अपडेटेड 4 August 2025 at 20:24 IST
Google: अब गूगल से नहीं चलेगी चालाकी, सर्च हिस्ट्री से पता चला लेगा उम्र, नाबालिगों के एडल्ट कंटेंट देखने पर ऐसे लगेगी लगाम
Google will know Age by Search History : गूगल ने ये भी कहा है कि इस सिस्टम की लिमिटेशन सिर्फ ब्राउजिंग हिस्ट्री पर निर्भर नहीं करेगी, बल्कि इसे Variety Of Signals और दूसरे मेटाडाटा का इस्तेमाल कर डबल वेरीफाई किया जा सकेगा।
- टेक्नोलॉजी न्यूज
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Google will know Age by Search History : AI के इस युग में अब सबकुछ संभव हो गया है। आपको बस कुछ एप्स का इस्तेमाल करना होता है या कुछ ऐसे कमांड देने होते हैं, जिसके बाद आप जो चाहते हैं, वो इंस्टेंट नूडल्स की तरह आपके सामने आ जाता है। ऐसे में बच्चों को अश्लील कंटेंट से दूर रखना भी नामुमकिन सा लगता है।
ब्रिटेन ने हाल ही में बच्चों को अश्लील कंटेंट से दूर रखने के लिए उम्र वेरीफाई करने की एक तरकीब निकाली थी। कुछ ही समय में VPN ने उसकी कोशिशों को नाकाम कर दिया। बच्चे VPN के जरिए अश्लील कंटेंट देखने लगे, जिसपर रोक लगाना किसी भी सरकार के हाथ में नहीं था। ऐसे में अब गूगल ने भी एक कोशिश की है, जिससे प्रतिबंधित कंटेंट को बच्चों से दूर रखा जा सकेगा।
क्या है गूगल की ये तकनीक?
अमेरिकी मीडिया में चर्चा चल रही है कि गूगल अब AI की मदद से यूजर्स की उम्र का अनुमान लगा लेगा, और फिर उस उम्र से संबंधित कंटेंट ही उसकी फीड में दिखाए जाएंगे। इसे गूगल और यूट्यूब पर लागू किया जाएगा। बताया जा रहा है कि इस तरकीब को फिलहाल EU में लागू करने की बात हो रही है। इसका कारण ये है कि यूरोपियन यूनियन में डिजिटल सुरक्षा को लेकर सख्त नियम लागू किए गए हैं।
कैसे काम करेगा ये सिस्टम?
हम किसी भी टॉपिक को सर्च करने के लिए गूगल सर्च का इस्तेमाल धड़ल्ले से करते हैं। अगर आपने गौर किया हो तो हर उम्र के लोग अपनी उम्र के हिसाब से ही गूगल पर कंटेंट सर्च करते हैं। उदाहरण के तौर पर, अगर कोई बच्चा गूगल सर्च का इस्तेमाल कर रहा है तो वो अपनी कक्षा से जुड़े टॉपिक्स को जरूर सर्च करेगा। वहीं, अगर कोई कॉलेज में है या जॉब कर रहा है तो वो अपने सेक्टर से जुड़ी चीजों को गूगल पर सर्च करता है। ऐसे में उनकी ब्राउजिंग हिस्ट्री से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि उस यूजर की उम्र कितनी हो सकती है। गूगल इसी ब्राउजिंग हिस्ट्री का इस्तेमाल उम्र का अनुमान लगाने के लिए करेगा।
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गूगल ने ये भी कहा है कि इस सिस्टम की लिमिटेशन सिर्फ ब्राउजिंग हिस्ट्री पर निर्भर नहीं करेगी, बल्कि इसे Variety Of Signals और दूसरे मेटाडाटा का इस्तेमाल कर डबल वेरीफाई किया जा सकेगा। इसके बाद गूगल यह फैसला करेगा कि उस यूजर को प्रतिबंधित कंटेंट दिखाना है या नहीं।
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Published By : Kunal Verma
पब्लिश्ड 4 August 2025 at 20:24 IST