अपडेटेड 8 July 2024 at 07:04 IST

कौन हैं अविनाश साबले? जिन्होंने पेरिस ओलंपिक से पहले मचाई सनसनी, तोड़ा नेशनल रिकॉर्ड

Avinash Sable: अविनाश साबले ने रविवार, 7 जुलाई को पेरिस डायमंड लीग में 8:09.91 के समय के साथ अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए छठा स्थान हासिल किया।

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Who is Avinash Sable breaks national record steeplechase
अविनाश साबले ने तोड़ा नेशनल रिकॉर्ड | Image: @India_AllSports/x

Avinash Sable Paris Diamond League: खेलों के महाकुंभ यानी ओलंपिक की काउंटडाउन शुरू हो चुकी है। पेरिस में 26 जुलाई से शुरू होने वाले मेगा इवेंट से पहले भारतीय एथलीट अविनाश साबले ने इतिहास रच दिया है। साबले ने रविवार, 7 जुलाई को पेरिस डायमंड लीग में 8:09.91 के समय के साथ अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए छठा स्थान हासिल किया। भारत के प्रमुख 3000 मीटर स्टीपलचेज धावक अविनाश साबले ने 10वीं बार राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ा। पेरिस ओलंपिक की तैयारी कर रहे अविनाश ने अपना ही नेशनल रिकॉर्ड तोड़कर बता दिया कि वो मेगा इवेंट में भारत का परचम लहराने के लिए तैयार हैं।

बता दें कि पेरिस डायमंड लीग में अपने प्रदर्शन से पहले ही अविनाश साबले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि अपने जीवन की सबसे अच्छी स्थिति में हैं और अपना बेस्ट देने के लिए तैयार हैं। उन्होंने डायमंड लीग में 8 मिनट और 9.91 सेकेंड का समय लेकर छठा स्थान हासिल करते हुए 3000 मीटर स्टीपलचेज का अपना ही नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया। अविनाश ने इससे पहले 2022 में 8:11.20 समय लेकर राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था।

कौन हैं अविनाश साबले?

अविनाश साबले भारत के प्रमुख 3000 मीटर स्टीपलचेज धावक हैं, जो महाराष्ट्र के बीड जिले के मांडवा गांव के रहने वाले हैं। 13 सितंबर 1994 को जन्मे साबले एक किसान परिवार से आते हैं और अपने गांव में सार्वजनिक परिवहन की कमी के कारण उन्हें अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए रोजाना छह किलोमीटर पैदल चलना या दौड़ना पड़ता था।

साबले की उपलब्धियां सिर्फ स्टीपलचेज तक सीमित नहीं है। उनके पास हाफ मैराथन में राष्ट्रीय रिकॉर्ड है, जिसे उन्होंने 2020 दिल्ली हाफ मैराथन में बनाया था, और 5000 मीटर दूरी में राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी तोड़ दिया है। उनकी बहुमुखी प्रतिभा और असाधारण सहनशक्ति ने उन्हें भारतीय एथलेटिक्स में एक असाधारण एथलीट बना दिया है।

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अविनाश साबले की यात्रा उनकी दृढ़ता और समर्पण का प्रमाण है। एक किसान के बेटे के रूप में अपनी साधारण शुरुआत से लेकर एक प्रतिष्ठित एथलीट बनने तक, उन्होंने लगातार सीमाओं को पार किया है और उम्मीदों को चुनौती दी है। उनकी सफलता ने भारतीय एथलीटों की एक नई पीढ़ी को प्रेरित किया है और उनका नाम ट्रैक और फील्ड की दुनिया में उत्कृष्टता का पर्याय बन गया है। 

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Published By : Ritesh Kumar

पब्लिश्ड 8 July 2024 at 07:04 IST