अपडेटेड 28 July 2024 at 18:38 IST
पेरिस ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाली मनु भाकर ने टोक्यो में मिली निराशा के बारे में किया खुलासा
भारतीय महिला निशानेबाज मनु भाकर ने कहा पेरिस में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतकर वह टोक्यो ओलंपिक में अपनी निराशा को पीछे छोड़कर राहत महसूस कर रही हैं।
- खेल समाचार
- 3 min read

Manu Bhaker won Bronze in Paris Olympics: भारतीय महिला निशानेबाज मनु भाकर को दूसरे स्थान पर रहना पसंद ही नहीं है, तीसरे स्थान की तो बात ही छोड़ दीजिये। लेकिन उन्होंने यहां कहा कि रविवार का दिन अपवाद था क्योंकि पेरिस में ऐतिहासिक कांस्य पदक जीतकर वह टोक्यो ओलंपिक में अपनी निराशा को पीछे छोड़कर राहत महसूस कर रही हैं।
भाकर (22 वर्ष) यहां 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला निशानेबाज बन गईं। आत्मविश्वास से भरी भाकर ने कांस्य पदक जीतने के बाद ‘जियो सिनेमा’ से कहा, ‘‘तोक्यो के बाद मैं बहुत निराश थी। मुझे इससे उबरने में बहुत समय लगा। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘बहुत खुश हूं कि मैं कांस्य पदक जीत सकी और हो सकता है कि अगली बार इसका रंग बेहतर हो।’’ भाकर ने कहा, ‘‘मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। भारत को इस पदक का लंबे समय से इंतजार था। मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा। ’’
इस पदक से पेरिस ओलंपिक में भारत का खाता खुल गया और साथ ही निशानेबाजी में 12 साल का इंतजार खत्म हुआ। पर हरियाणा के झज्जर की इस निशानेबाज के लिए यह सफर इतना आसान नहीं रहा। टोक्यो ओलंपिक 2021 के क्वालीफिकेशन में पिस्टल की खराबी से भाकर निराश हो गई थीं । लेकिन पिछले दो दिनों में उनका प्रयास इतना शानदार रहा जिसकी एक एथलीट से उम्मीद की जाती है।
अंतरराष्ट्रीय मंच पर कई पदक जीतने वाली भाकर ने कहा, ‘‘भारत कई और पदकों का हकदार है, जितने संभव हो सके। यह अहसास बहुत शानदार है। इसके लिए बहुत प्रयास करना पड़ता है।’’ भाकर का फाइनल करीबी रहा क्योंकि एक समय वह रजत पदक जीतने के करीब लग रही थीं। उन्होंने कहा, ‘‘आखिरी शॉट में मैं अपनी पूरी ऊर्जा के साथ निशाना लगा रही थी। शायद मैं अगली स्पर्धाओं में बेहतर कर सकूं।’’ भाकर ने पिछले कुछ वर्षों में मानसिक दृढ़ता पर काफी काम किया है जिसमें उनके कोच जसपाल राणा से भी काफी मदद मिली है।
Advertisement
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने भगवत गीता काफी पढ़ी है और वही करने की कोशिश की जो मुझे करना चाहिए था। बाकी सब भगवान पर छोड़ दिया था। हम भाग्य से नहीं लड़ सकते। आप परिणाम को नियंत्रित नहीं कर सकते। ’’ जब उनसे पूछा गया कि तोक्यो की निराशा से निपटने के लिये उन्होंने क्या किया तो भाकर ने कहा, ‘‘आप सिर्फ कोशिश करकेअपना सर्वश्रेष्ठ देते रह सकते हैं। ’’ नौ बार की विश्व कप पदक विजेता ने कहा, ‘‘मैं कितना अच्छा महसूस कर रही हूं, आपको नहीं बता सकती। ’’
उन्होंने 580 अंक हासिल करने के बाद फाइनल के लिए क्वालीफाई किया। भाकर ने कहा, ‘‘जैसे ही क्वालीफिकेशन खत्म हुआ। मुझे नहीं पता था कि आगे कैसा रहेगा। हमने बहुत मेहनत की थी। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘सभी दोस्तो, रिश्तेदारों और शुभचिंतकों का मेरे साथ डटे रहने के लिए धन्यवाद। उन्हीं की बदौलत मैं यहां खडी हूं। आप सभी ने मेरी जिंदगी को इतना आसान बना दिया। मैं अपने कोच जसपाल सर, मेरे प्रायोजकों ओजीक्यू और मेरे कोचों का धन्यवाद देना चाहूंगी। ’’
Advertisement
Published By : Shubhamvada Pandey
पब्लिश्ड 28 July 2024 at 18:38 IST