अपडेटेड 29 June 2023 at 10:54 IST

Chandrayan 3: क्या है डार्क साइड ऑफ द मून, जहां उतरेगा चंद्रयान-3 का रोवर

Chandrayan 3: चंद्रयान-3 का इंतजार अब खत्म हो चुका है। इसरो जुलाई के तीसरे हफ्ते में चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। 

dark side of the moon Chandrayan 3
dark side of the moon Chandrayan 3 | Image: self

Chandrayan 3: चंद्रयान-3 का इंतजार अब खत्म हो चुका है। इसरो जुलाई के तीसरे हफ्ते में चंद्रयान-3 को लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान को 12  से 19 जुलाई के बीच लॉन्च किया जाएगा।

जानकारी मिल रही है कि चंद्रयान-3 अपनी चंद्र यात्रा के दौरान डार्क साइड ऑफ द मून की भी छानबीन करेगा। इसके लिए चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र विशेष रुचि का विषय है, क्योंकि चंद्रमा का अंधेरे वाला यह पक्ष जिसे डार्क साइड ऑफ द मून कहते हैं, इस क्षेत्र में पानी की संभावित उपस्थिति के भी अनुमान हैं।

क्या है डार्क साइड ऑफ द मून?

चंद्रमा पृथ्वी की तरह गोलाकार है और नीचे से हम इसका केवल एक पक्ष ही देखते हैं। कहा जाता है कि किसी ने भी तथाकथित डार्क साइड ऑफ द मून को नहीं देखा है। इस गोलार्ध को चंद्रमा का सुदूर भाग नाम दिया गया है, क्योंकि यह वास्तव में इतना अंधेरा नहीं है। अंधेरे शब्द का एक अन्य अर्थ अज्ञात, मतलब जिसे ढूंढा न जा सका भी होता है, क्योंकि हमारे इतिहास के अधिकांश भाग में मानव जाति के लिए दूर का भाग अंधकारमय था। चंद्रमा का दूर वाला हिस्सा उस तरफ से बहुत अलग है, जो हमारी आंखों के सामने दिखता है। चंद्रमा का दूर वाला भाग कहीं अधिक खुरदुरा और टेढ़ा-मेढ़ा है। इसकी सतह सघन रूप से प्रभाव वाले गड्ढों से भरी हुई है। सुदूर भाग का केवल 1% भाग ही अंधेरी संरचनाओं से ढका हुआ है। दूर की तरफ के गड्ढे भी काफी बड़े हैं।

यह भी पढ़ेंः Chandrayan 3: चंद्रयान-3 का इंतजार खत्म, लेकिन इस बार ऑर्बिटर को क्यों नहीं भेजा रहा है इसरो?

Advertisement

चांद का केवल एक हिस्सा ही क्यों देखते हैं हम?

अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि हम चांद का केवल एक हिस्सा ही क्यों देखते हैं, जबकि पृथ्वी लगातार घूमती रहती है।  ज्वारीय लॉकिंग (जिसे गुरुत्वाकर्षण लॉकिंग, कैप्चर्ड रोटेशन या सिंक्रोनस रोटेशन के रूप में भी जाना जाता है) नामक एक घटना के कारण चंद्रमा को अपनी धुरी पर घूमने में उतना ही समय लगता है, जितना उसे पृथ्वी के चारों ओर घूमने में लगता है। इसके कारण एक गोलार्ध लगातार पृथ्वी के अंदर की ओर आ जाता है। इस कारण चांद का केवल एक हिस्सा ही हम देख पाते हैं।

यह भी पढ़ेंः WC 1983 खेलने के लिए कपिल देव, गावस्कर समेत पूरी टीम को मिले थे इतने पैसे, सालों बाद वायरल हुई Payslip

Advertisement

Published By : Kunal Verma

पब्लिश्ड 29 June 2023 at 10:54 IST