकृति के नियम बदल गए। PNAS में प्रकाशित हुई स्टडी में यहा दावा किया गया है।

Reported by: Digital Desk
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Mouse born without female
पहली बार दो मर्दों से पैदा हुआ चूहा | Image: AP

Mouse born without female: चीन के वैज्ञानिकों ने जेनेटिक साइंस में ऐसा चमत्कार किया है जो अब तक असंभव माना जाता था। जियाओतोंग यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पहली बार दो नर चूहों के स्पर्म से एक जीवित और स्वस्थ चूहे का जन्म कराया है, वो भी बिना किसी फिमेल के अंडाणु के। इस प्रयोग में वैज्ञानिकों ने DNA मिथाइलेशन एडिटिंग नामक तकनीक का इस्तेमाल किया। इस तकनीक से DNA की गतिविधि को नियंत्रित किया जाता है, बिना उसके मूल सीक्वेंस को बदले।

मादा चूहिया के गर्भ से जन्म 

सबसे पहले एक अंडाणु से उसका जीनोम हटाया गया। फिर उसमें दो अलग-अलग नर चूहों के स्पर्म के हेड्स डाले गए। इनमें से एक के DNA को महिला जैसा मिथाइलेशन पैटर्न दिया गया। इस भ्रूण को एक मादा चूहिया के गर्भ में प्रत्यारोपित किया गया, जिससे तीन चूहे पैदा हुए। इनमें से दो स्वस्थ निकले और एक प्रजनन में भी सक्षम रहा।

क्या सम्मान लिंग से हो सकेगा प्रजनन

23 जून 2025 को PNAS (Proceedings of the National Academy of Sciences) में प्रकाशित इस स्टडी ने जेनेटिक्स और रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी में नई क्रांति की नींव रखी है। यह साबित करता है कि जीनोमिक इम्प्रिंटिंग, जो अब तक एक प्रमुख बाधा मानी जाती थी, अब विज्ञान द्वारा नियंत्रित की जा सकती है। University College London की प्रोफेसर हेलेन ओ नील के मुताबिक, 'यह भविष्य में समान लिंग से प्रजनन के मार्ग खोल सकता है।'

बताया गया कि फिलहाल यह इंसानों पर संभव नहीं है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह प्रक्रिया इंसानों पर लागू नहीं की जा सकती क्योंकि इसमें हजारों अंडाणु और सैकड़ों सरोगेट्स की जरूरत पड़ेगी। साथ ही नैतिक और कानूनी अड़चनें भी इसमें बड़ी चुनौती हैं। हालांकि यह प्रयोग इंसानों पर लागू नहीं हो सकता, लेकिन इससे क्लोनिंग, इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट, अंतरिक्ष अन्वेषण और विलुप्त प्रजातियों के पुनर्जीवन जैसे क्षेत्रों में नई संभावनाएं खुल सकती हैं। यह शोध न सिर्फ विज्ञान के क्षेत्र में ऐतिहासिक है, बल्कि यह उस सवाल का जवाब भी है कि क्या विज्ञान वाकई प्रकृति की सीमाओं को पार कर सकता है और इस बार जवाब है, हां। लेकिन फिलहाल इंसान पर ऐसा कोई शोध नहीं किया जा सकता।

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पब्लिश्ड 25 June 2025 at 18:50 IST