अपडेटेड 29 July 2024 at 17:45 IST
'महाभारत' के अर्जुन की तरह निशाना साध रहे थे बबूता, आखिरी शूट में की गलती और टूटा मेडल जीतने का सपना
महाभारत के अर्जुन के तरह इस अर्जुन बबूता से भी उम्मीद थी कि वे मछली की आंख यानी के अपने निशाने पर शूट करेंगे लेकिन बबूता ऐसा करने में नाकाम रहे।
- खेल समाचार
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Paris Olympics: पेरिस ओलंपिक के तीसरे दिन भारत के पास एक और मेडल जीतने का मौका था लेकिन अर्जुन बबूता के साथ करोड़ों भारतवासियों का ये सपना उस वक्त टूट गया जब उन्होंने 10 मीटर राइफल शूटिंग में अपनी स्पर्धा चौथे स्थान पर खत्म किया। महाभारत के अर्जुन के तरह इस अर्जुन बबूता से भी उम्मीद थी कि वे मछली की आंख यानी के अपने निशाने पर शूट करेंगे लेकिन बबूता ऐसा करने में नाकाम रहे।
10 मीटर एयर राइफल के फाइनल इवेंट में वह लंबे समय तक टॉप-3 में बने हुए थे, लेकिन आखिरी लम्हों में की गई गलती उन पर भारी पड़ गई। 208.4 स्कोर के साथ वह चौथी पोजिशन पर रहे जबकि ब्रॉन्ज मेडलिस्ट शूटर का स्कोर 209.3 था। यानी भारत के अर्जुन बबूता सिर्फ 1.1 स्कोर के मामूली अंतर से कांस्य पदक जीतने से चूक गए।
टूटा अर्जुन का का सपना
गोल्ड मेडल चीन के 19 वर्षीय शूटर को मिला, जिन्होंने 252.2 का स्कोर निकालते हुए नया ओलिंपिक रिकॉर्ड भी बनाया। यहां बताना जरूरी हो जाता है कि अभिनव बिंद्रा ने भारत को 2008 बीजिंग ओलिंपिक में जो गोल्ड मेडल जिताया था, वो इसी इवेंट में आया था। अर्जुन ने फाइनल की पहली सीरीज में 10.7, 10.2, 10.5, 10.4, 10.6 के शॉट्स लगाए। जबकि दूसरी सीरीज में उनकी बंदूक से 10.7, 10.5, 10.4, 10.6, 10.4 के शॉट्स आए। पहली सीरीज के बाद बबूता चौथे नंबर पर थे। लेकिन दूसरी सीरीज के बाद उन्होंने शानदार वापसी की और नंबर तीन पर आ गए। काफी समय तक तो बबूता नंबर दो-तीन पर चलते रहे।
चौथे स्थान पर रहे अर्जुन बबूता
लेकिन अपनी आखिरी सीरीज में वो इस प्रदर्शन को बरकरार नहीं रख पाए। आखिरी शॉट में अर्जुन बस 9.5 अंक जुटा पाए। अर्जुन ने 20 शॉट में से सिर्फ दो मौके पर 10 से कम का स्कोर बनाया। इसके बाबजूद उन्हें चौथे नंबर पर रहकर संतोष करना पड़ा।
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जेएस ढिल्लों ने की अर्जुन की ट्रेनिंग
पंजाब के रहने वाले अर्जुन को शुरुआत में निशानेबाजी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन उन्होंने खेलों में रुचि जगाई। अर्जुन का खेलों के प्रति लगाव देखकर उनके पिता नीरज बाबुता ओलंपिक पदक विजेता निशानेबाज अभिनव बिंद्रा के पास पहुंचे। बिंद्रा ने 2013 में अपने कोच कर्नल जेएस ढिल्लों से अर्जुन को मिलाया जिन्होंने उन्हें राइफल निशानेबाजी में करियर बनाने की सलाह दी। ढिल्लों की सलाह पर अर्जुन ने 10 मीटर एयर राइफल वर्ग में ट्रेनिंग लेनी शुरू की। उनकी मेहनत का ही नतीजा था कि अर्जुन ने 2013 में चंडीगढ़ स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में अपना पहला पदक जीता था।
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Published By : Shubhamvada Pandey
पब्लिश्ड 29 July 2024 at 17:43 IST