अपडेटेड 6 January 2024 at 17:56 IST

सूर्य से कह दो 'आदित्य' आया है, हेलो ऑर्बिट कक्षा में 5 साल तक रहेगा Aditya-L1

भारत का सूर्य मिशन Aditya L-1 Hello Orbit में स्थापित हो गया है। अब अगले 5 सालों तक L1 प्वाइंट से ही सूर्य का अध्ययन करेगा।

ADitya L1 Mission ISRO placed in Halo Orbit
ADitya L1 Mission ISRO placed in Halo Orbit | Image: @ISRO

ISRO Successfully Placed Aditya L-1 in Halo Orbit: इसरो ने 6 जनवरी, शनिवार को साल की पहली सफलता हासिल कर ली है। इसरो ने भारत के सूर्य मिशन आदित्य एल-1 को हेलो ऑर्बिट में करा दिया है। ये भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धी है। हेलो ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद से अब अगले 5 सालों तक एल-1 प्वाइंट पर ही रहेगा। वहीं से सूर्य का अध्ययन करेगा। बता दें, आदित्य एल-1 पृथ्वी से काफी दूर है।

खबर में आगे पढ़ें:

  • पृथ्वी से आदित्य एल-1 की कितनी है दूरी?
  • 126 दिन पहले लॉन्च किया गया था आदित्य एल-1
  • 126 दिन बाद हेलो ऑर्बिट में आदित्य एल-1 स्थापित

सूर्य का अध्ययन करने वाला भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य-एल 1 अंतरिक्ष यान पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किलोमीटर दूर है। L1 प्वाइंट पृथ्वी और सूर्य के बीच की कुल दूरी का लगभग एक प्रतिशत है।

5 सालों में सूर्य की अलग-अलग सतहों का अध्ययन

अगले 5 सालों में L-1 प्वाइंट से भारत का मिशन सोलर एक्टिविटी और सूर्य की अलग-अलग सतहों का अध्ययन करने वाला है। इसरो की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार एल1 प्वाइंट के चारों ओर जो हेलो ऑर्बिट है उसकी वजह से बिना किसी ग्रहण के सूर्य का लगातार अध्ययन किया जा सकेगा। इससे वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर इसके प्रभाव को देखने में अधिक लाभ मिलेगा।

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अगर हेलो ऑर्बिट में स्थापित नहीं होता आदित्य एल-1 तो क्या होता?

इसरो के अधिकारी ने बताया कि अगर हेलो ऑर्बिट में आदित्य एल-1 को स्थापित नहीं किया जाता है तो संभावना है कि यह सूर्य की ओर अपनी यात्रा जारी रखेगा।

2 सितंबर 2023 को सूर्य मिशन किया गया लॉन्च

भारत के इस सूर्य मिशन को 2 सितंबर 2023 को लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग के करीब 126 दिनों के बाद आदित्य एल-1 को एल-1 प्वाइंट पर हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया गया है।

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PM मोदी ने दी बधाई

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को इस सफलता की बधाई देते हुए कहा, "भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की। भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल1 अपने गंतव्य तक पहुंची। यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है। मैं इस असाधारण उपलब्धि की सराहना करने में राष्ट्र के साथ शामिल हूं। हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे।"

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Published By : Ankur Shrivastava

पब्लिश्ड 6 January 2024 at 17:31 IST