अपडेटेड 25 July 2024 at 16:14 IST

Kanwad Yatra 2024: क्यों करते हैं कांवड़ यात्रा, क्या है इसका धार्मिक महत्व? जानें सबकुछ

अगर आप भी कांवड़ यात्रा करते हैं, तो आइए जानते हैं कि कांवड़ यात्रा क्यों की जाती है और इसका धार्मिक महत्व क्या है?

Kanwad Yatra
क्यों की जाती है कांवड़ यात्रा? | Image: PTI

Kyo Ki Jati Hai Kanwad Yatra: देवों के देव महादेव को समर्पित सावन माह का सभी शिव भक्तों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस पूरे मास में हर कोई शिव भक्ति में डूबा रहता है। शिव जी की पूजा अर्चना के साथ ही इन दिनों में कांवड़ यात्रा भी निकलती हैं। हर तरफ भगवा रंग और कांवड़ यात्रा की धूम देखने को मिलती है। हजारों की संख्या में लोग इस यात्रा का हिस्सा बनते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि कांवड़ यात्रा क्यों की जाती है? नहीं तो चलिए आज इसके बारे में जानते हैं।

इस साल 22 जुलाई 2024 दिन सोमवार से सावन की शुरुआत हो चुकी है और इसी के साथ कांवड़ यात्रा का भी आगाज हो गया है। कांवड़ ले जाने वालों को कांवड़िया के नाम से जाना जाता है। कांवड़िए कड़े नियमों का पालन करते हुए इस यात्रा को पूरा करते हैं, लेकिन क्या आप या कांवड़िए यह जानते हैं कि कांवड़ यात्रा क्यों की जाती है और इसका धार्मिक महत्व क्या है?

क्यों की जाती है कांवड़ यात्रा?

धार्मिक मान्यता है के मुताबिक कांवड़ यात्रा भगवान शंकर के प्रति भक्तों की भक्ति और समर्पण का प्रतीक होता है। जिसे कांवड़िए कई चुनौतियों, कठिनाईयों और कठिन नियमों का पालन करते हुए बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ करते हैं। वहीं कांवड़ यात्रा करने के पीछे यह मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस यात्रा को करता है उसे मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि हर साल हजारों की संख्या में कांवड़िए कांवड़ यात्रा का हिस्सा बनते हैं।  

कांवड़िए कहां से लाते हैं जल?

हिंदू धर्म में कांवड़ यात्रा को तीर्थ करने के समान माना जाता है। भगवान शंकर को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए शिव भक्तों द्वारा एक पवित्र तीर्थयात्रा निकाली जाती है, जिसे कांवड़ यात्रा कहते हैं। इसमें कांवड़िए बांस से बनी कांवड़ को कंधों पर रखकर कई किलोमीटर पैदल चलकर हरिद्वार पहुंचते हैं और वहां से गंगाजल भलकर उसे अपने-अपने इलाके के शिवालयों में शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। ऐसी मान्यता है कि सावन के दौरान भगवान शिव अपने ससुराल कनखल में वास करते हैं जो कि हरिद्वार में है। इसलिए वहां से जल लाने का विधान है।

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कांवड़ यात्रा का धार्मिक महत्व क्या है?

कांवड़ यात्रा शिव भक्तों की आस्था, भक्ति और तपस्या का प्रतीक है। भोले को पूजने वालों का मानना है कि सावन में भगवान शंकर को गंगाजल अर्पित करने से उनका आशीर्वाद मिलता है और आध्यात्मिक की प्राप्ति होती है। साथ ही कांवड़ यात्रा कनरे से परिवार की उन्नति होती है और कांवड़ यात्रा करने वाले पर महादेव की असीप कृपा होती है। 

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Sadhna Mishra

पब्लिश्ड 25 July 2024 at 16:14 IST