अपडेटेड 12 December 2025 at 13:16 IST

इधर बेटे का एग्जाम, उधर इंडिगो की फ्लाइट कैंसिल... फिर पिता ने किया कुछ ऐसा, मिसाल बन गई कहानी!

इंडिगो की फ्लाइट कैंसिल होने से एक परिवार पर इसका गहरा असर पड़ा। 12वीं के छात्र की परीक्षा छूटने पर थी। लेकिन पिता ने ऐसा कमाल कर दिखाया, जिसकी खूब चर्चा हो रही है।

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Son and Daughter
Son and Daughter | Image: ANI/Social Media

Viral: देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो ने 2 से 7 दिसंबर के बीच बड़ा ऑपरेशनल संकट झेला। फ्लाइट कैंसिल होने से देशभर के हजारों यात्रियों पर इसका गहरा असर पड़ा। हरियाणा के रोहतक में रहने वाले एक परिवार को भी इसका सामना करना पड़ा। इसके बावजूद पिता और बेटे ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपने दृढ़ निश्चय से कुछ ऐसा कर दिखाया, जो अब जिम्मेदारी, समर्पण और संकल्प की मिसाल बन गया है।

इंडिगो संकट के चलते रोहतक जिले के मायना गांव के पघाल परिवार को भारी नुकसान होते-होते बचा। मालूम हो कि युवा अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज आशीष पंघाल इंदौर के डेली कॉलेज में 12वीं कक्षा में पढ़ाई करते हैं। वह परीक्षा से पहले कुछ दिनों की छुट्टी पर परिवार से मिलने घर आए थे। 6 दिसंबर की शाम को उनके कॉलेज में एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। इसी समारोह में उन्हें सम्मानित किया जाना था। वहीं 8 दिसंबर को उनकी प्री-बोर्ड परीक्षा भी शुरू होनी थी।

एयरपोर्ट पहुंच निराशा लगी हाथ

इसके अलावा कॉलेज पहुंचने के लिए पहले ही इंडिगो की फ्लाइट बुक कर ली गई थी। 6 दिसंबर को आशीष के पिता राजनारायण पंघाल (पेशे से वकील) बेटे को दिल्ली एयरपोर्ट ड्रॉप करने के लिए निकले। फ्लाइट लेने के लिए परिवार समय से पहले एयरपोर्ट पहुंच गया। लेकिन वहां की स्थिति से परिवार पूरी तरह परेशानी से घिरा महसूस करने लगा। मालूम पड़ा कि सभी उड़ानें कैंसिल कर दी गई हैं। 

रेलवे स्टेशन पर भी नहीं मिली तत्काल टिकट

एक तरफ समय पर कॉलेज पहुंचने की दिक्कत और दूसरी तरफ बच्चे की परीक्षा... इसने परिवार की चिंता को बढ़ा दिया। फिर परिवार उम्मीद के साथ आनन-फानन में रेलवे स्टेशन पहुंचा और इंदौर की तत्काल टिकट बुक करवाने की कोशिश की। यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी।

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आशीष के पिता ने नहीं मानी हार

राजनारायण ने हालात के आगे घुटने नहीं टेके। उन्होंने ठान लिया कि बेटे को किसी भी तरह से समय पर कॉलेज पहुंचाना है और हुआ भी बिल्कुल ऐसा ही।

जी हां, राजनारायण ने दिल्ली से इंदौर तक लगभग 800 किलोमीटर का सफर बिना थके और बिना रुके तय किया। उन्होंने उस शाम से पूरी रात तक कार ड्राइव की। दृढ़ संकल्प और बेटे के प्रति जिम्मेदारी को उन्होंने बखूबी निभाया। अगली सुबह वो बेटे आशीष को लेकर समय पर कॉलेज पहुंच गए। 

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राजनारायण ने क्या बताया?

राजनारायण ने बताया कि फ्लाइट कैंसिल की खबर ने हमें हिलाकर रख दिया था। परीक्षा बेटे के भविष्य से जुड़ी हुई है। इसलिए मैंने ठान लिया कि चाहे जो कुछ करना पड़े, रातभर कार ड्राइव करनी पड़े, बेटे को समय पर कॉलेज पहुंचाना ही है। आखिरकार ऐसा ही हुआ और हम बेहद खुश हुए। 

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Published By : Sujeet Kumar

पब्लिश्ड 12 December 2025 at 13:14 IST