अपडेटेड 30 July 2024 at 13:32 IST

मनु भाकर की स्ट्रगल से लेकर सफलता तक की कहानी, पिस्टल हुई खराब...'गीता' से प्रेरणा, तो टोक्यो से सबक

वो कहते हैं ना 'कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो' तो बस.. गीता के इसी श्लोक से प्रेरणा लेकर मनु की कहानी शुरू होती है। मनू ने बिना हार माने लगातार मेहनत की।

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Manu Bhaker
मनु भाकर की स्ट्रगल स्टोरी | Image: AP

Manu Bhaker Struggle Story: पेरिस ओलंपिक 2024 में भारत का मेडल का खाता खोलने वाली निशानेबाज मनु भाकर (Shooter Manu Bhaker) की देशभर में तारीफ हो रही है, यहां तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुद फोन करके मनु से बात की है। अब हर कोई जानना चाहता है कि मनु कौन है? उसकी कहानी क्या है... मनू की स्ट्रगल (Manu Bhaker Struggle Story) से लेकर सफलता की कहानी है भी काफी दिलचस्प, क्योंकि उन्होंने बिना हार माने लगातार मेहनत की... वो कहते हैं ना 'कर्म करते जाओ फल की चिंता मत करो' तो बस.. गीता के इसी श्लोक से प्रेरणा लेकर मनु की कहानी शुरू होती है।

मनु भाकर हरियाणा (Haryana) के झज्जर की युवा निशानेबाज है, जिन्होंने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी से आज देश को गर्वित कर दिया है। 22 साल की उम्र में उन्होंने ओलंपिक में कांस्य पदक जीतकर यह साबित कर दिया कि मेहनत और सही मार्गदर्शन से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। 

गीता के श्लोक से मिली प्रेरणा

मनु भाकर ने टोक्यो ओलंपिक के अपने खराब एक्सपीरियंस के बाद 'भगवद गीता' पढ़ना शुरू किया। गीता का श्लोक "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन" उन्हें प्रेरित करता है। इस श्लोक का अर्थ है कि हमें सिर्फ कर्म करने का अधिकार है, लेकिन फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। फाइनल मुकाबले में इसी श्लोक ने उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाए रखा।

पिछली बार पिस्टल में आ गई थी खराबी

मनु ने 2018 युवा ओलंपिक में 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी पहचान बनाई। इसके बाद उन्होंने कई बड़ी प्रतियोगिताओं में पदक जीते, लेकिन टोक्यो ओलंपिक में उन्हें निराशा का सामना करना पड़ा। वहां उनकी पिस्टल में खराबी आ गई थी, जिससे वे प्रतियोगिता से बाहर हो गईं। यह उनके लिए बहुत बड़ा सबक था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और इसे अपनी प्रेरणा बना लिया।

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कड़ी मेहनत कर सफलता की ओर कदम बढ़ाया

टोक्यो के बाद मनु ने अपने कोच जसपाल राणा के साथ कड़ी मेहनत की। उन्होंने राणा द्वारा तैयार की गई दिनचर्या का पालन किया और फिर से जुड़ने से वह एक बेहतर एथलीट बन गईं। राणा के मार्गदर्शन में मनु ने कई चुनौतियों का सामना किया और उन्हें पार भी किया।

विफल रहने पर देना होता था जुर्माना

राणा ने मनु के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किए और अगर वे उन लक्ष्यों को हिसाल करने में विफल रहतीं तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ता। यह जुर्माना दुनिया भर के जरूरतमंदों की मदद के लिए किया जाता था। मनु ने इस अनुभव को भी सकारात्मक रूप में लिया और इसे अपनी प्रेरणा का हिस्सा बनाया।

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सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं, सभी के लिए प्रेरणा 

मनु भाकर अभी आराम करने के मूड में नहीं हैं। वे महिलाओं की 25 मीटर पिस्टल और 10 मीटर एयर पिस्टल मिश्रित टीम स्पर्धाओं में पदक की उम्मीद लगाए हुए हैं। उनके पास अभी भी बहुत सी चुनौतियां हैं, लेकिन उन्होंने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी से यह साबित कर दिया है कि वे हर चुनौती का सामना कर सकती हैं।

मनु भाकर की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं है, बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो जीवन में किसी भी मुश्किल का सामना कर रहे हैं। गीता से प्रेरणा, कड़ी मेहनत, और समाज सेवा के प्रति समर्पण ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। उनकी यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सफलता के लिए सिर्फ मेहनत और दृढ़ता की जरूरत नहीं है और मनु ने इसे साबित कर दिखाया है।

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Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 29 July 2024 at 13:51 IST