अपडेटेड 22 November 2025 at 14:53 IST

Lord Sun Stotra: रविवार के दिन जरूर करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ, मान-सम्मान की होगी प्राप्ति और स्वास्थ्य रहेगा उत्तम

Lord Sun Stotra: रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिल सकती है। अब ऐसे में इस दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने का विधान है। आइए इस लेख में विस्तार से जानते हैं।

Lord Sun Stotra
Lord Sun Stotra | Image: Freepik

Lord Sun Stotra: हिंदू धर्म में हर दिन देवी-देवताओं को समर्पित होता है। वहीं रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति सूर्यदेव को अर्घ्य देता है और पूजा-अर्चना करता है। उसकी सभी परेशानियां दूर हो जाती है और मनोकामनाएं पूरी होती है। इतना ही नहीं, अगर कोई जातक बार-बार बीमार पड़ रहा है तो रविवार के दिन सूर्यदेव की पूजा करने से व्यक्ति को लाभ हो सकता है। 

अब ऐसे में अगर आप इस दिन सूर्यदेव की पूजा कर रहे हैं तो इस दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने का विशेष विधान है। आइए इस लेख में विस्तार जानते हैं और पाठ करने के दौरान किन नियमों का पालन करना है। इसके बारे में भी जानते हैं।

रविवार के दिन करें आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ 

ओम अस्य आदित्यह्रदय स्तोत्रस्य अगस्त्यऋषि: अनुष्टुप्छन्दः आदित्यह्रदयभूतो भगवान् ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्माविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः।

पूर्व पिठित

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ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्। रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्।
दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्। उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा।।
राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम्। येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसे।।
आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्। जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम्।।
सर्वमंगलमागल्यं सर्वपापप्रणाशनम्। चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम्।।

मूल-स्तोत्र

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रश्मिमन्तं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्। पुजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्।।
सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावन:। एष देवासुरगणांल्लोकान् पाति गभस्तिभि:।।
एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिव: स्कन्द: प्रजापति:। महेन्द्रो धनद: कालो यम: सोमो ह्यापां पतिः।।
पितरो वसव: साध्या अश्विनौ मरुतो मनु:। वायुर्वहिन: प्रजा प्राण ऋतुकर्ता प्रभाकर:।
आदित्य: सविता सूर्य: खग: पूषा गभस्तिमान्। सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकर:।।
हरिदश्व: सहस्त्रार्चि: सप्तसप्तिर्मरीचिमान्। तिमिरोन्मथन: शम्भुस्त्वष्टा मार्तण्डकोंऽशुमान्।।
हिरण्यगर्भ: शिशिरस्तपनोऽहस्करो रवि:। अग्निगर्भोऽदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशन:।।
व्योमनाथस्तमोभेदी ऋग्यजु:सामपारग:। घनवृष्टिरपां मित्रो विन्ध्यवीथीप्लवंगमः।।
आतपी मण्डली मृत्यु: पिगंल: सर्वतापन:। कविर्विश्वो महातेजा: रक्त:सर्वभवोद् भव:।
नक्षत्रग्रहताराणामधिपो विश्वभावन:। तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन् नमोऽस्तु ते।।
नम: पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रये नम:। ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नम:।।
जयाय जयभद्राय हर्यश्वाय नमो नम:। नमो नम: सहस्त्रांशो आदित्याय नमो नम:।।
नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नम:। नम: पद्मप्रबोधाय प्रचण्डाय नमोऽस्तु ते।।
ब्रह्मेशानाच्युतेशाय सुरायादित्यवर्चसे। भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नम:।।
तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने। कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषां पतये नम:।।
तप्तचामीकराभाय हरये विश्वकर्मणे। नमस्तमोऽभिनिघ्नाय रुचये लोकसाक्षिणे।।
नाशयत्येष वै भूतं तमेष सृजति प्रभु:। पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभि:।
एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठित:। एष चैवाग्निहोत्रं च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम्।।
देवाश्च क्रतवश्चैव क्रतुनां फलमेव च। यानि कृत्यानि लोकेषु सर्वेषु परमं प्रभु:।।
एनमापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च। कीर्तयन् पुरुष: कश्चिन्नावसीदति राघव।।
पूजयस्वैनमेकाग्रो देवदेवं जगप्ततिम्। एतत्त्रिगुणितं जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि।।
अस्मिन् क्षणे महाबाहो रावणं त्वं जहिष्यसि। एवमुक्ता ततोऽगस्त्यो जगाम स यथागतम्।।
एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोऽभवत् तदा। धारयामास सुप्रीतो राघव प्रयतात्मवान्।।
आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वेदं परं हर्षमवाप्तवान्। त्रिराचम्य शूचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान्।।
रावणं प्रेक्ष्य हृष्टात्मा जयार्थं समुपागतम्। सर्वयत्नेन महता वृतस्तस्य वधेऽभवत्।।
अथ रविरवदन्निरीक्ष्य रामं मुदितमना: परमं प्रहृष्यमाण:।
निशिचरपतिसंक्षयं विदित्वा सुरगणमध्यगतो वचस्त्वरेति।।

आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने के नियम 

  • पाठ करने वाले व्यक्ति को रविवार के दिन नमक खाने से बचना चाहिए। साथ ही इस दिन मांसाहार, मदिरा और तेल का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • स्तोत्र का पाठ पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ करें।
  • लोक मान्यताओं के अनुसार,इस स्तोत्र को दिन में बहुत अधिक बार जपने से शरीर में गर्मी बढ़ सकती है। 
  • अगर आप आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ कर रहे हैं तो पंडित जी से सलाह जरूर लें।

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आदित्य  हृदय स्तोत्र का पाठ करने का महत्व 

  • आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से सभी शत्रुओं का नाश होता है। ऐसा कहा जाता है कि विजयी प्राप्ति होती है। 
  • इस स्तोत्र का पाठ करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और कठिन परिस्थितियों का सामना करने में मदद मिलती है। 
  • आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से सभी रोगों से छुटकारा मिलता है। 
  • अगर आप सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं तो आपको रोजाना आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ जरूर करें।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published By : Ruchi Mehra

पब्लिश्ड 22 November 2025 at 14:53 IST