अपडेटेड 3 March 2025 at 08:07 IST
Vinayak Chaturthi 2025: विनायक चतुर्थी आज, जरूर करें इन मंत्रों और आरती का पाठ; भगवान गणेश होंगे प्रसन्न
Vinayak Chaturthi 2025 Mantra: आज विनायक चतुर्थी के मौके पर आप गणेश जी के इन मंत्रों का जप कर सकते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Vinayak Chaturthi 2025 Mantra aur Aarti: आज विनायक चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। यह दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश को समर्पित है। कहते हैं इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पचांग के अनुसार फाल्गुन माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जा रही है। जो कि आज यानी सोमवार, 03 मार्च को है। ऐसे में आपको भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए इन मंत्रों का जप और आरती का पाठ करना चाहिए।
गणेश मंत्र (Ganesh Mantra)
- वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।। - दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।
धृताब्जयालिङ्गितमाब्धिपुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥ - ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा।
- ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।
- ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
- ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा॥
- गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः।
द्वैमातुरश्च हेरम्ब एकदन्तो गणाधिपः।
विनायकश्चारुकर्णः पशुपालो भवात्मजः।
द्वादशैतानि नामानि प्रातरुत्थाय यः पठेत्।
विश्वं तस्य भवेद्वश्यं न च विघ्नं भवेत् क्वचित्।
गणेश जी की आरती (Ganeshji ki Aarti)
सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची।
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुर राची।
कंठी झलके माल मुकताफलांची।
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति,
दर्शनमात्रे मनः कमाना पूर्ति।
जय देव जय देव।
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमारा।
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा।
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा।
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया।
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति,
दर्शनमात्रे मनः कमाना पूर्ति।
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जय देव जय देव।
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना।
सरल सोंड वक्रतुंड त्रिनयना।
दास रामाचा वाट पाहे सदना।
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना।
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति,
दर्शनमात्रे मनः कमाना पूर्ति।
जय देव जय देव।
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को।
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को।
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को।
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को।
जय जय जय जय जय।
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता।
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता।
जय देव जय देव।
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अष्ट सिद्धि दासी संकट को बैरी।
विघ्न विनाशन मंगल मूरत अधिकारी।
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी।
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी।
जय जय जय जय जय।
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता।
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता।
जय देव जय देव।
भावभगत से कोई शरणागत आवे।
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे।
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे।
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे।
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता।
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता।
जय देव जय देव।
सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची।
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची।
सर्वांगी सुंदर उटी शेंदुर राची।
कंठी झलके माल मुकताफलांची।
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति,
दर्शनमात्रे मनः कमाना पूर्ति।
जय देव जय देव।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Kajal .
पब्लिश्ड 3 March 2025 at 08:07 IST