अपडेटेड 20 September 2024 at 19:33 IST
Tirupati Laddu: कब और कैसे हुई तिरुपति बाला जी में लड्डू प्रसादम की शुरुआत, कितना पुराना है इतिहास?
Tirupati laddu prasadam: तिरुपति बालाजी के मंदिर में मिलने वाले लड्डू प्रसाद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। ऐसे में आइए इसके इतिहास के बारे में जानते हैं।
- धर्म और अध्यात्म
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Tirupati laddu prasadam ka itihas: इन दिनों विश्व प्रसिद्ध तिरुपति बाला जी मंदिर में मिलने वाले खास प्रसादम को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। दरअसल, प्रसाद में मिलने वाले लड्डू में जानवरों की चर्बी का इस्तेमाल होने का आरोप लगा है। ऐसे में अब हर कोई तिरुपति बाला जी मंदिर से जुड़े हर रहस्य के बारे में जानना चाहते हैं, जिसमें से एक राज यह भी है कि बाला जी मंदिर में मिलने वाले लड्डू प्रसादम की शुरुआत कब और कैसे हुई थी? तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि कब और कैसे तिरुपति बाला जी मंदिर में लड्डू प्रसादम की शुरुआत हुई।
आंध्र प्रदेश के तिरुपति जिले के पहाड़ी शहर तिरुमाला में भगवान विष्णु के वेंकटेश्वर अवतार को समर्पित तिरुपति बाला जी का मंदिर बना हुआ है। हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान वेंकटेश्वर मानवता को 'कलयुग' की कठिनाइयों और क्लेशों से मुक्ति दिलाने के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। इसलिए इस जगह को कलयुग वैकुंठम के रुप में भी जाना जाता है। हालांकि इन दिनों यह मंदिर प्रसादम में जानवरों की चर्बी मिलाने के आरोप को लेकर सुर्खियों में हैं। तो चलिए जानते हैं कि इस मंदिर में लड्डू प्रसादम का इतिहास क्या है?
तिरुपति बाला जी में कितने प्रकार के मिलते हैं लड्डू?
आपको बता दें कि तिरुपति बालाजी मंदिर में तीन तरह के लड्डू बनाए जाते हैं। पहला आस्थानम, दूसरा कल्याणोत्सवम, तीसरा और आखिरी प्रोक्तम लड्डू। आस्थानम लड्डू केसर के फूल, काजू और बादाम से बनाए जाते हैं। ये लड्डू विशेष अवसरों पर ही बनाए जाते हैं। कल्याणोत्सवम, जैसा कि नाम से पता चलता है, कल्याणोत्सवम के भक्तों को तैयार और वितरित किया जाता है। ये लड्डू आकार में बड़े होते हैं। प्रोक्तम लड्डू सामान्य लड्डू हैं जो तीर्थयात्रियों के बीच बनाए और बांटे जाते हैं। ये लड्डू थोक में तैयार किए जाते हैं। अब आइए जानते हैं कि इस लड्डू की शुरुआत कब हुई थी।
क्या है तिरुपति बालाजी मंदिर में मिलने वाले लड्डू प्रसादम का इतिहास?
आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू प्रसादम देने की परंपरा करीब 300 साल पुरानी है। यह लड्डू अपने अनूठे स्वाद और बनावट के लिए प्रसिद्ध हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक तिरुपति मंदिर में 2 अगस्त 1715 में पहली बार यह लड्डू बनाया गया था और भगवान को चढ़ाने के बाद भक्तों में प्रसाद के रुप में देना शुरू किया गया था। इसे भगवान वेंकटेश्वर के पहाड़ी मंदिर में मंदिर के अधिकारियों द्वारा तैयार किया गया था। वर्तमान में हम जो लड्डू देखते हैं, उसने लगभग 6 पुनरावृत्तियों से गुजरने के बाद 1940 में मद्रास सरकार के अधीन अपनी उपस्थिति और आकार प्राप्त किया।
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प्राचीन शिलालेखों के अनुसार, लड्डू का अस्तित्व 1480 में अच्छी तरह से प्रलेखित किया गया था, और इसे "मनोहरम" के रूप में लेबल किया गया था। प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू के निर्माण के पीछे के जादूगर कल्याणम अयंगर हैं। उन्होंने ही मिठाई बनाने के लिए लोकप्रिय मीरासिदारी प्रणाली की शुरुआत की थी। रसोई में लड्डू तैयार करने के लिए जिम्मेदार लोगों को गेमकर मीरासिदार कहा जाता था।
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।
Published By : Sadhna Mishra
पब्लिश्ड 20 September 2024 at 19:33 IST