अपडेटेड 5 September 2024 at 14:57 IST

Dharambir ने पैरालंपिक गोल्ड मेडल अमित को समर्पित किया, अगली पीढ़ी को प्रेरित करने की जताई उम्मीद

35 वर्षीय धर्मबीर ने बुधवार को पैरालंपिक में 34.92 मीटर के थ्रो के साथ एशियाई रिकॉर्ड तोड़कर स्वर्ण पदक जीता।

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Dharambir wins gold and Pranav Soorma bags silver medal in club throw event
धर्मबीर और प्रणव सूरमा ने क्लब थ्रो इवेंट में जीता मेडल | Image: X

धर्मबीर ने पुरुषों की क्लब थ्रो एफ51 स्पर्धा का पैरालंपिक स्वर्ण पदक टीम के अपने साथी और कोच अमित कुमार सरोहा को समर्पित किया है और उम्मीद जताई कि उनकी उपलब्धि पैरा एथलीटों की अगली पीढ़ी को विरासत को आगे ले जाने के लिए प्रेरित करेगी। पैंतीस वर्षीय धर्मबीर ने बुधवार को पैरालंपिक में 34.92 मीटर के थ्रो के साथ एशियाई रिकॉर्ड तोड़कर स्वर्ण पदक जीता जबकि प्रणव सूरमा ने 34.59 मीटर के प्रयास से रजत पदक अपने नाम किया।

अमित हालांकि पोडियम तक पहुंचने में असफल रहे और स्पर्धा में अंतिम स्थान पर रहे। धर्मबीर ने कहा, ‘‘मैं बहुत गौरवांवित महसूस कर रहा हूं। किसी भी खिलाड़ी के लिए ओलंपिक (पैरालंपिक) में पदक जीतना एक सपना होता है और मेरा सपना इसके साथ सच हो गया। मेरे मार्गदर्शक अमित कुमार सरोहा ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम उनके (अमित) बारे में जानने के बाद इस खेल में आए, मुझे उम्मीद है कि अगली पीढ़ी (एथलीटों की) हमें देखेगी और इस खेल में शामिल होगी।’’ अमित से मार्गदर्शन लेने वाले धर्मबीर ने पदक को इस अनुभवी खिलाड़ी को समर्पित किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह पुरस्कार अपने गुरू अमित सरोहा को समर्पित करता हूं। उनका आशीर्वाद शुरू से ही मेरे साथ है और इसी वजह से मैं यह पदक जीत पाया।’’

धर्मबीर को नहर में गोता लगाने में गलती होने के कारण गंभीर चोट लगी और चट्टानों से टकराने के कारण कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। उन्होंने 2014 में पैरा खेलों में अपना रास्ता खोज लिया और अमित के साथ क्लब थ्रो में ट्रेनिंग ली। धर्मबीर भारत के स्वर्ण पदक विजेताओं में से एक के रूप में स्वदेश लौटेंगे लेकिन उन्हें तब परेशानी का सामना करना पड़ा जब उन्होंने शुरुआती चार थ्रो फाउल करार दिए गए। दबाव में धर्मबीर ने अमित की ओर देखा। अमित ने उन्हें आश्वस्त करने वाली नजर से देखा और चीजें उनके लिए सही हो गईं।

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उन्होंने कहा, ‘‘हमारी श्रेणी सबसे निचली है। अंगुलियां काम नहीं करतीं इसलिए हमें क्लब को गोंद से चिपकाकर फेंकना पड़ता है। शुरुआत में मैंने कुछ फाउल किए क्योंकि गोंद पूरी तरह से जम नहीं पाया था।’’ धर्मबीर ने कहा, ‘‘दबाव भी एक बड़ा कारक है और जब आप फाउल करते हैं, तो दिमाग काम करना बंद कर देता है। मैंने अपने कोच से आंख मिलाई और पांचवां थ्रो अच्छा रहा। मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि इस पदक के साथ एशियाई रिकॉर्ड भी बना है। प्रणव सूरमा ने पहले रिकॉर्ड तोड़ा था और अब मैं इसे अपने नाम कर चुका हूं। वह बहुत अच्छा एथलीट है और हमारी लड़ाई इसी तरह जारी रहेगी।’’

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Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 5 September 2024 at 14:57 IST