अपडेटेड 25 August 2025 at 20:32 IST

प्रेमानंद पर दिए बयान के बाद बढ़ा विवाद तो जगदगुरु रामभद्राचार्य बोले- मैंने कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की, वह मेरे लिए पुत्रवत...

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने बयानों को तोड़-मरोड़ कर पेश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके खिलाफ भ्रम फैलाया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका उद्देश्य किसी भी संत का अपमान करना नहीं है।

When controversy escalated after statement on Premananda Maharaj Jagadguru Rambhadracharya gave clarification
जगद्गुरु रामभद्राचार्य का आया बयान | Image: X/ANI

तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने हाल ही में एक इंटरव्यू में सनातन धर्म और संस्कृत के महत्व पर अपने विचार व्यक्त किए थे। उन्होंने वृंदावन वाले प्रेमानंद महाराज को लेकर भी टिप्पणी की थी, जिसके बाद नया विवाद खड़ा हो गया था। अब उन्होंने हिंदुओं से एकजुट होने और संस्कृत का अध्ययन करने की अपील की है, साथ ही प्रेमानंद महाराज को लेकर दिए गए अपने बयान पर स्पष्टीकरण भी दिया।

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा कि आज सनातन धर्म पर चारों ओर से हमपे हो रहे हैं। उन्होंने हिंदुओं से आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने श्री राम मंदिर के लिए 550 साल लंबी लड़ाई का जिक्र करते हुए कहा-

"हमने श्री राम मंदिर की लड़ाई जीती है। अब श्रीकृष्ण जन्मभूमि और काशी विश्वनाथ भी हमें मिलेगा, लेकिन इसके लिए सभी हिंदुओं को एक साथ आना होगा।"

प्रेमानंद महाराज पर दिया बयान

प्रेमानंद महाराज को लेकर हाल ही में दिए गए अपने बयान पर सफाई देते हुए जगद्गुरु ने कहा- "मैंने प्रेमानंद जी के लिए कोई अभद्र टिप्पणी नहीं की है। वे मेरे लिए पुत्रवत हैं। मैं सभी से कहता हूं कि संस्कृत का अध्ययन करें। कुछ लोग केवल चोला पहनकर प्रवचन देते हैं, लेकिन उन्हें संस्कृत का एक अक्षर भी नहीं आता। मैं चमत्कारों को नहीं, बल्कि पुरुषार्थ को महत्व देता हूं।" उन्होंने प्रेमानंद महाराज के प्रति स्नेह व्यक्त करते हुए कहा कि यदि वे उनसे मिलने आएंगे, तो वे उनका गर्मजोशी से स्वागत करेंगे और भगवान श्री राम से उनकी दीर्घायु की प्रार्थना करेंगे।

भारत की दो प्रतिष्ठाएं

जगद्गुरु ने जोर देकर कहा कि भारत की दो सबसे बड़ी प्रतिष्ठाएं हैं- संस्कृत और संस्कृति। उन्होंने कहा कि "भारत की संस्कृति को समझने के लिए संस्कृत का अध्ययन जरूरी है। सभी को संस्कृत पढ़ना चाहिए, ताकि हम अपनी जड़ों से जुड़े रहें।" उन्होंने यह भी कहा कि कुछ विधर्मी शक्तियां सनातन धर्म को कमजोर करने के लिए संतों में भेदभाव पैदा करती हैं, जिसके खिलाफ सभी संतों को एकजुट होना चाहिए।

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एकता की अपील

जगद्गुरु ने सभी संतों से एकजुट होकर सनातन धर्म की रक्षा करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि "सभी संत मेरे लिए पूज्य हैं, मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं। विधर्मी शक्तियां हमें तोड़ने की कोशिश करती हैं, लेकिन हमें उनके मंसूबों को कामयाब नहीं होने देना है।" उन्होंने हर हिंदू से संस्कृत पढ़ने और अपनी संस्कृति को समझने की अपील की है, ताकि सनातन धर्म की मजबूती बनी रहे।

प्रेमानंद महाराज को दिया था चैलेंज

जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने एक इंटरव्‍यू में प्रेमानंद महाराज को चमत्कारी मानने से इनकार करते हुए कहा था कि प्रेमानंद महाराज मेरे लिए बालक समान हैं। मैं उन्‍हें विद्वान या चमत्कारी पुरुष नहीं मान सकता। अगर वे वास्तव में चमत्कारी हैं, तो उनके सामने एक शब्द संस्कृत बोलकर दिखाएं। रामभद्राचार्य ने चुनौती भी दी थी कि मैं जो भी संस्कृत श्लोक बोलूं, प्रेमानंद महाराज उसका अर्थ हिंदी में समझा दें। उनके इस बयान के बाद नया विवाद शुरू हो गया था।

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Published By : Sagar Singh

पब्लिश्ड 25 August 2025 at 20:32 IST