अपडेटेड 17 January 2025 at 20:31 IST
T20 World Cup: अफगान के पठानों ने सेमीफाइनल में एंट्री कर रचा इतिहास, फैंस कर रहे ये खास दुआ
भारत और अफगानिस्तान के बीच फाइनल की दुआ कर रहे हैं अफगान शरणार्थी
- खेल समाचार
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T20 World Cup: छोटे से रोमिल वकील को पता नहीं है कि क्रिकेट की दुनिया में क्या हो रहा है, लेकिन मोहम्मद इस्माइल वेस्टइंडीज में चल रहे टी20 विश्व कप पर करीबी नजर रखे हुए हैं और उनकी दिली तमन्ना है कि इस टूर्नामेंट का फाइनल भारत और अफगानिस्तान के बीच खेला जाए।
अफगानिस्तान के शरणार्थी दिल्ली में भले ही दो जून की रोटी जुटाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं लेकिन उनमें से कई क्रिकेट के दीवाने भी हैं, जबकि कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें यह भी नहीं पता है कि राशिद खान कौन हैं। इनमें वकील भी शामिल हैं जो अपने 15 वर्षीय भाई इदरीश के साथ क्रिकेट खेलना पसंद करते हैं।
इदरीश से जब पूछा गया कि क्या उन्होंने अफगानिस्तान की बांग्लादेश पर जीत का जश्न मनाया, तो उन्होंने कहा,‘‘जश्न। कैसा जश्न। मैं क्रिकेट मैच कैसे देख पाऊंगा। मैं अपने परिवार के साथ वसंत विहार के फुटपाथ पर रहता हूं। हमारे जीवन में किसी तरह का आनंद नहीं है। ऐसे में क्रिकेट देखना कैसे संभव है।’’उन्होंने कहा,‘‘हमारे लिए यह जिंदगी और मौत का सवाल है और अगर मैं खुश भी हो जाता हूं तो इससे हमारी जिंदगी में कोई बदलाव नहीं होगा।’’ लेकिन इन शरणार्थियों में फजल बारी भी हैं जो लाजपत नगर के एक रेस्टोरेंट में काम करते हैं। उनका मानना है कि अफगानिस्तान की जीत से तालिबान शासित देश की छवि बदलेगी।
उन्होंने कहा,‘‘मैंने प्रत्येक मैच देखा। राशिद खान और गुलबदिन नायब मेरे पसंदीदा क्रिकेटर हैं। अफगानिस्तान में क्रिकेट ही सब कुछ है। मेरे भाई ने मुझे वीडियो भेजा है कि वहां किस तरह से लोग इस जीत का जश्न मना रहे हैं।’’ बारी ने कहा,‘‘हमारी टीम टी20 विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंची है। इसका निश्चित तौर पर हमारे देश की छवि पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।’’
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उनके दोस्त मोहम्मद इस्माइल को अब भी वह पल याद है जब वह दिल्ली में राशिद से मिले थे। उन्होंने कहा,‘‘रहमनुल्लाह गुरबाज मेरा पसंदीदा क्रिकेटर है लेकिन राशिद खान से मुलाकात शानदार थी। मैं भारत बनाम अफगानिस्तान फाइनल के लिए दुआ कर रहा हूं।’’ तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान में महिलाओं को खेल में भाग लेने से रोक दिया गया है लेकिन इस्माइल सरकार के इस फैसले का समर्थन नहीं करते हैं। उन्होंने कहा,‘‘मैं चाहता हूं कि हमारे देश की बहनों को भी समान अवसर मिलें।’’
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(Note: इस भाषा कॉपी में हेडलाइन के अलावा कोई बदलाव नहीं किया गया है)
Published By : Shubhamvada Pandey
पब्लिश्ड 25 June 2024 at 22:46 IST